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सोमवार, 3 जनवरी 2022

3262 /2022 ..... नव वर्ष की पहली पाक्षिक हलचल

 नमस्कार !  नव वर्ष की पहली पाक्षिक हलचल ले कर हाज़िर हूँ , आपकी अपनी " संगीता स्वरूप " । यूँ तो अभी  नए वर्ष की शुभकामनाएँ देने लेने का खुमार उतरा नहीं है ,तो आप सब इस खुमार के साथ मेरी भी नए वर्ष की शुभकामनाएँ स्वीकार करें । ये साल सबके लिए ही अच्छा हो ।

   आज नूतन वर्ष और गत वर्ष की देहरी पर खड़े हो कर जब पलट कर देखती हूँ तो यादों की जैसे पिटारी खुल जाती है । पिछले वर्ष हमने अपने कुछ ब्लॉगर के रूप में नायाब मोतियों को खो दिया । उनको याद करते हुए आज की हलचल बिछड़े हुए साथियों के नाम कर रही हूँ । 
सबके ब्लॉग तक नहीं पहुँच पाई लेकिन जाने वाले जिन ब्लॉगर्स के ब्लॉग तक पहुँच पाई उनकी रचनाएँ आपकी नज़र  हैं ......

गिरिजेश राव जी .... एक जाने माने ब्लॉगर रहे हैं ......ये कई   ब्लॉग्स   चला रहे थे .....लेकिन " एक आलसी का चिट्ठा " सबसे ज्यादा प्रचलित था .....आप इनके प्रोफाइल पर इस लिंक से पहुँच सकते हैं





मुख्य रूप से इनके दो ब्लॉग्स की प्रथम और अंतिम पोस्ट आपके सम्मुख रख रही हूँ .....




दूसरा  ब्लॉग  है .... कवितायेँ और कवि भी 


प्रार्थना .... ब्लॉग  पर  मेरी पहली कविता ..... छोटी सी कविता के माध्यम से सुन्दर भावों  से सजी  खूबसूरत प्रार्थना है .

१३ फरवरी २०२१ को इनकी अंतिम पोस्ट आई है .... कोई दीप .

इनके ब्लॉग से कोई भी सामग्री कॉपी नहीं की जा सकती है ......इसलिए मैंने  केवल पोस्ट के  लिंक लगाये हैं ..... जो भी इनको पढना चाहें इनके दिए हुए प्रोफाइल के लिंक से सभी ब्लॉग तक पहुँच सकते हैं ..... 


अब आपको मिलवाते हैं एक वरिष्ठ  ब्लॉगर  से जो  ' अकेला " तखल्लुस लगाते थे ..... अशोक सलूजा जी  . 
इनका एक ही ब्लॉग है  .... यादें ...

इन्होने अपने ब्लॉग में अपने जीवन की स्मृतियों को ही पिरोया है ....
यादों का सफ़र से उन्होंने ब्लॉग पर दस्तक दी थी ....




मुझ को पाला था,पोसा था, बडा प्यार
दिया था मेरी नानी ने,
मुझ को अपने कन्धों पे घुमाया था,
मेरे मामा ने अपनी जवानी में॥
न माँ,न मौसी , न भाई, न बहना, न नाना
थी मेरी नानी,तो बस था एक ही मामा सयाना ॥


खुद तो झूल लिए थे 2012 में ...... और आज इस पोस्ट को देख हम उनको याद कर रहे हैं .... 

यादों... के बवंडर,
दुखों की आंधियां...
एक सदियों पीछे ले जाता है 
और एक मीलों आगे....

वैसे तो आगे बड़ने को ही जिन्दगी मानते हैं 
पर कभी-कभी पीछे मुड कर देखना भी 
बड़ा सुखद लगता है ,अपने छोड़े हुए कदमों 
के निशां,जिन रास्तों से हम चल के आये 
उन्हें अपने पीछे  छोड़ आये ,यादे हमेशा हमारे 
साथ-साथ चलती हैं |


शायद वो फेसबुक के  मित्रों से  कुछ नाराज़ से हो गए थे ....और उन्होंने  ब्लॉगर  साथियों से गुज़ारिश की ...

आ अब लौट चलें ......

