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रविवार, 9 अगस्त 2015

गायत्री महामंत्र विश्व शांती के लिये-अंक 22.

जय मां हाटेशवरी...
अगस्त 1945 में जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराए जाने की घटना इतिहास में काले अक्षरों से लिखी गई है। 6 और 9 अगस्त, 1945 को
अमेरिका के बी-29 बमवर्षक विमान ने हिरोशिमा और नागासाकी पर 'लिटल ब्वॉय' और 'फैट मैन' नाम के दो परमाणु बम गिरा दिए। हिरोशिमा में एक लाख 35 हजार और नागासाकी
में 50 हजार लोग मारे गए थे। आज 9 अगस्त है...उन मारे गये लाखों लोगों की आत्मा की शांति तथा विश्व में अमन हो,  इस लिये

सर्व प्रथम आज के आनन्द का आरंभ गायत्री महामंत्र और उसका अर्थ से...

।। ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।।

भावार्थ :
उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को 
हम अन्तःकरण में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।

अब देखिये मेरी पसंद के 5 लिंक...


इस तरह एक नारी रचती है
अपना घर-संसार
अपने भाव अपनी रचना..
और रहती है सदा प्रसन्न
क्यूंकि वो सागर है
और सागर की भांति
उसका ह्रदय है विशाल
जिसमे सबकुछ समाहित है..
और अपने प्रेम की लहरों से
बस सबको भिगोती है


तमन्ना आज बगीचे में अकेली घूम रही थी
सामने उसका पसंदीदा पौधा था; बेहद सुन्दर रंग वाले फूल खिलते थे उसपर. केवल एक ही समस्या थी; उसमें कांटे थे...बहुत पैने कांटे जो कभी भी चुभ सकते थे. पर तमन्ना को वह पौधा जान से प्यारा था. आज उसने फूलों से छेड़खानी की ठान ली थी. जैसे ही उसने छूने की ठानी और हाथ लगाया काँटों
से उसका हाथ छिल गया. तमन्ना बेहद परेशान हुई और चली गयी. बाहर पार्क में घूमते हुए तमन्ना को एक छोटा सा पौधा बहुत अच्छा लगा.

क्‍या होता है ईमेल क्लाइंट
असल में ईमेल क्लाइंट एक ऐसा सॉफ्टवेयर होता है, जो आपके कंम्‍प्‍यूटर में आपके ईमेल एकाउन्‍ट के सभी ईमेल भेजने और प्राप्‍त करने की सुविधा प्रदान करता है।
जीमेल, आउटलुक अौर याहू मेल POP यानि पोस्ट ऑफिस प्रोटोकॉल और IMAP यानि‍ इंटरनेट मैसेज एक्सेस प्रोटोकॉल काे सपोर्ट करती हैं, जब आप अपने ईमेल सर्वर से POP
और IMAP को अनेबल कर देते हैं तो POP और IMAP आपके कंप्यूटर पर मेल क्लाइंट के जरिये ईमेल के सर्वर से ईमेल डाउनलोड करने की अनुमति देता है। आजकल सबसे लोकप्रिय
ईमेल क्लाइंट हैं माइक्रोसॉफ्ट आउटलुक अौर मोज़िला का थंडरबर्ड।

हम दोनों ने सफलतापूर्वक एक संसार का सृजन किया है
जिसमें
आशाएँ हैं
कल्पनायें हैं
स्नेह है
परस्पर सम्मान ,सूझबूझ  है


उसे यह अहसास और आभास कभी ना हुआ था कि
ऐसा कुछ उसकी बहन के साथ भी हो सकता है। अब उसे समझ में आया कि जिनके साथ वो बदसलूकी करता था वो भी किसी की बहन, बेटी, पत्नी या किसी के घर की इज्ज़त थीं। आज अपने आप से नज़रे मिलाने लायक नहीं रहा था वो, आत्मग्लानि होने पर उसका वजूद उसे धिक्कारने लगा और उसका दिल स्वयं अपने
मुंह पर थूकने को करने लगा। शर्म से मुंह लटकाए, सर झुकाए, धक से वहीँ बहन के पास बैठ गया और पश्चाताप के आंसू उसकी आँखों में भर आए।

धन्यवाद

5 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात भाई कुलदीप
    अच्छे व पठनीय सूत्र
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार..
    मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका इंतजार...

    जवाब देंहटाएं

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