नमस्कार ! नव वर्ष की पहली पाक्षिक हलचल ले कर हाज़िर हूँ , आपकी अपनी " संगीता स्वरूप " । यूँ तो अभी नए वर्ष की शुभकामनाएँ देने लेने का खुमार उतरा नहीं है ,तो आप सब इस खुमार के साथ मेरी भी नए वर्ष की शुभकामनाएँ स्वीकार करें । ये साल सबके लिए ही अच्छा हो ।
आज नूतन वर्ष और गत वर्ष की देहरी पर खड़े हो कर जब पलट कर देखती हूँ तो यादों की जैसे पिटारी खुल जाती है । पिछले वर्ष हमने अपने कुछ ब्लॉगर के रूप में नायाब मोतियों को खो दिया । उनको याद करते हुए आज की हलचल बिछड़े हुए साथियों के नाम कर रही हूँ ।
सबके ब्लॉग तक नहीं पहुँच पाई लेकिन जाने वाले जिन ब्लॉगर्स के ब्लॉग तक पहुँच पाई उनकी रचनाएँ आपकी नज़र हैं ......
गिरिजेश राव जी .... एक जाने माने ब्लॉगर रहे हैं ......ये कई ब्लॉग्स चला रहे थे .....लेकिन " एक आलसी का चिट्ठा " सबसे ज्यादा प्रचलित था .....आप इनके प्रोफाइल पर इस लिंक से पहुँच सकते हैं
मुख्य रूप से इनके दो ब्लॉग्स की प्रथम और अंतिम पोस्ट आपके सम्मुख रख रही हूँ .....
१३ फरवरी २०२१ को इनकी अंतिम पोस्ट आई है .... कोई दीप .
इनके ब्लॉग से कोई भी सामग्री कॉपी नहीं की जा सकती है ......इसलिए मैंने केवल पोस्ट के लिंक लगाये हैं ..... जो भी इनको पढना चाहें इनके दिए हुए प्रोफाइल के लिंक से सभी ब्लॉग तक पहुँच सकते हैं .....
अब आपको मिलवाते हैं एक वरिष्ठ ब्लॉगर से जो ' अकेला " तखल्लुस लगाते थे ..... अशोक सलूजा जी .
इन्होने अपने ब्लॉग में अपने जीवन की स्मृतियों को ही पिरोया है ....
मुझ को पाला था,पोसा था, बडा प्यार
दिया था मेरी नानी ने,
मुझ को अपने कन्धों पे घुमाया था,
मेरे मामा ने अपनी जवानी में॥
न माँ,न मौसी , न भाई, न बहना, न नाना
थी मेरी नानी,तो बस था एक ही मामा सयाना ॥
खुद तो झूल लिए थे 2012 में ...... और आज इस पोस्ट को देख हम उनको याद कर रहे हैं ....
यादों... के बवंडर,
दुखों की आंधियां...
एक सदियों पीछे ले जाता है
और एक मीलों आगे....
वैसे तो आगे बड़ने को ही जिन्दगी मानते हैं
पर कभी-कभी पीछे मुड कर देखना भी
बड़ा सुखद लगता है ,अपने छोड़े हुए कदमों
के निशां,जिन रास्तों से हम चल के आये
उन्हें अपने पीछे छोड़ आये ,यादे हमेशा हमारे
साथ-साथ चलती हैं |
शायद वो फेसबुक के मित्रों से कुछ नाराज़ से हो गए थे ....और उन्होंने ब्लॉगर साथियों से गुज़ारिश की ...
आ अब लौट चलें ......
छोड़ फेसबुक की झूठी रंगीन, फ़रेबी,दुनिया से......... अपने ब्लोगर की आभासी दुनिया में ,...
जहाँ थम्स अप का अंगूठा नही, चापलूसी की टिप्पणी नही दिल से निकले प्यारे अल्फाजों की पुकार है दुलार है और समझाने के लिए प्यार से भरी फटकार भी है....सब अपने हैं न... बस इसी लिए, अपने आभासी परिवार के दुःख सुख के साथी...
