।।प्रातःवंदन।।
चढ़ रहा है सूर्य उधर, चाँद इधर ढल रहा
झर रही है रात यहाँ, प्रात वहाँ खिल रहा
जी रही है एक साँस, एक साँस मर रही
इसलिए मिलन-विरह-विहान में !
इक दिया जला रही है ज़िन्दगी
इक दिया बुझा रही है ज़िन्दगी !
गोपालदास 'नीरज'
हर सुबह एक नई शुरुआत ही है...तो बढते है नए लिंको के साथ...✍️
कुछ पूछोगे तो कुछ नहीं बोलूँगा
राज़ी नहीं भी हूँऊँगा तो भी हाँ ही बोलूँगा
ये मैंने सोच लिया है
तुम्हारी महफ़िल में ये उनमान लिया है
थक गया हूँ मैं इन तक़रीरों से
वक़्त की इस फ़िज़ूल खर्ची से,✍️
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पाप पुण्य
गंगा में डुबकी लगा
नहीं चाहता हूं धो लेना
अपने हिस्से के पाप को
बजा के घंटी, लगा के टीका
कम भी नहीं करना चाहता हूं उसे..
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विवाह चिह्न और उनसे जुड़े सवाल
आजकल यह मुद्दा बहुत ही संवेदनशील हो गया है ! भारतीय समाज में विवाह और विवाह चिह्नों को लेकर अनेक मत एवं मान्यताएं प्रचलित हैं ! जिन्हें सदियों से निभाया जा रहा है ! पुरुष प्रधान समाज में विवाह के समय..
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- 1975 में फ़िल्मफ़ेयर का सर्वश्रेष्ठ क्रिटिक अवार्ड
बासु चटर्जी द्वारा निर्देशित हिंदी फ़िल्म रजनीगंधा की रिलीज़ को 50 साल पूरे हो गए हैं। बासु चटर्जी को कुछ हटकर फ़िल्में बनाने के लिए जाना जाता है।उनकी फ़िल्मों का विषय प्राय: भारतीय मध्यम वर्ग ही होता था। सन् 1974 में बनी मसाला फ़िल्मों की तड़क-भड़क से परे, एक सीधी-सादी मिडिल क्लास लड़की की सर्वथा अनछुए विषय को चित्रित करती फ़िल्म`रजनीगंधा’ सुप्रसिद्ध लेखिका मन्नु भंडारी की कहानी`यही सच है’ पर आधारित है।इस मनोवैज्ञानिक प्रेम कहानी पर बनी इस फ़िल्म में .
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।।इति शम।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह 'तृप्ति'..✍️
सुंदर अंक
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
इक दिया जला रही है ज़िन्दगी
जवाब देंहटाएंइक दिया बुझा रही है ज़िन्दगी !
वाह
बढ़िया लिंक्स
आभार 🙏
सुंदर अंक!
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