शीर्षक पंक्ति: आदरणीय प्रफ़ेसर गोपेश मोहन जैसवाल जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
2025 की द्वितीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।
मंगलकामनाएँ।
आइए पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-
सन 24 ताहि बिसारि दे, तू 25 की सुधि लेय
चहुँदिस गुकेश का मान बढ़े
हम्पी की हर कोई चाल पढ़े
बुमरा की बॉलिंग शीर्ष चढ़े
नित उज्जवलतम इतिहास गढ़े
अब महंगाई का राज न हो
फ़िरको में बंटा समाज न हो
रिश्वत से कोई काज न हो
संस्तुति का भ्रष्ट रिवाज न हो
*****
नव वर्ष की भोर
ख़ूब है शोर।
ठिठुरन है
पर मन में जोश
तुम आए ..,साथ रहे..,
किसी ने तुम्हे समझा.., किसी ने नहीं,
तुम्हे अलविदा कह , तुम्हें ही बाँट , तुम्हारा स्वागत करते हैं…,
समय तुम बहुत अच्छे हो , हमारी ग़लतियाँ माफ़ करते हो।
*****
समय की कैंची
कुशलता से निःशब्द
निरंतर काट रही है
पलों की महीन लच्छियों को
जीवन के दिवस,मास,
बरस पे बरस स्मृतियों में बदल रहे हैं
*****
चंदू, मैंने सपना देखा, लाए हो तुम नया कलैंडर- नव वर्ष 2025 पर कविवर नागार्जुन की कविता
चंदू, मैंने सपना देखा,
अमुआ से पटना आए हो
चंदू, मैंने सपना देखा,
मेरे लिए शहद लाए हो
चंदू, मैंने सपना देखा,
फैल गया है सुयश तुम्हारा
चंदू, मैंने सपना देखा,
तुम्हें जानता भारत सारा
चंदू, मैंने सपना देखा,
तुम तो बहुत बड़े डॉक्टर हो
चंदू, मैंने सपना देखा,
अपनी ड्यूटी में तत्पर हो
*****
फिर मिलेंगे।
रवीन्द्र सिंह यादव
व्वाहहह
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति
वंदन
सुन्दर सूत्रों को समाहित किए बेहतरीन संकलन में मेरे सृजन को सम्मिलित करने हेतु सादर आभार आदरणीय रवीन्द्र सिंह जी ।
जवाब देंहटाएंमेरी ब्लॉगपोस्ट को अपने इस नायाब मंच पर स्थान दिया..आभार आपका...धन्यवाद रवींद्र जी
जवाब देंहटाएंसुंदर,पठनीय रचनाओं के साथ मेरी रचना साझा करने के लिए आभार आपका रवींद्र जी।
जवाब देंहटाएंसादर।