आ अब लौट चलें ......
यह इनकी अंतिम पोस्ट थी ...... और ये चले गए कभी न लौटने के लिए ....
आज के सक्रीय ब्लॉगर्स इनसे बहुत अच्छी तरह परिचित हैं ...... इनका जाना सबको कितना व्यथित कर गया था ये मैंने बहुत से ब्लॉगर्स की पोस्ट पढ़ कर जाना ......उनके लेखन और उनकी आत्मीयता को हम बिसरा नहीं सकते ....
पहली पोस्ट ...... मात्र दो शेर लेकिन गहन भाव भरे हुए .....
देश के प्रति जो भाव प्रेषित किये उसको आपके साथ साझा कर ख़ुशी हो रही है ....
यह रचना 2011 की है और 2021 में गणतंत्र दिवस पर उन्होंने क्या कहा ....एक नज़र डालते हैं .....
लाख ज़ुल्म-ओ-सितम किए जाएं
अम्न की आरती सजानी है
हिन्द की सरज़मीन जन्नत है
इस पे क़ुर्बान हर जवानी है
तआरुफ़ पूछिए न "वर्षा" का
मेघ और बूंद की इक कहानी है
इनकी अंतिम पोस्ट के रूप में इनकी पुस्तक .... ग़ज़ल जब बात करती है .... की समीक्षा प्रस्तुत करी गयी है ... और अब बस इनकी ग़ज़लें ही हम पाठकों से बात कर पाएँगी ...... आप हमें अपनी ग़ज़लों में मिलेंगी ..
और अब मैं आपके समक्ष ला रही हूँ कैलाश शर्मा जी का ब्लॉग ......
कैलाश शर्मा जी ....
आप इनके प्रोफाइल से इनके सभी ब्लॉग तक पहुँच सकते हैं ....इनके चार ब्लॉग्स हैं ..... एक में अध्यात्मिक यात्रा तो एक में बच्चों के लिए बाल कवितायेँ ...... और तीसरे में दुनियादारी की बातें हैं तो चौथे में मन की भावनाओं का वेग समाहित है . ...... मैं आपको इनकी कविताओं से मिलवा रही हूँ ......
इनके ब्लॉग की पहली कविता ....
नया साल आता है और सब आने वाले साल का स्वागत करते हैं ....लेकिन कभी कभी मन जाने वाले के लिए भी द्रवित हो उठता है ..... उसकी बानगी देखिये
एक और वर्ष
सीने में लाखों दर्द छुपाये
घिसटते हुए
दम तोड़ने वाला है.
कितना सहा,
होठों पर लाकर मुस्कान
दर्द को कितना छुपाना चाहा.
कब तक कोई
ग़मों से समझौता करता जाए,
और एक वर्ष पश्चात ........ एक नयी रचना .....
हे जाने वाले वर्ष तुम्हारा अभिनन्दन,
नव जाग्रति लाने वाले, तेरा अभिनन्दन.
कुछ बीज नये बोये थे तुमने आँगन में,
प्रस्फुटित हो रहे अब मिट्टी के सीने से,
सोयी जनता ने ली है फिर से अंगड़ाई,
अनुपम उपलब्धि पर करते तेरा वन्दन.
इनके लिखे मुक्तक जीवन की सच्चाई को इंगित करते हैं .....इस पोस्ट में सब कुछ समेटना सरल नहीं .....आप जो पाठक पढना चाहें स्वयं ही पहुँचने का प्रयास करें ...... इनका लेखन मेरे मन के भावों से बहुत मेल खाता था ..... इसलिए मुझे बहुत इनको पढना हमेशा बहुत अच्छा लगा ..
इनकी ब्लॉग पर अंतिम पोस्ट .....