छोड़ फेसबुक की झूठी रंगीन, फ़रेबी,दुनिया से......... अपने ब्लोगर की आभासी दुनिया में ,...
जहाँ थम्स अप का अंगूठा नही, चापलूसी की टिप्पणी नही दिल से निकले प्यारे अल्फाजों की पुकार है दुलार है और समझाने के लिए प्यार से भरी फटकार भी है....सब अपने हैं न... बस इसी लिए, अपने आभासी परिवार के दुःख सुख के साथी...

आ अब लौट चलें ......


यह इनकी अंतिम पोस्ट थी ...... और ये चले गए कभी न लौटने के लिए .... 





आज के सक्रीय  ब्लॉगर्स  इनसे बहुत अच्छी तरह परिचित हैं ...... इनका जाना  सबको कितना व्यथित कर गया था ये मैंने बहुत से  ब्लॉगर्स   की पोस्ट पढ़ कर   जाना  ......उनके लेखन और उनकी आत्मीयता को हम बिसरा नहीं सकते .... 




पहली पोस्ट ...... मात्र दो शेर  लेकिन गहन भाव भरे हुए .....


देश के प्रति जो भाव प्रेषित किये उसको आपके साथ साझा कर ख़ुशी हो रही है ....

देव भूमि-सा है देश


यह रचना  2011  की है और  2021  में गणतंत्र दिवस पर उन्होंने क्या कहा ....एक नज़र डालते हैं ..... 

लाख ज़ुल्म-ओ-सितम किए जाएं

अम्न की आरती सजानी है


हिन्द की सरज़मीन जन्नत है

इस पे क़ुर्बान हर जवानी है


तआरुफ़ पूछिए न "वर्षा" का

मेघ और बूंद की इक कहानी है


इनकी अंतिम पोस्ट के रूप में इनकी पुस्तक .... ग़ज़ल जब बात करती है .... की समीक्षा प्रस्तुत करी गयी है ... और अब बस इनकी ग़ज़लें ही हम पाठकों से बात कर पाएँगी ...... आप हमें अपनी ग़ज़लों में मिलेंगी ..



और अब मैं आपके समक्ष ला रही हूँ कैलाश शर्मा जी का ब्लॉग ......


कैलाश शर्मा जी ....




आप इनके प्रोफाइल से इनके सभी ब्लॉग तक पहुँच सकते हैं ....इनके चार ब्लॉग्स हैं ..... एक में अध्यात्मिक यात्रा तो एक में बच्चों के लिए बाल कवितायेँ ...... और तीसरे में दुनियादारी की बातें हैं तो चौथे में मन की भावनाओं का वेग समाहित है . ...... मैं आपको इनकी कविताओं से मिलवा रही हूँ ......


नके ब्लॉग की पहली कविता ....


आयेगा कहाँ से गाँधी


नया साल आता है और सब आने वाले साल का स्वागत करते हैं ....लेकिन कभी कभी मन जाने वाले के लिए भी द्रवित हो  उठता  है ..... उसकी बानगी देखिये 

अलविदा ! वर्ष  2010 



एक और वर्ष
सीने में लाखों दर्द छुपाये 
घिसटते हुए 
दम तोड़ने वाला  है.


कितना सहा,
होठों पर लाकर मुस्कान 
दर्द को कितना छुपाना चाहा.
कब तक कोई
ग़मों से समझौता करता जाए,


और एक वर्ष पश्चात ........ एक नयी रचना .....


हे आने वाले वर्ष तुम्हारा अभिनन्दन




  हे जाने वाले वर्ष तुम्हारा अभिनन्दन,
नव जाग्रति लाने वाले, तेरा अभिनन्दन.


कुछ बीज नये बोये थे तुमने आँगन में,
प्रस्फुटित हो रहे अब मिट्टी के सीने से,
सोयी जनता ने ली है फिर से अंगड़ाई,
अनुपम उपलब्धि पर करते तेरा वन्दन.


इनके लिखे मुक्तक जीवन की सच्चाई को इंगित करते  हैं  .....इस पोस्ट में सब कुछ समेटना सरल नहीं .....आप जो पाठक पढना चाहें स्वयं ही पहुँचने का प्रयास करें ...... इनका लेखन मेरे मन के भावों से बहुत मेल  खाता  था ..... इसलिए मुझे बहुत  इनको पढना  हमेशा बहुत अच्छा लगा .. 

