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बुधवार, 15 जनवरी 2025

4369..अपना सही पता दे...

 ।।प्रातःवंदन।।


"वे रंग बिरंगे रवि की
किरणों से थे बन जाते
वे कभी प्रकृति को विलसित
नीली साड़ियां पिन्हाते।।

वे पवन तुरंगम पर चढ़
थे दूनी–दौड़ लगाते
वे कभी धूप छाया के
थे छविमय–दृश्य दिखाते।। "
हरिऔध
प्रकृति की बदलती तस्वीरें और सूर्य उपासना के पावन पर्व मकर संक्रांति की शुभकामना के साथ शामिल रचनाएँ. .✍️

‘मकर-क्रान्ति से सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है , सूर्य उत्तरी गोलार्द्ध की ओर गति करता है ,यानी सूर्य का उत्तरायण होना प्रारम्भ होता है । आज के दिन सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने जाता है इसलिये लोग तिल का दान करते हैं ।..वगैरा वगैरा .”
✨️


……
ना ही
सफेद पंखों वाली मासूम परी है।
जिसके पंख काट दिए जाते हैं,
✨️
स्मृतियों में डूबा...भला, बुरा सोचता
 प्रश्नों से जूझता...हलों को ढूंढ़ता
कल को खोजता...आज में जीता 
आस को जगाता...बिश्वास को सूली पे 
लटका हुआ कभी पाता..
✨️



तू आसमां में है
लेकिन अपना
सही पता दे।

कौन जात है तेरी..
✨️
वक्त

बिन जिए ये जिन्दगी जाने कैसे गुजर जाती है।।
✨️
।।इति शम।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह 'तृप्ति'...✍️


2 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर सार्थक सूत्रों से सुसज्जित आज की हलचल

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर रचनाएं , धन्यवाद आपने हमारी रचना को मंच पर स्थान दिया।

    जवाब देंहटाएं

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