कितनी दूर चला आया हूँ,
कितनी दूर अभी है जाना।
राह है लंबी या ये जीवन,
नहीं अभी तक मैंने जाना।
अपने इन जाने वाले साथियों को याद करते हुए अब ले चल रही हूँ आज के अपने ब्लॉगर्स की नयी रचनाओं की ओर ..... जो अपनी रचनाओं के माध्यम से सबको आकर्षित करते हैं ....
सबसे पहले अनीता जी की रचना ....... आप नियमित और निरंतर लेखन कर रही हैं ..... इसके लिए आपको मेरा नमन ....
खोया नहीं है जो
खोया नहीं है जो
खोया हुआ सा लगता है
जैसे शशि झील में
सोया हुआ सा लगता है
न ही दूर गया उससे
न जा सकता है बाहर
कोई बीज धरा की गहराई में जैसे
बोया हुआ सा लगता है |
अनीता जी ने लिखा है खोया नहीं है जो ........ लेकिन अगली पोस्ट में सोचने पर मजबूर किया जा रहा कि
क्या इंसान हाथ पैर खो कर भी निखर सकता है ? आपका क्या ख़याल है ? पढ़िए जिज्ञासा जी की लघु कथा
बोनसाई
अरे तुम्हें ये क्या हो गया ?कैसे इतनी चोट लग गई ? मैं तुम्हें कई दिनों से ढूंढ रही थी ।
तुम्हारा फोन नंबर भी बंद आ रहा था ।
कहां थे तुम ? बगीचा कितना गन्दा हो गया है ।
नए साल में शरद जी दुआ मांग रही हैं कि काश ऐसा हो .....
नए साल में हर नई बात हो।
ख़ुशियों की हरदम ही बरसात हो।
हो इंसानियत की तरफ़दारियां
सभी के दिलों में ये जज़्बात हो।
ऐसी दुआ तो बनती है ...... पिछला वर्ष बहुत लोगों के मन में एक सन्नाटा खींच गया उनमें से एक शरद जी आप भी हैं और एक और ब्लॉगर अंजना जी ने अपनी दास्ताँ कुछ ऐसे लिखी है ....
नया साल सभी को मुबारक हो!
मगर इस नए साल की खुशियां कुछ अधूरी हैं क्यूंकि अब सैकड़ों लोगों की दुनिया ही अधूरी हो गयी है! हमारा परिवार भी उन सैकड़ों लोगों में से है, जिन्होंने अपने प्रियजनों को Covid में खो दिया। पिछले साल अप्रैल/मई में हमने अपनी मम्मी और बड़े मामू को Covid ke Delta varient के प्रहार में खो दिया। जब तक हमें पता लगा की मम्मी को covid है, बहुत देर हो चुकी थी.
प्रतिभा सक्सेना जी ने नूतन वर्ष से निवेदन किया है कि विश्व के मंगल के लिए तुम आओ ... इस धरा पर उतरो ....
मुझे आश्चर्य होता है कि हर एक के पास इस नए साल के लिए कितने विविध विचार हैं .......
रश्मि प्रभा जी की प्रखर लेखनी नए साल के मन के भावों को उकेर रही है .....सबसे ज्यादा मुझे प्रभावित किया उसके द्वारा मृत्युंजय जाप ने ..... आप भी पढ़ें इस रचना को .....
नया साल,
कुछ शोर
कुछ सन्नाटे में आया
और एक पूरा दिन गुजारकर
अंगीठी के आगे बैठ गया है ।
बीते साल का सूप पीते हुए
(साल को ही सूप की उपमा दे दी , बस गजब ही है )
चलिए ---बीते साल का सूप पीते हुए , अब मुझे इजाज़त दें ........ सभी पाठकों की प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहेगा ..... आपके सुझावों का स्वागत है ..... सामर्थ्य अनुरूप आपकी बात को पूरा करने का हमेशा प्रयास रहता है .....