इनकी ब्लॉग पर अंतिम पोस्ट .....


जीवन यात्रा


कितनी दूर चला आया हूँ,

कितनी दूर अभी है जाना।

राह है लंबी या ये जीवन,

नहीं अभी तक मैंने जाना।


अपने इन जाने वाले साथियों को याद करते हुए अब ले चल रही हूँ आज के अपने ब्लॉगर्स की नयी रचनाओं की ओर ..... जो अपनी रचनाओं के माध्यम से सबको आकर्षित करते हैं .... 

सबसे पहले अनीता जी की रचना ....... आप नियमित और निरंतर  लेखन कर रही हैं ..... इसके लिए आपको मेरा नमन  .... 


खोया नहीं है जो 


खोया नहीं है जो 

खोया हुआ सा लगता है 

जैसे शशि झील में 

सोया हुआ सा लगता है 

न ही दूर गया उससे 

न  जा सकता है बाहर 

कोई बीज धरा की गहराई में जैसे 

बोया हुआ सा लगता है |


अनीता जी ने लिखा है खोया नहीं है जो ........ लेकिन अगली पोस्ट में सोचने पर मजबूर किया जा रहा कि

क्या इंसान हाथ पैर खो कर भी निखर सकता है ? आपका क्या ख़याल है ? पढ़िए जिज्ञासा जी की लघु कथा

बोनसाई



अरे तुम्हें ये क्या हो गया ?
कैसे इतनी चोट लग गई ? मैं तुम्हें कई दिनों से ढूंढ रही थी ।
तुम्हारा फोन नंबर भी बंद आ रहा था । 
 कहां थे तुम ? बगीचा कितना गन्दा हो गया है ।


नए साल में शरद जी दुआ मांग रही हैं कि काश ऐसा हो ..... 

नए साल में 


नए    साल   में    हर   नई   बात हो।
ख़ुशियों  की   हरदम ही  बरसात हो।

हो  इंसानियत    की    तरफ़दारियां
सभी  के  दिलों  में   ये  जज़्बात हो।

ऐसी दुआ तो बनती है ...... पिछला वर्ष बहुत लोगों के मन में एक सन्नाटा खींच गया उनमें से एक शरद जी आप भी हैं  और एक और ब्लॉगर  अंजना जी  ने अपनी दास्ताँ कुछ ऐसे लिखी है ....

नया साल सभी को मुबारक हो! 

मगर इस नए साल की खुशियां कुछ अधूरी हैं क्यूंकि अब सैकड़ों लोगों की दुनिया ही अधूरी हो गयी है! हमारा परिवार भी उन सैकड़ों लोगों में से है, जिन्होंने अपने प्रियजनों को Covid में खो दिया। पिछले साल अप्रैल/मई में हमने अपनी मम्मी और बड़े मामू को Covid ke Delta varient के प्रहार में खो दिया। जब तक हमें पता लगा की मम्मी को covid है, बहुत देर हो चुकी थी.

  प्रतिभा  सक्सेना  जी ने नूतन  वर्ष से निवेदन किया है कि  विश्व के मंगल के लिए तुम आओ ... इस धरा पर उतरो ...


 मुझे आश्चर्य होता है कि हर एक के पास इस नए साल के लिए कितने विविध विचार हैं ....... 
रश्मि प्रभा जी की प्रखर लेखनी नए साल के मन के भावों को उकेर रही है .....सबसे ज्यादा मुझे प्रभावित किया उसके द्वारा  मृत्युंजय  जाप ने ..... आप भी पढ़ें इस रचना को .....


नया साल,

 कुछ शोर

कुछ सन्नाटे में आया

और एक पूरा दिन गुजारकर

अंगीठी के आगे बैठ गया है ।

बीते साल का सूप पीते हुए

(साल को ही सूप की उपमा दे दी  , बस गजब ही है )


चलिए ---बीते साल का सूप पीते हुए , अब मुझे इजाज़त दें ........  सभी पाठकों की प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहेगा ..... आपके सुझावों का स्वागत है ..... सामर्थ्य अनुरूप आपकी बात को पूरा करने का हमेशा प्रयास रहता है ..... 

