सादर अभिवादन।
गुरुवारीय अंक में पढ़िए पाँच चुनिंदा रचनाएँ-
अत्यधिक रगड़ने पर चंदन से भी आग पैदा
हो जाती है
कभी वह उसे कुछ देती है तो
मुस्कुरा कर स्वीकारता है और
हरे कोट की जेब में रख लेता है
जीवन कितने लोगों के
श्रम से चलता है!
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ब्रह्मा ने इस दिन सृष्टि
की रचना की थी -
मौनी अमावस्या के दिन पवित्र नदियों, विशेष रूप से गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में स्नान का विशेष
महत्व है। यह दिन प्रयागराज में कुंभ मेले के मुख्य स्नान पर्वों में से एक है। इस दिन
लाखों श्रद्धालु संगम में स्नान करते हैं और पवित्र जल में डुबकी लगाकर अपने पापों
से मुक्ति पाने की कामना करते हैं। यह विश्वास है कि इस दिन गंगा स्नान से सभी
पापों का नाश होता है और आत्मा की शुद्धि होती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से मोक्ष
प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
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कुछ पूछोगे तो कुछ नहीं बोलूँगा..
तुम अपने रास्ते चलो
में अपनी राहे बनाता हूँ
थोड़ी देर हस खेल के
फिर अपने शहर चले जाता हूँ
जो था कल मैं आज भी वही रहूँगा
कुछ पूछोगे तो कुछ नहीं बोलूँगा..
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सुंदर अंक
जवाब देंहटाएंआभार
वंदन
सुप्रभात ! पूर्ण कुंभ में दिवंगत हुए लोगों को विनम्र श्रद्धांजलि। आज की सुंदर प्रस्तुति में 'मन पाये विश्राम जहाँ' को स्थान देने हेतु बहुत बहुत आभार रवींद्र जी !
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