फिर मिलते हैं एक नयी हलचल के साथ नमस्कार ....
संगीता स्वरुप
नए साल में हर नई बात हो।
जवाब देंहटाएंख़ुशियों की हरदम ही बरसात हो।
आभार इस खुशगवार अंक के लिए..
सादर नमन...
शुक्रिया यशोदा !!!
हटाएंनए साल की मंगलकामना
जवाब देंहटाएंसादर प्रणाम
नव वर्ष की शुभकामनाएँ !
हटाएंगत वर्ष नये की पीठिका रच कर चला गया.संगीता जी, आपने उसे नये की प्रस्तावना बना कर काल की समग्रता को व्यञ्जित कर दिया. बहुत प्रभावी प्रस्तुतीकरण और उपयुक्त चुनाववाली ये रचनाएँ बीते संतापो से आगे आगत के प्रति आशान्वित करती हैं. धन्यवाद स्वीकारें!
जवाब देंहटाएंप्रतिभा जी ,
हटाएंआपकी उपस्थिति ने मुझे आशीर्वाद दे दिया .... आभार । 🙏🙏
सभी को नूतन वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं और असंख्य बधाइयां 💐💐🙏🙏
जवाब देंहटाएंबहुत ही शानदार अंक, एक एक सृजन पर जाने की कोशिश करूंगी, क्योंकि सभी के ब्लॉग का परिचय ही मन को मोह गया है👌👌
इतना विस्तृत, रोचक और सराहनीय अंक प्रस्तुत करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय दीदी, इन्हीं के मध्य मेरे सृजन को स्थान मिलना मेरा सौभाग्य है,आपके श्रमसाध्य कार्य और स्नेह को मेरा नमन और वंदन, सभी रचनाकारों को मेरी हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं💐💐
प्रिय जिज्ञासा ,
हटाएंखुशी हुई कि हर लिंक पर पहुँचने की ख्वाहिश रखती हो , क्यों कि नई रचनाओं के लिंक आसानी से लगाये जा सकते हैं लेकिन पुरानी रचनाएँ चुनने के लिए ब्लॉग को खंगालना पड़ता है । पाठक यदि हर लिंक पर जाता है तो लिंक देने वाले का श्रम सफल हो जाता है ।
हृदय से शुक्रिया ।
आज कई महत्वपूर्ण ब्लॉग / आर्काइव की जानकारी आदरणीया संगीता स्वरूप जी के माध्यम से इस पटल पर मिल पाई। वे निश्चित रूप से बधाई की पात्र हैः।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुभकामनाएं।।।।।
तहेदिल से शुक्रिया पुरुषोत्तम जी ।
हटाएंखोए हुए नायाब मोतियों को आपने संकलन के धागे में पिरोकर ,नये साल में जो श्रृद्धा की माला अर्पित की है वो अवर्णनीय है आदरणीय संगीता जी।
जवाब देंहटाएंभाव भीनी श्रद्धांजलि आँखे नम कर गई ।
साधुवाद 🙏🏼
आज की प्रस्तुति कठिन श्रम साध्य है ,समय देकर अवलोकन करूंगी।
सभी नवीन सिम्मलित रचना कारों को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
बधाई।
शानदार हृदय स्पर्शी प्रस्तुति।
सादर सस्नेह।
कुसुम जी ,
हटाएंआप जैसे पाठकों से ही हम लोगों के हौसले बुलंद होते हैं । सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद ।
बिछड़े हुए साथियों को स्मरण करना मुझे आवश्यक लगा । उनका लिखा हमेशा उनकी याद दिलाता रहेगा । 🙏🙏
क्रम से श्रद्धांजलि, और साँसों की पुकार को आपने बखूबी संजो दिया है, इस पहली हलचल को आपने अमर कर दिया - शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंआभार रश्मि जी ।।
हटाएंआपके शब्द मेरी कलम की ताकत हैं ।
जो चले गए वे अपने अमूल्य शब्दों के माध्यम से हमेशा अमर रहेंगे। आपकी इस हलचल के माध्यम से मेरी भावपूर्ण श्रद्धांजलि ब्लॉगर मित्रों को।
जवाब देंहटाएंशिखा ,
हटाएंतहेदिल से शुक्रिया ।।
आज की प्रस्तुति श्रमसाध्य कार्य। श्रद्धा की बात और जीवन के शाश्वत सत्य से रूबरू हो आँखों में नमी सी तैर गई।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर संग्रहणीय योग्य अंक।
शुभकामनाएँ।
शुक्रिया पम्मी ।आप सबका साथ हौसला बढ़ाता है ।।
हटाएंआज की प्रस्तुति बहुत ही उम्दा व सरहानीय है!
