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मंगलवार, 11 जनवरी 2022

3270 .... जात न पूछो लिखने वालों की

मंगलवारीय अंक

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सादगीपूर्ण जीवन का अंत
प्रश्नों के कटघरे में है अबतक

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रचनाएँ

जात न पूछो लिखने वालों की


यदि रचना में
कोई त्रुटी हो तो
निर्भीक होकर कहो
पर नि:सृत रसधार में
रससिक्त होकर बहो
और यदि
स्वाग्रह वश
बहना नहीं चाहते 
तो बस दूर रहो
मन माने तो
रचना को मानो
हिंदी से ये हिंद बना है 
और हिंद से हुआ
हिंदुस्तान का निर्माण! 
हिंदी से है हमारी पहचान ! 
हिंदी है साहित्य का श्रृंगार! 


भारत की पहचान बनी अब,दिव्य ललाट सुशोभित हिंदी।

विस्तृत रूप लिए चलती नित, देश विदेश प्रचारित हिंदी।।

पोस रही इसको जब संस्कृत,है इतिहास प्रमाणित हिंदी।

मान बढ़ा नित उन्नत होकर,उत्तम भाष्य सुभाषित हिंदी।।


सदा जागरण के ही स्वर दे.....



परम अनंत अपार प्रेम वह 

गुरु की महिमा कही न जाए, 

कब कैसे जीवन में आकर 

बिछुड़े हुए सुमीत मिलाए !







सभी दिवस हिंदी रहे,भाषा की सरताज।

सारा हिन्दुस्तान ही, करता इस पर नाज।।


हिंदी मेरा मान है, हिंदी ही शृंगार ।

भाषा के तन पर सजा, सुंदर मुक्ता हार।।



इक जाम



सुख-दुख तो हैं, दो किनारे इस ज़िन्दगी के,
बेफिक्र, बस गीत गा तू बन्दगी के,
दोनों तरफ, छोड़ जाती इक निशानी जिंदगी,
रख कर, इक सवेरा,
देकर, उम्मीदों का ये नव-सफर,
कहती, फिर, सुहानी इक शाम हो जाए,
चलो, इक जाम हो जाए!


पहलू बदलता चाँद



चाँद फिर कनखियों से उसे ताक रहा था.. वह सोचने लगी,
सच ये तो बिलकुल मेरे उसी चाँद की तरह है, जिसकी मैं दीवानी थी...
और वो मुझे चाँद सितारों की दुनिया जैसे सपने दिखाने के बाद 
एक अमीरजादी के पल्लू में बंध गया, क्या कमी थी मुझमें ? 
बस पापा दहेज ही देने को तो राज़ी नहीं थे.. मैं तो अच्छा कमा ही रही थी

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आज बस इतना ही
सादर



6 टिप्‍पणियां:

  1. पूर्व प्रधानमंत्री आदरणीय लालबहादुर जी शास्त्री को सादर नमन..
    हिन्दी दिवस की शुभकामनाएं
    ..
    साधनहीन को साधन मुहैया करवाई सखी श्वेता ने
    कल सोमवार की सुबह से अभी तक रुक-रुक कर बारिश का दौर जारी है..
    ....
    खेद है कि
    रचनाओं के प्रकाशन की सूचना नहीं दे पाए हैं..
    सादर आभार सभी सहयोगियों को

    जवाब देंहटाएं
  2. देश के द्वितीय प्रधान मंत्री स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री जी को नमन । 🙏🙏 । याद है मुझे सातवीं कक्षा में थी , सुबह खबर आई ,स्कूल से वापस लौटे और उतनी उम्र में भी सदमे जैसी हालत थी । भूल नहीं सकती कभी भी उस दिन को ।
    लिंक्स बेहतरीन संजोय हैं ।

    जवाब देंहटाएं
  3. हार्दिक नमन हमारे देश निर्माता शास्त्री जी को । सुन्दर सूत्रों का आकर्षक संयोजन । हार्दिक आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  4. शास्त्री जी को नमन, सभी रचनायें बेहतरीन हैं

    जवाब देंहटाएं

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