जकड़े हैं सामाजिक मानदंड से
आडम्बर और खोकली दुनिया में
तभी तो हम इंसान कहलाये हैं !
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जी ! .. सुप्रभातम् सह सादर नमन संग आभार आपका .. हमारी बतकही को अपनी प्रस्तुति के साथ इस मंच तक लाने के लिए ...
जवाब देंहटाएंआपकी आज की भूमिका स्वरुप उपरोक्त अतुकांत रचना अध्यात्म और कट्टर कर्मकांड के अंतर बतलाने के साथ-साथ विज्ञान सम्मत अतिप्राचीन धर्म के अपभ्रंश रूप को बख़ूबी के साथ परिभाषित ही नहीं करती वरन् .. प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से सामाजिक स्वार्थ को नग्न करते हुए .. एक दिशानिर्देश भी देने में सक्षम है .. शायद ...
"" तब...
जवाब देंहटाएंकोई भी गणितीय सूत्र या मंत्र
नहीं जोड़ पाती है
मानवता की साँस
नैतिकताओं को वध होते देखते
प्रत्यक्षदर्शी हम
घोंघा बने स्वयं के खोल में सिमटे
मौन रहकर "" 👌👌👌👌👌
एक अति कटु सत्य का .. एक अनूठा साहित्यिक स्वरूप .. शायद ...
धर्म को पुष्ट करने हेतु
जवाब देंहटाएंआस्था की अधिकता से
सुदृढ हो जाती है कट्टरता ....
संक्रमित विचारों की बौछारों से
से सूख जाता है दर्शन
सुंदर अंक
साधुवाद
सादर वंदन