जवाब देंहटाएंसभी अंक एक से बढ़कर एक हैं! जितनी तारीफ की जाए कम ही है! इतनी मेहनत से इतना बेहतरीन अंक प्रस्तुत करने के लिए आपका तहेदिल से बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय🙏🙏🙏
शुक्रिया मनीषा ।
हटाएंतुम्हारे जैसे पाठक हमारी ताकत हैं ।
प्रिय दी,
जवाब देंहटाएंसर्वप्रथम नववर्ष के इस बहुमल्य उपहार के लिए
हृदय से आभार।
समय की चाल में जो अपनी साँसें हार गये किंतु अपनी कर्मों की स्याही से साहित्यिक आसमान पर अमिट हस्ताक्षर कर गये, सभी को करबद्ध नमन।
एक-एक सूत्र को जितने मनोयोग से आपने संजोया है जितनी मेहनत से आपने यह अंक तैयार किया है वह प्रशंसा से परे है।
श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए नम आँखों को
"जाने वाले पलों को स्मृतियों में गूँथकर साथ साथ चल रहे पलों से क़दमताल करते हुए आओ भविष्य के स्वप्न
बुने" यह सारगर्भित संदेश देती सद्य प्रकाशित रचनाओं ने उत्साह और सकारात्मकता का संचार किया।
सभी रचनाएँ बहुत अच्छी हैं।
बोनसाई होकर भी
खोया नहीं है जो
नया साल मुबारक कहते हुए
नम आँख में
मम्मी वो तुम हो
पर फिर भी...
नया साल
विश्व- मंगल हेतु उतरो धरा पर नववर्ष।
अगले पाक्षिक विशेषांक की प्रतीक्षा है दी।
सप्रेम
प्रणाम
सादर।
प्रिय श्वेता
हटाएंप्रस्तुति पर आत्मीय प्रतिक्रिया से आनंदित हूँ ।
हर लिंक को शब्दों में गूंथ कर खूब सुंदर रचा है ।
हौसला अफजाई के लिए दिली शुक्रिया ।
सर्वप्रथम,उन सभी गुणीजनो को सत सत नमन जिन्हें पिछले साल कोविड नाम के राक्षस ने निगल लिया। आप ने जितने साहित्यकारों का जिक्र किया है उनमें मैं तो सिर्फ"वर्षा जी" को ही जानती थी।उनका जाना हम सभी के लिए किसी सदमे से कम नहीं था।
जवाब देंहटाएंइन सभी ब्लॉगर साथियों को मेरी भावपूर्ण श्रद्धांजलि 🙏
आप की श्रमसाध्य कार्य को हृदय से नमन दी
आप सभी साथियों को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं
परमात्मा से यही प्रार्थना है कि ये साल तो सुरक्षित बीते।
प्रिय कामिनी,
हटाएंइन सभी ब्लॉगर साथियों को मैंने खूब पढ़ा है ,खास तौर पर कैलाश जी और वर्षा जी को । ब्लॉगर के रूप में ही सबसे पहचान थी और बिना जान पहचान के आत्मीयता भी । वक़्त बेवक़्त याद तो आएंगे ही ।
सबकी दुआओं से शायद ये साल सुरक्षित बीते ।
शुक्रिया ।
सुंदर सराहनीय संकलन
जवाब देंहटाएंवर्षा जी को भूलाना असंभव है
आभार भारती जी ।
हटाएंहलचल का यह पाक्षिक अंक कई अर्थों में बेहतरीन माना जा सकता है। आपने बहुत ही श्रम से इसे संवारा है। जो चले गए, उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि ! नये वर्ष के लिए मंगल कामनाएँ
जवाब देंहटाएंअनिता जी ,
