मंगलवारीय अंक में
आपसभी का स्नेहिल अभिवादन।
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आज के दिन की शुरुआत करते हैं एक छोटी सी
कहानी से जो मैंने अपने पापा से सुनी थी शायद
आपने भी कहीं सुनी हो-
एक बार की बात है सर्दियों के दिन थे, ठंड बहुत ज्यादा थी। एक नन्हीं चिड़िया खाने की तलाश में उड़ती हुई दूसरे प्रदेश जा रही थी परंतु अत्यधिक ठंड के कारण उसका खून जमने लगा और वह एक मैदान में गिर पड़ी। वहाँ घास खाती एक गाय ने उस चिड़िया पर गोबर कर दिया। गोबर की गर्मी ने चिड़िया को सुकून से भर दिया और वह खुश होकर जोर-ज़ोर से गाने लगी। तभी वहाँ से एक बिल्ली गुज़र रही थी चिड़िया की गाने की आवाज़ सुनकर वह ठिठक गयी और ध्यान से सुनने लगी चिड़िया की आवाज़ कहाँ से आ रही है, उसने गोबर के ढ़ेर को हटाया और चिड़िया को बाहर निकाला और खा गयी।
इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि
आपके ऊपर गंदगी फेंकने वाला हर कोई आपका दुश्मन नहीं होता और
आपको.गंदगी से निकालने वाला हर व्यक्ति आपका दोस्त नहीं होता।
अब आज की रचनाएँ-
ख्वाब खिलखिला उठे,
ख्वाबों का कुंभ है,
किसकी बिसात है
जो हमें खत्म कर दे
तुम हो तो हम हैं
हम हैं तो तुम
सर्दी की सुबह अलग नहीं होती
स्त्रियॉं के लिए भी
वे घड़ी से चलती हैं
मौसम के तापमान से निस्पृह
पैरों में उनके बंधी होती है घिरनी
और वे नाचती रहती हैं
मौसम के मिजाज से परे !
निज भूलों को भाग्य बताकर
निज करनी से बाज न आते,
जिस राह पर मिले थे काँटे
फिर-फिर उस पर कदम बढ़ाते !
स्वयं ज्ञान का करें अनादर
सुख चाहों में दौड़े जाते,
तृष्णा मन की तृप्त न होगी
अटल सत्य यह फिर बिसराते !
कोई औरत से सीखता, तो सीखता प्रेम,
त्याग, करुणा, दूसरों के लिए जीना,
दूर नहीं, आसपास देख लो,
तुम्हें समझ में आ जाएगा
कि औरत नहीं करा सकती युद्ध,
उसके बारे में इतिहास ने फैलाया है
केवल भ्रम और झूठ।
विमर्श लैंगिक विभेद पर बात नहीं होनी चाहिए…!" दोनों ने नजरें चुराते हुए बेहद धीमी आवाज में फुसफुसाया।
"ओ! अच्छा! तो तुमदोनों विमर्श कर रहे थे…! लगता है तुमदोनों के पास मनुष्यता संबंधित विषयों की कमी हो गयी है!"
उसकी बातें सुनकर उनदोनों की खिलखिलाहट वाली हँसी शोर मचा गई। एक ने कहा, "तुम्हारी बातें सुनकर मुझे लगता है कि तुम्हारे पास मनुष्यता के बारे में बहुत कुछ कहने को है!"
आप सभी का आभार।
आज के लिए इतना ही
मिलते हैं अगले अंक में।
"ओ! अच्छा! तो तुमदोनों विमर्श कर रहे थे
जवाब देंहटाएंसुंदर अंक
आभार
सादर
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंसुंदर साहित्यिक प्रस्तुति
वंदन
सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आपका
जवाब देंहटाएंसुप्रभात ! अनुपम प्रस्तुति, आभार !
जवाब देंहटाएंश्वेता जी, ऐसी ही एक कहानी कुछ अन्तर के साथ मैंने भी सुनी थी बचपन में, उसमें एक बच्चा चिड़िया को गोबर से निकालता है और पिंजरे में बंद करना चाहता है, चिड़िया कहती है पहले मुझे नहलाओ, फिर धूप में सूखने के लिये दीवार पर रख दो, और जब वह ऐसा करता है तो चतुर चिड़िया फुर से उड़ जाती है।
जवाब देंहटाएंहा हा हा...ये तो बहुत बढ़िया है अनिता जी , अंत सकारात्मक है।
हटाएंसुन्दर प्रस्तुति.आभार.
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