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शनिवार, 7 नवंबर 2015

लडकियाँ


सभी को यथायोग्य
प्रणामाशीष

15 लोगों की


और
26 लोगों की


के बाद
51 लोगों की
साझा संग्रह
वर्ण पिरामिड
की

*अथ से इति - वर्ण स्तम्भ*

की तैयारी में यूँ खोई कि
दिन का होश ही नहीं रहा
शुक्रवार को वृहस्पतिवार ही समझी
और पिछले शनिवार का पोस्ट नहीं बना पाई

लीजिये इस बार हाजिर हैं


इसमे कतई दो राय नहीं हो सकती है कि इस समस्‍या की मूल में आर्थिक अवस्‍था, सुरक्षा से जुड़े पहलू , अधेड़ अवस्‍था या बृद्धावस्‍था की दहलीज पर घुसते ही मानसिक और शारीरिक टेंशन की समस्‍या , अनावश्‍यक भागदौड़ , लड़के  या योग्‍य वर ढूंढनें की शरीर और मन दोंनों तोड़ देनें वाली कवायदें , भागदौड़ , जब तक लड़का न मिल जाय तब तक का मानसिक टेंशन , बेकार का सिद्ध होंनें वाले उत्‍तर , जलालत से भरा लोंगों का , लड़के वालों का व्‍यवहार झेलकर हजारों बार , लाखों बार यही विचार उठते हैं कि लडकी न पैदा करते तो बहुत अच्‍छा  होता 


 समाज में लड़कियों की इतनी अवहेलना, इतना तिरस्कार चिंताजनक और अमानवीय है। जिस देश में स्त्री के त्याग और ममता की दुहाई दी जाती हो, उसी देश में कन्या के आगमन पर पूरे परिवार में मायूसी और शोक छा जाना बहुत बड़ी विडंबना है।आज भी शहरों के मुकाबले गांव में दकियानूसी विचारधारा वाले लोग बेटों को ही सबसे ज्यादा तव्वजो देते हैं, लेकिन करुणामयी मां का भी यह कर्तव्य है कि वह समाज के दबाव में आकर लड़की और लड़का में फर्क न करे।





बेटियाँ मिट्टी के दियों की तरह होतीं हैं
कहीं लेती हैं जन्म और कहीं जलती हैं
कुम्हार कैसे करीने से दिया गढ़ता है
आग में रखता है तब  उसमे रंग चढ़ता है
कोई ले जाता है मन्दिर में जलाने  के लिए
और कोई तो उसे सोने से भी  मढ़वाता  है



शायद ऐसे लोग बेटी की
अहमियत नही जानते हैं
बेटा लाख लायक हो
पर बेटियाँ
मन में बसती हैं
उनके रहने से
न जाने कितनी
कल्पनाएँ रचती हैं

``
फिर मिलेंगे
तब तक के लिए 
आखरी सलाम

विभा रानी श्रीवास्तव


11 टिप्‍पणियां:

  1. वाह..
    शुभ प्रभात
    दीदी
    ज्यादा
    मत खोना
    दीदी हमें आपको
    नहीं है खोना
    उत्तम प्रसंगिक
    व संग्रहणीय प्रस्तुति
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर प्रस्तुति
    एक बिर यहाँ पर भी आए
    हिंदी चर्चा ब्लॉग

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्‍दर प्रस्‍तुति । आपने हरदम कुछ नया किया और हम लोगों को कुछ नया ही सि‍खाया है । आदरणीय आपकी सृजनात्‍मकता का ही परिणाम है ' साझा नभ का कोना' , 'कलरव' और ' वर्ण पिरामिड' ।

    जवाब देंहटाएं
  4. सुन्दर लिंक्स। अच्छी हलचल। संग्रह के लिए बधाई और शुभकामनाएँ।

    जवाब देंहटाएं
  5. बेटियां विषयक गहन विचारणीय लिंक्स-सह सार्थक हलचल प्रस्तुति हेतु आभार!

    जवाब देंहटाएं
  6. सुन्दर लिंक्स। अच्छी हलचल। संग्रह के लिए बधाई और शुभकामनाएँ।

    जवाब देंहटाएं
  7. संग्रह के लिए बधाई और शुभकामनाएँ।

    जवाब देंहटाएं

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