हटाएंआपके द्वारा इस अंक को बेहतरीन कहना मेरे लिए सुखद है ।
आभार ।
बहुत बढ़िया....। गहन...।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया संदीप जी ।
हटाएंहमेशा की तरह बहुत ही लाजवाब हलचल प्रस्तुति आपकी...। कल सभी लिंक पढ़ते-पढ़ते आधी रात गुजर गयी इसलिए यहाँ प्रतिक्रिया नहीं दे पायी.....दिवंगत रचनाकारों की स्मृति और उनके लिंक नये साल पर आभासी दिवंगत साथियों के नाम श्रद्धांजली वाकई काबिलेतारीफ है और ऐसा सिर्फ आप कर सकती हैं शत शत नमन आपको एवं आपकी इस श्रमसाध्य प्रस्तुति को...🙏🙏🙏🙏🙏🙏।
जवाब देंहटाएंनववर्ष की अनंत शुभकामनाएं।💐💐💐💐
नववर्ष पर इतना ख़ूबसूरत अंक प्रस्तुत करने के लिए आपका आभार और नववर्ष पर सभी को शुभकामनाएँ …ईश्वर करे यह नूतन वर्ष ख़ुशियों की सौग़ात लाए💐🙏
हटाएंगत वर्ष जो साथी कोरोना के कारण बिछड़ गए उनको आपने बेहद संवेदनापूर्ण तरीके से याद किया है पढ़ कर आँखें नम हो गईं…मेरी भी श्रद्धांजलि 🙏
सभी के ब्लॉग पर जाकर सभी रचनाओं को पढ़ने का पूरा प्रयास रहेगा।….हमेशा की तरह आपने इस प्रस्तुति को भी बेहद परिश्रम से तैयार किया है …आपको बहुत बधाई 💐💐💐
सुधा जी ,
हटाएंमुझे लग रहा था कि आज इस प्रस्तुति पर कुछ लिंक ज्यादा हो गए हैं और आपको काफी समय लग रहा होगा सब तक पहुंचने में ।
लेकिन मैं धैर्य से आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा कर रही थी बिल्कुल ऐसे जैसे गर्म चाय पीने में की जाती है ।😍😍
आपकी प्रतिक्रिया पा कर सुकून का आभास हुआ ।
आभार
उषा जी ,
हटाएंआपकी भावमयी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार ।
ब्लॉगर मित्रों को खोना दुखद है, अपने सभी साथियों को विनम्र श्रद्धांजलि🙏 गिरिजेश जी,कैलाश जी की रचनाओं का पॉडकास्ट बनाया था तब से बात होती थी,अब यादें शेष हैं।
जवाब देंहटाएंअर्चना जी ,
हटाएंसच कह रही हैं आप , वैसे स्मृतियाँ शेष रहें यही काफी है ।
आप यहाँ आयीं , इसके लिए आभार ।
प्रिय दीदी, आपकी प्रस्तुति कल सुबह से ही भावनाओं के समन्दर में गोते लगवा कर आँखें नम करवा रही है। अपने-अपने घरों में सिमटे लोगों का एक दूसरे से परिचय होने से , ये एक सयुंक्त परिवार-सा ही आभास कराता है। और उनमें से किसी के जानें पर बहुत वेदना होती है। वर्षा जी का अचानक जाना स्तब्ध कर गया और सभी बहुत विचलित रहे। कैलाश जी चुपचाप चले गए और उनके जाने की सूचना फेसबुक पर , रश्मि जी की वाल से मिली | वर्षा जी और कैलाश सर से फेसबुक पर दो-तीन बार बात हुई। एक बार कैलाश जी ने ब्लॉग पर मेरी लम्बी अनुपस्थिति का कारण पूछा तो दुसरी बार किसी त्यौहार की शुभकामनाएं दी और अत्यंत आत्मीयता से मेरी एक रचना की सराहना की तो मुझे बहुत अच्छा लगा | वर्षा जी ने कई बार शुभकामनाएं भेजी और क्षत्रिय समाज की एक-दो गतिविधि के बारे में बात हुई |उन्होंने मुझे एक उपक्रम से जुड़ने का आग्रह भी किया पर मैंने समयाभाव के कारण विनम्रता से मना कर दिया | दोनों के ही जाने का बहुत मलाल रहा ।