सादर अभिवादन
जनवरी 2025 शुरु
जब किसी चर्चा कार को लगातार
तीन दिवस प्रस्तुति लगाना पड़े
तो वह कुछ प्रयोग करने लग जाता है
ठीक उसी तरह एक कार्यक्रम है
सुहावना मौसम सामने है ,बच्चों की परीक्षाएं समाप्ति की ओर है
आपको कुछ काम दिया या फिर किया जाए ...इस पंक्तियों को पढ़िए
सखि वसन्त आया
भरा हर्ष वन के मन
नवोत्कर्ष छाया
किसलय-वसना नव-वय-लतिका
मिली मधुर प्रिय-उर तरु-पतिका,
मधुप-वृन्द बन्दी
पिक-स्वर नभ सरसाया
ये पंक्तियां पंडित सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' की है
आपको इन पंक्तियों में लिक्खे शब्दों को लेकर
एक कविता , गीत, ग़ज़ल, या व्यंग्य लिखना है
हर कोई लिख सकता है केवल मुझे छोड़कर
और लिखकर सोमवार दिनांक 01 फरवरी 2025 तक
लिख कर संपर्क फार्म में पोस्ट कर दीजिए
ध्यान रहे 03 फरवरी 2025 को वसंत पंचमी है
वह रचना अगले सोमवार को फ्लेश हो जाए
इसलिए रचनाएं रविवार 02 फरवरी से पहले पोस्ट करिए
उत्कृष्ट रचनाओं के लिए प्रशस्ति पत्र तैयार है
प्रयोगात्मक गतिविधि है आपकी सजगता पर निर्भर है
कि ये प्रयोग आगे बढ़ाएं या नहीं ??
सादर ....
रचनाएं देखें
थके से स्वर में बोले, "क्या बताऊँ, सुबह-सुबह इतना दुखद दृश्य देखा । नदी से दो लाशें निकाली हैं पुलिस ने । एक लड़के और लड़की की । आत्महत्या का मामला लग रहा है ।"
मेरा सिर चकरा गया । घुटनों में सिर छुपाए वह लड़का आँखों के सामने घूम गया । कहीं वही तो नहीं
मुझसे ना अंदर जाते बन रहा था ना हीं वहां खड़े रहते ! खुद को सभ्य, शांतिप्रिय, भाईचारे का हिमायती मानने वाले मुझ जैसे लोग किसी प्रकार का डंडा-लाठी भी अपने घर में नहीं रखते, पर आज अपनी स्वरक्षा के लिए ऐसी किसी चीज की जरूरत शिद्दत से महसूस हो रही थी ! इसी बीच भैंस बोल उठी, भाई साहब, मुझे बचा लो ! मुझे एक झटका सा लगा ! पर मैं जैसे किसी दूसरे लोक में सपना देख रहा होऊं ! पता नहीं क्यों उसके इस तरह बोलने पर मुझे कोई आश्चर्य नहीं हुआ, उलटे मैंने उससे पूछा कि क्या बात है, तुम घबराई सी क्यों हो ?
उसने बताना शुरू किया कि सुबह घोसी मोहल्ले में पुलिस आई थी जो किसी काले रंग के कुत्ते को खोज रही थी, जिसने किसी बड़े, रसूखदार आदमी को काट लिया था ! कुत्ता तो उन्हें नहीं मिला पर उनका हवलदार मुझे जैसे देखता हुआ गया, उससे मैं बहुत ही घबड़ा गई ! मैं बहुत ही डरपोक टाइप की भैंस हूं ! रंग भी मेरा काला है ! यदि पुलिस मुझे पकड़ कर ले गई और मेरी कुटाई कर मुझसे कुबुलवा लिया कि मैं भैस नहीं कुत्ता हूँ, तो मेरा क्या होगा ! इसी डर से मैं तबेले से भाग आई और आपका दरवाजा खुला देख अंदर आ गई! अब आप ही मुझे बचा सकते हैं !
कीमती लिफाफा
चाचा की निगाह अब तीसरे लिफ़ाफ़े की तरफ़ थी,जिसमें कच्छा और बनियान मिले थे।मैंने पत्र पढ़ना शुरू किया, ‘ मैं आपका चिर-परिचित हूँ।आपको कच्छा-बनियान पहनने लायक मैंने ही छोड़ा।आगे भी आपकी यह हालत बरक़रार रहे,इसके लिए मुझे ही रिचार्ज करें।दूसरे जो भी दे रहे हैं,उसमें एक बढ़ाकर दूँगा।यह कच्छा-बनियान हमेशा से आपका रहा है,आगे भी रहेगा।और एक बात।इतने सालों में हम आप को कुछ बना नहीं पाए तो आप भी मेरा क्या बिगाड़ पाए ? इसलिए पिछला सब भूलने में भलाई है।मुझे वोट देते रहेंगे,तो विकास होता रहेगा।मैं आपकी ही नहीं,आपके बच्चों की भी जिम्मेदारी लेता हूँ।क़सम से।’
गणतंत्र दिवस की झांकी में
उन्नत भारत दिखलाते हैं
भारत में भूखे-नंगों की
क्या संख्या कभी बताते हैं
पर उसने जाना
कि सुर और भी होते हैं,
जब उसने पहली बार सुनी
अपने बच्चे की किलकारी।
भारत
तिरंगे के रंग
सिर्फ़ रंग नहीं,
करोड़ों दिलों की
आवाज़ है ।
आज बस
वंदन
बहुत सुंदर अंक.आभार .
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार
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