धुंध छँटी जब धूप खिली
नीली चुनरी पर बूटियों सी
पतंगें नभ पर छाने लगीं
तिल-गुङ गजक मूँगफली
केतलियाँ गर्म चाय की
बल्लियों उछलते जोश की
एक कहावत है कि हर चीज के बिकने की एक कीमत होती है ! तो कीमत लगी, माल खरीदा गया और उसे तरह-तरह के नाम और अलग-अलग तरह की थालों में रख, दुकानों में सजा दिया गया ! इधर पब्लिक अपनी उसी पुरानी भेड़चाल के तहत, अपने-अपने मिजाजानुसार उन दुकानों पर बिकते असबाबों की परख किए बगैर, उनकी गुणवत्ता को नजरंदाज कर, उनके रंग-रूप-चकाचौंध पर फिदा हो अपने सर पर लाद अपने-अपने घरों तक लाती रही ! भले ही बाद में पछताना ही पड़ रहा हो !
सुंदर चयन
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
आभार
जवाब देंहटाएंशानदार
सादर वंदन
आने वाला समय सभी के लिए शुभ व मंगलमय हो
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