गिरिजेश जी के सुविख्यात ब्लॉग से मेरा परिचय न जाने क्यों ज्यादा नही था, पर कई बार उनके ब्लॉग पर गई जरूर हूँ । 💐मैंने उनके ब्लॉग पर बहुधा नहीं लिखा। न जाने क्यों ! शायद उनकी रचनाओं पर लिखने योग्य खुद को नहीं पाती थी क्योंकि बहुत गूढ़ था उनका लेखन ।और ईमानदारी से कहूँ ,तो अशोक जी के ब्लॉग पर पहली बार गयी | दिवंगत चारो रचनाकारों का लेखन ब्लॉग के माध्यम से पीढियाँ पढ़ेंगी और प्रेरक मूल्यांकन करेंगी | वर्षा जी की गज़लें , गिरिजेश जी के उम्दा लेख और कवितायें , अशोक जी की सुंदर कविताएँ और बहुरंगी आभा लिए कैलाश जी की आध्यात्मिक रचनाएँ और सबसे ज्यादा उनके मार्मिक और भावपूर्ण मुक्तक सदैव सराहे जायेंगे |पर मन अनायास भावुक हो जाता है जब उनकी अंतिम रचना पढ़ी जाती है जिसे लिखते समय संभवतः उन्होंने सोचा भी ना होगा कि ये ब्लॉग पर अथवा जीवन की उनकी अंतिम पोस्ट है |चारों स्मृति शेष अनंत यायावरों की पुण्य स्मृति को सादर नमन और श्रद्धांजलि| वो पंक्तियाँ लिख रही हूँ सबके लिए ----- जो कभी वर्षा जी के लिए लिखी थी |-----------
जवाब देंहटाएंलौट आओ दोस्त सूनी हैं दिल के
नज़्म है उदास//थमे ग़ज़लों के सिलसिले//,
अंतस में घोर सन्नाटे हैं।//सजल नैनों में ज्वार-भाटे हैं//
बिछड़े जो इस तरह गए//ना जाने किस राह चले?////////
आपने सराहना से परे प्रस्तुति दी है | वर्ष के आरम्भ में ही इस पहली प्रस्तुति का कोई जवाब नहीं |
जिज्ञासा जी लघुकथा , अनीता जी की सरस कविता . रश्मि जी के अभिनव छन्दमुक्त सृजन के साथ प्रतिभा जी की सदभावनाओं से भरी रचना , सभी शानदार हैं | कल पूरा दिन कोशिश करती रही लिखने की, पर संभव ना हो सका |फिर सोचा सभी लिंकों पर प्रतिक्रिया के बाद यहाँ लिखती हूँ तो टिप्पणी लिखते समय मेरा हिंदी टूल पथभ्रष्ट हो गया | सारे जतन किये पर वो चल ना पाया अब बहुत देर बाद लिख पा रही जिसके लिए आपसे क्षमाप्रार्थी हूँ |मुझे भी सबसे बाद में लिखने से अफ़सोस होता है क्योकि देर से आने के कारण मेरे विचार दूसरे पाठकों तक नहीं पहुँच पाते | बहरहाल , आपके हाथों से बनी वर्ष की पहली प्रस्तुति में शामिल सौभाग्यशाली सभी रचनाकारों को सादर नमन और शुभकामनाएं|आपको आभार शब्द कहूँ तो बहुत छोटा है |आपकी उपस्थिति सदैव मंच को गरिमा प्रदान करती रहे , यही दुआ है |अंत में प्रतिभा जी की सद्भावना भरी पंक्ति से बात समाप्त करती हूँ ----
विश्व - मंगल हेतु उतरो धरा पर नव वर्ष ...