फिर मिलते हैं एक नयी हलचल के साथ  नमस्कार .... 

संगीता स्वरुप 









45 टिप्‍पणियां:

  1. नए साल में हर नई बात हो।
    ख़ुशियों की हरदम ही बरसात हो।
    आभार इस खुशगवार अंक के लिए..
    सादर नमन...

    जवाब देंहटाएं
  2. गत वर्ष नये की पीठिका रच कर चला गया.संगीता जी, आपने उसे नये की प्रस्तावना बना कर काल की समग्रता को व्यञ्जित कर दिया. बहुत प्रभावी प्रस्तुतीकरण और उपयुक्त चुनाववाली ये रचनाएँ बीते संतापो से आगे आगत के प्रति आशान्वित करती हैं. धन्यवाद स्वीकारें!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रतिभा जी ,
      आपकी उपस्थिति ने मुझे आशीर्वाद दे दिया .... आभार । 🙏🙏

      हटाएं
  3. सभी को नूतन वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं और असंख्य बधाइयां 💐💐🙏🙏
    बहुत ही शानदार अंक, एक एक सृजन पर जाने की कोशिश करूंगी, क्योंकि सभी के ब्लॉग का परिचय ही मन को मोह गया है👌👌
    इतना विस्तृत, रोचक और सराहनीय अंक प्रस्तुत करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय दीदी, इन्हीं के मध्य मेरे सृजन को स्थान मिलना मेरा सौभाग्य है,आपके श्रमसाध्य कार्य और स्नेह को मेरा नमन और वंदन, सभी रचनाकारों को मेरी हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं💐💐

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    उत्तर
    1. प्रिय जिज्ञासा ,
      खुशी हुई कि हर लिंक पर पहुँचने की ख्वाहिश रखती हो , क्यों कि नई रचनाओं के लिंक आसानी से लगाये जा सकते हैं लेकिन पुरानी रचनाएँ चुनने के लिए ब्लॉग को खंगालना पड़ता है । पाठक यदि हर लिंक पर जाता है तो लिंक देने वाले का श्रम सफल हो जाता है ।
      हृदय से शुक्रिया ।

      हटाएं
  4. आज कई महत्वपूर्ण ब्लॉग / आर्काइव की जानकारी आदरणीया संगीता स्वरूप जी के माध्यम से इस पटल पर मिल पाई। वे निश्चित रूप से बधाई की पात्र हैः।
    बहुत बहुत शुभकामनाएं।।।।।

    जवाब देंहटाएं
  5. खोए हुए नायाब मोतियों को आपने संकलन के धागे में पिरोकर ,नये साल में जो श्रृद्धा की माला अर्पित की है वो अवर्णनीय है आदरणीय संगीता जी।
    भाव भीनी श्रद्धांजलि आँखे नम कर गई ।
    साधुवाद 🙏🏼
    आज की प्रस्तुति कठिन श्रम साध्य है ,समय देकर अवलोकन करूंगी।
    सभी नवीन सिम्मलित रचना कारों को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
    बधाई।
    शानदार हृदय स्पर्शी प्रस्तुति।
    सादर सस्नेह।

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    उत्तर
    1. कुसुम जी ,
      आप जैसे पाठकों से ही हम लोगों के हौसले बुलंद होते हैं । सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद ।
      बिछड़े हुए साथियों को स्मरण करना मुझे आवश्यक लगा । उनका लिखा हमेशा उनकी याद दिलाता रहेगा । 🙏🙏

      हटाएं
  6. क्रम से श्रद्धांजलि, और साँसों की पुकार को आपने बखूबी संजो दिया है, इस पहली हलचल को आपने अमर कर दिया - शुभकामनाएं

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  7. जो चले गए वे अपने अमूल्य शब्दों के माध्यम से हमेशा अमर रहेंगे। आपकी इस हलचल के माध्यम से मेरी भावपूर्ण श्रद्धांजलि ब्लॉगर मित्रों को।

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  8. आज की प्रस्तुति श्रमसाध्य कार्य। श्रद्धा की बात और जीवन के शाश्वत सत्य से रूबरू हो आँखों में नमी सी तैर गई।
    बहुत ही सुंदर संग्रहणीय योग्य अंक।
    शुभकामनाएँ।

