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मंगलवार, 14 जनवरी 2025

4368.....झूमती फसलें सरसों की

 मंगलवारीय अंक में
आपसभी का स्नेहिल अभिवादन।
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आज देशभर में मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जा रहा।

प्रकृति और मनुष्य का शाश्वत संबंध सृष्टि में जीवन का आधार है। प्रकृति का ऋतु परिवर्तन मनुष्य के जीवन शैली में उत्साह और उमंग का वाहक है जिसे मनुष्य लोक परंपराओं के माध्यम से त्योहारों के रूप में अभिव्यक्त करता है। मकर संक्रांति संपूर्ण भारत में 
विभिन्न नामों से मनाया जाता है-

मकर संक्रान्ति - छत्तीसगढ़, गोआ, ओड़ीसा, हरियाणा, बिहार, झारखण्ड, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, राजस्थान, सिक्किम, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, बिहार, पश्चिम बंगाल, और जम्मू
ताइ पोंगल, उझवर  - तमिलनाडु
उत्तरायण - गुजरात, उत्तराखण्ड
माघी - हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब
भोगाली बिहु - असम
शिशुर सेंक्रात - कश्मीर 
खिचड़ी - उत्तर प्रदेश और पश्चिमी बिहार
पौष संक्रान्ति - पश्चिम बंगाल
मकर संक्रमण – कर्नाटक
  
 आज की रचनाएँ-


आपने भी देखे होंगे 
ऐसे कम समझ वाले लोग 
अपने आसपास 
 इन्हें पहचानना नहीं होता का 
बहुत मुश्किल 
इनके चेहरे पर निजी परेशानियों की लकीरें 
नहीं होती हैं 
होती हैं एक बेफिक्र हंसी 
तेज चाल क्योंकि ये लोग अक्सर जल्दीबाजी में होते हैं 
कहीं किसी के पास पहुँचने के लिए । 


खेतों में जब झूमती फसलें सरसों की 

पीली आग भली लगती है लोहड़ी की !


गिद्धे और भांगड़े सजते 

तन पर सुंदर वस्त्र शोभते, 

पहली लोहड़ी नववधू की 

या घर आये कोमल शिशु की !




मेरे सपने में आकर गांव आज भी मुझे बुलाता है 
सारी सारी रात गांव की गलियों में मुझे घूमाता है 
गांव का कोई साथी मुझको भी याद करता होगा 
अब भी गांव के खेतो में अलगोजा तो बजता होगा। 

होली पर चंग  की धाप आज भी खूब लगती होगी 
छोटी काकी  ब्याव  में आज भी खूब नाचती होगी 
झूमझूम बादल गांव में आज भी खूब बरसता होगा 
अब भी गांव के खेतो में अलगोजा तो बजता होगा

सायली छंद


खिले
रंग बिरंगे
उपवन में फूल
हवा लहराई
मदभरी !
 
अघोर
है विसंगति
कविता कोमल तुम्हारी
हृदय किन्तु
कठोर !

संगम किनारा देखते हैं



जाने रंग कितने है समेटे 
आओ रंग सारा देखते हैं 

पुल से रात का मंज़र कि जैसे 
रेतों में सितारा देखते हैं


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आप सभी का आभार।
आज के लिए इतना ही 
मिलते हैं अगले अंक में।

2 टिप्‍पणियां:

  1. पोंगल, बीहू, खिचड़ी और संक्रांति की सभी को शुभकामनाएँ, सुंदर प्रस्तुति, आभार श्वेता जी !

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