सादर प्रणाम और आभार |
ये बस एक प्रतिक्रिया है या अनमोल प्रतिभा का बिम्ब, निःशब्द हूं, इतनी सारगर्भित और सार्थक समीक्षा रूपी प्रतिक्रिया पढ़कर, मैं चाहकर भी अभी तक सारे सूत्रों पर नहीं जा पाई हूं,पर जाऊंगी जरूर इन अनमोल ब्लॉग्स पर ।
हटाएंआपको मेरा हार्दिक नमन 💐💐
संशोधित*
हटाएंलौट आओ दोस्त सूनी हैं दिल की महफिलें
🙏🙏
प्रिय रेणु ,
हटाएंतुम्हारी प्रतिक्रिया हम चर्चाकारों के लिए अत्यधिक महत्त्वपूर्ण होती है ।
बेताबी से प्रतीक्षित तुम्हारी प्रतिक्रिया पा कर सुकून का अहसास हुआ । तुम्हारे दिए सुझाव के कारण ही इस प्रस्तुति को मैं दे पाई ।
बाकी सबके ब्लॉग पर जाना मेरे लिए आसान था क्यों कि ये सब मेरे ब्लॉग पर आते रहे थे लेकिन गिरिजेश जी का प्रोफ़ाइल ढूंढना ज़रा मुश्किल काम था क्योंकि वो सबके ब्लॉग पर नहीं जाते थे । खैर .....गिरिजेश जी के ब्लॉग को पढ़ा तो मैंने बहुत था लेकिन वहाँ उपस्थिति कम ही दर्ज कराई थी , शायद जो तुमने कारण लिखा है वही कहीं मन में होगा ।हमें अपने साथियों को समय समय पर उनकी रचनाओं के माध्यम से याद करते रहना चाहिए । ये जज़्बा मैंने तुम्हारे अंदर देखा है ।
इस प्रस्तुति से ज्यादा सुंदर तुम्हारी प्रतिक्रिया रूपी समीक्षा है ।
इसके लिए हृदयतल से आभार । 🙏🙏
बहुत आभार प्रिय जिज्ञासा जी। ये आप सब का स्नेह है बस 🙏🌷🌷💐💐
जवाब देंहटाएंसभी ब्लॉग्स पर आज जा पाई । सबसे पहले आपके विलक्षण श्रम को नमन और वंदन 🙏🙏
जवाब देंहटाएंमैं 2018 से पहले के किसी ब्लॉग्स पर नहीं है थी, आपने जाने और उस समय के लेखन को समझने का मौका दिया आपका बहुत धन्यवाद । आपको मेरी हार्दिक शुभकामनाएं 💐💐🙏
शुक्रिया जिज्ञासा ,
हटाएंमेरी मेहनत को सफल करने के लिए ।
आपकी प्रस्तुति दिल को छू गई ...जो अनंत यात्रा पर निकल गए उनको विनम्र श्रद्धांजलि ...
जवाब देंहटाएंशुक्रिया निशा ,
हटाएंआप अपने ब्लॉग पर सक्रिय हैं या फेसबुक भा गया है ? .