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  9. आज की प्रस्तुति बहुत ही उम्दा व सरहानीय है!
    सभी अंक एक से बढ़कर एक हैं! जितनी तारीफ की जाए कम ही है! इतनी मेहनत से इतना बेहतरीन अंक प्रस्तुत करने के लिए आपका तहेदिल से बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय🙏🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. शुक्रिया मनीषा ।
      तुम्हारे जैसे पाठक हमारी ताकत हैं ।

      हटाएं
  10. प्रिय दी,
    सर्वप्रथम नववर्ष के इस बहुमल्य उपहार के लिए
    हृदय से आभार।
    समय की चाल में जो अपनी साँसें हार गये किंतु अपनी कर्मों की स्याही से साहित्यिक आसमान पर अमिट हस्ताक्षर कर गये, सभी को करबद्ध नमन।
    एक-एक सूत्र को जितने मनोयोग से आपने संजोया है जितनी मेहनत से आपने यह अंक तैयार किया है वह प्रशंसा से परे है।
    श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए नम आँखों को
    "जाने वाले पलों को स्मृतियों में गूँथकर साथ साथ चल रहे पलों से क़दमताल करते हुए आओ भविष्य के स्वप्न
    बुने" यह सारगर्भित संदेश देती सद्य प्रकाशित रचनाओं ने उत्साह और सकारात्मकता का संचार किया।
    सभी रचनाएँ बहुत अच्छी हैं।
    बोनसाई होकर भी
    खोया नहीं है जो
    नया साल मुबारक कहते हुए
    नम आँख में
    मम्मी वो तुम हो
    पर फिर भी...
    नया साल
    विश्व- मंगल हेतु उतरो धरा पर नववर्ष।

    अगले पाक्षिक विशेषांक की प्रतीक्षा है दी।
    सप्रेम
    प्रणाम
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय श्वेता
      प्रस्तुति पर आत्मीय प्रतिक्रिया से आनंदित हूँ ।
      हर लिंक को शब्दों में गूंथ कर खूब सुंदर रचा है ।
      हौसला अफजाई के लिए दिली शुक्रिया ।

      हटाएं
  11. सर्वप्रथम,उन सभी गुणीजनो को सत सत नमन जिन्हें पिछले साल कोविड नाम के राक्षस ने निगल लिया। आप ने जितने साहित्यकारों का जिक्र किया है उनमें मैं तो सिर्फ"वर्षा जी" को ही जानती थी।उनका जाना हम सभी के लिए किसी सदमे से कम नहीं था।
    इन सभी ब्लॉगर साथियों को मेरी भावपूर्ण श्रद्धांजलि 🙏

    आप की श्रमसाध्य कार्य को हृदय से नमन दी
    आप सभी साथियों को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं
    परमात्मा से यही प्रार्थना है कि ये साल तो सुरक्षित बीते।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय कामिनी,
      इन सभी ब्लॉगर साथियों को मैंने खूब पढ़ा है ,खास तौर पर कैलाश जी और वर्षा जी को । ब्लॉगर के रूप में ही सबसे पहचान थी और बिना जान पहचान के आत्मीयता भी । वक़्त बेवक़्त याद तो आएंगे ही ।
      सबकी दुआओं से शायद ये साल सुरक्षित बीते ।
      शुक्रिया ।

      हटाएं
  12. सुंदर सराहनीय संकलन
    वर्षा जी को भूलाना असंभव है

    जवाब देंहटाएं
  13. हलचल का यह पाक्षिक अंक कई अर्थों में बेहतरीन माना जा सकता है। आपने बहुत ही श्रम से इसे संवारा है। जो चले गए, उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि ! नये वर्ष के लिए मंगल कामनाएँ

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. अनिता जी ,
      आपके द्वारा इस अंक को बेहतरीन कहना मेरे लिए सुखद है ।
      आभार ।

      हटाएं
  14. हमेशा की तरह बहुत ही लाजवाब हलचल प्रस्तुति आपकी...। कल सभी लिंक पढ़ते-पढ़ते आधी रात गुजर गयी इसलिए यहाँ प्रतिक्रिया नहीं दे पायी.....दिवंगत रचनाकारों की स्मृति और उनके लिंक नये साल पर आभासी दिवंगत साथियों के नाम श्रद्धांजली वाकई काबिलेतारीफ है और ऐसा सिर्फ आप कर सकती हैं शत शत नमन आपको एवं आपकी इस श्रमसाध्य प्रस्तुति को...🙏🙏🙏🙏🙏🙏।
    नववर्ष की अनंत शुभकामनाएं।💐💐💐💐

