दो चीजें
कभी मत कीजिए .....
झूठे आदमी के साथ प्रेम
और
सच्चे आदमी के साथ गेम ।...
ये रही आज की पसंदीदा रचनाओं के सू्त्र....
प्रतिभा की दुनिया में..
किसी ने दाल पकाई
किसी ने मुर्ग
किसी ने देगची पर चढ़ाये शब्द
जिसको जैसी आंच मिली
उसकी वैसी बनी रसोई
आलोक चान्टिया जी के ब्लाग से
भूत आदमी से ,
काफी अच्छा साबित ,
हो रहा है |
बलात्कार , छेड़छाड़ ,
उसे आज भी परहेज ,
हो रहा है
रंग-ए-जिंदगानी में.........
बहन वहीं जो ये कहें,
मातृभूमि मान बढाना तुम्हें राखी की कसम है।
पिता वहीं जो ये कहें,
रण में लड़ना ही तुम्हारा कर्म और धर्म है।
रचना रवीन्द्र से..
वाह...वो रंग बिरंगे
पालीथीन
लाल, हरे, नीले, पीले, बैंगनी
मिनटों में चट
मानों सफाई कर्मचारियों का दल था
नहीं जानती
कहाँ सहेजेंगे ये लोग
इतनी दुआओं को.
और अंत में....
अंकल ...चंदा दो... कतर ब्योंत में
'पत्नी को देखते ही गुंडा नुमा नेता ने झुककर उनके चरण स्पर्श करते हुए कहा, 'आंटी..देखिए न! हजार-पांच सौ रुपये के होली के चंदे के लिए अंकल किस तरह हुज्जत कर रहे हैं। आप समझाइए न इनको।
आज्ञा दीजिए...
यशोदा
बहुत सुंदर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंसर्वप्रथम देर से आने के लिए माफ़ी .....
जवाब देंहटाएंअच्छी सच्ची छोटी चर्चा सब जगह जाने के लिया समय मिल जाता है
अब बाकी लिंकों पर भ्रमण कार आऊ
अच्छी हलचल, सुंदर लिंक्स
जवाब देंहटाएंसभी पोस्ट अच्छी हैं, मेरी कविता को शामिल करने के लिए ........ आभार
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा....
जवाब देंहटाएंआपका प्रयास सराहनीय और अभिनंदनीय है। आप अपनी रचनात्मक ऊर्जा का बेहतरीन उपयोग कर रही हैं। रचनाओं का चयन भी बेजोड़ है। मेरी रचना लगाने के लिए आभार।
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