।।भोर वंदन।।
सूर्य एक सत्य है
जिसे झुठलाया नहीं जा सकता !
मगर ओस भी तो एक सच्चाई है ;
यह बात अलग है कि ओस क्षणिक है
क्यों न मैं क्षण क्षण को जिऊँ ?
कण-कण मेँ बिखरे सौन्दर्य को पिऊँ ?
अटल बिहारी वाजपेयी
आज की पेशकश में शामिल रचनात्मक रूप को आप सभी नजर डालें..✍️
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सच के सपने देखा करता
माया में रमता निशदिन मन,
जाने किसने बंधन डाले
मुक्त सदा ही मुरली की धुन ! ..
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कानों में गूँजती
अनगिनत
स्वर लहरियों के साथ
कहीं रास्ते पर
चलते कदम
अक्सर
ठिठक कर रुक जाते हैं
जब नज़रों के सामने ..
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बात नाश्ते में मिलने वाले कीड़े वाले दलिए से ज्यादा ब्रदरहुड की थी | बिगुल था कि हड़ताल होगी ! किसी ने कहा कि रुद्रपुर में विद्रोह हुआ , सफल रहा | किसी ने कहा कि वादा रहा ,चिंगारी में छप के रहेगा | किसी ने कहा कि कलट्टर से जान पहचान है , स्कूल प्रशासन की चूलें हिलेंगी | देखना |
वे जो दिखा रहे थे , छपा रहे थे , चूलें हिला रहे थे , वे ही किरतपुर की हडताल के अगुवाई थे |
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।।इति शम।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह ' तृप्ति '..✍️
सुन्दर अंक
जवाब देंहटाएंवंदन