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    उत्तर
    1. नववर्ष पर इतना ख़ूबसूरत अंक प्रस्तुत करने के लिए आपका आभार और नववर्ष पर सभी को शुभकामनाएँ …ईश्वर करे यह नूतन वर्ष ख़ुशियों की सौग़ात लाए💐🙏
      गत वर्ष जो साथी कोरोना के कारण बिछड़ गए उनको आपने बेहद संवेदनापूर्ण तरीके से याद किया है पढ़ कर आँखें नम हो गईं…मेरी भी श्रद्धांजलि 🙏
      सभी के ब्लॉग पर जाकर सभी रचनाओं को पढ़ने का पूरा प्रयास रहेगा।….हमेशा की तरह आपने इस प्रस्तुति को भी बेहद परिश्रम से तैयार किया है …आपको बहुत बधाई 💐💐💐

      हटाएं
    2. सुधा जी ,
      मुझे लग रहा था कि आज इस प्रस्तुति पर कुछ लिंक ज्यादा हो गए हैं और आपको काफी समय लग रहा होगा सब तक पहुंचने में ।
      लेकिन मैं धैर्य से आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा कर रही थी बिल्कुल ऐसे जैसे गर्म चाय पीने में की जाती है ।😍😍
      आपकी प्रतिक्रिया पा कर सुकून का आभास हुआ ।
      आभार

      हटाएं
    3. उषा जी ,
      आपकी भावमयी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार ।

      हटाएं
  15. ब्लॉगर मित्रों को खोना दुखद है, अपने सभी साथियों को विनम्र श्रद्धांजलि🙏 गिरिजेश जी,कैलाश जी की रचनाओं का पॉडकास्ट बनाया था तब से बात होती थी,अब यादें शेष हैं।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. अर्चना जी ,
      सच कह रही हैं आप , वैसे स्मृतियाँ शेष रहें यही काफी है ।
      आप यहाँ आयीं , इसके लिए आभार ।

      हटाएं
  16. प्रिय दीदी, आपकी प्रस्तुति कल सुबह से ही भावनाओं के समन्दर में गोते लगवा कर आँखें नम करवा रही है। अपने-अपने घरों में सिमटे लोगों का एक दूसरे से परिचय होने से , ये एक सयुंक्त परिवार-सा ही आभास कराता है। और उनमें से किसी के जानें पर बहुत वेदना होती है। वर्षा जी का अचानक जाना स्तब्ध कर गया और सभी बहुत विचलित रहे। कैलाश जी चुपचाप चले गए और उनके जाने की सूचना फेसबुक पर , रश्मि जी की वाल से मिली | वर्षा जी और कैलाश सर से फेसबुक पर दो-तीन बार बात हुई। एक बार कैलाश जी ने ब्लॉग पर मेरी लम्बी अनुपस्थिति का कारण पूछा तो दुसरी बार किसी त्यौहार की शुभकामनाएं दी और अत्यंत आत्मीयता से मेरी एक रचना की सराहना की तो मुझे बहुत अच्छा लगा | वर्षा जी ने कई बार शुभकामनाएं भेजी और क्षत्रिय समाज की एक-दो गतिविधि के बारे में बात हुई |उन्होंने मुझे एक उपक्रम से जुड़ने का आग्रह भी किया पर मैंने समयाभाव के कारण विनम्रता से मना कर दिया | दोनों के ही जाने का बहुत मलाल रहा ।गिरिजेश जी के सुविख्यात ब्लॉग से मेरा परिचय न जाने क्यों ज्यादा नही था, पर कई बार उनके ब्लॉग पर गई जरूर हूँ । 💐मैंने उनके ब्लॉग पर बहुधा नहीं लिखा। न जाने क्यों ! शायद उनकी रचनाओं पर लिखने योग्य खुद को नहीं पाती थी क्योंकि बहुत गूढ़ था उनका लेखन ।और ईमानदारी से कहूँ ,तो अशोक जी के ब्लॉग पर पहली बार गयी | दिवंगत चारो रचनाकारों का लेखन ब्लॉग के माध्यम से पीढियाँ पढ़ेंगी और प्रेरक मूल्यांकन करेंगी | वर्षा जी की गज़लें , गिरिजेश जी के उम्दा लेख और कवितायें , अशोक जी की सुंदर कविताएँ और बहुरंगी आभा लिए कैलाश जी की आध्यात्मिक रचनाएँ और सबसे ज्यादा उनके मार्मिक और भावपूर्ण मुक्तक सदैव सराहे जायेंगे |पर मन अनायास भावुक हो जाता है जब उनकी अंतिम रचना पढ़ी जाती है जिसे लिखते समय संभवतः उन्होंने सोचा भी ना होगा कि ये ब्लॉग पर अथवा जीवन की उनकी अंतिम पोस्ट है |चारों स्मृति शेष अनंत यायावरों की पुण्य स्मृति को सादर नमन और श्रद्धांजलि| वो पंक्तियाँ लिख रही हूँ सबके लिए ----- जो कभी वर्षा जी के लिए लिखी थी |-----------
    लौट आओ दोस्त सूनी हैं दिल के
    नज़्म है उदास//थमे ग़ज़लों के सिलसिले//,
    अंतस में घोर सन्नाटे हैं।//सजल नैनों में ज्वार-भाटे हैं//
    बिछड़े जो इस तरह गए//ना जाने किस राह चले?////////
    आपने सराहना से परे प्रस्तुति दी है | वर्ष के आरम्भ में ही इस पहली प्रस्तुति का कोई जवाब नहीं |
    जिज्ञासा जी लघुकथा , अनीता जी की सरस कविता . रश्मि जी के अभिनव छन्दमुक्त सृजन के साथ प्रतिभा जी की सदभावनाओं से भरी रचना , सभी शानदार हैं | कल पूरा दिन कोशिश करती रही लिखने की, पर संभव ना हो सका |फिर सोचा सभी लिंकों पर प्रतिक्रिया के बाद यहाँ लिखती हूँ तो टिप्पणी लिखते समय मेरा हिंदी टूल पथभ्रष्ट हो गया | सारे जतन किये पर वो चल ना पाया अब बहुत देर बाद लिख पा रही जिसके लिए आपसे क्षमाप्रार्थी हूँ |मुझे भी सबसे बाद में लिखने से अफ़सोस होता है क्योकि देर से आने के कारण मेरे विचार दूसरे पाठकों तक नहीं पहुँच पाते | बहरहाल , आपके हाथों से बनी वर्ष की पहली प्रस्तुति में शामिल सौभाग्यशाली सभी रचनाकारों को सादर नमन और शुभकामनाएं|आपको आभार शब्द कहूँ तो बहुत छोटा है |आपकी उपस्थिति सदैव मंच को गरिमा प्रदान करती रहे , यही दुआ है |अंत में प्रतिभा जी की सद्भावना भरी पंक्ति से बात समाप्त करती हूँ ----
    विश्व - मंगल हेतु उतरो धरा पर नव वर्ष ...
    सादर प्रणाम और आभार |



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    उत्तर
    1. ये बस एक प्रतिक्रिया है या अनमोल प्रतिभा का बिम्ब, निःशब्द हूं, इतनी सारगर्भित और सार्थक समीक्षा रूपी प्रतिक्रिया पढ़कर, मैं चाहकर भी अभी तक सारे सूत्रों पर नहीं जा पाई हूं,पर जाऊंगी जरूर इन अनमोल ब्लॉग्स पर ।
      आपको मेरा हार्दिक नमन 💐💐

      हटाएं
    2. संशोधित*
      लौट आओ दोस्त सूनी हैं दिल की महफिलें
      🙏🙏

      हटाएं
    3. प्रिय रेणु ,
      तुम्हारी प्रतिक्रिया हम चर्चाकारों के लिए अत्यधिक महत्त्वपूर्ण होती है ।
      बेताबी से प्रतीक्षित तुम्हारी प्रतिक्रिया पा कर सुकून का अहसास हुआ । तुम्हारे दिए सुझाव के कारण ही इस प्रस्तुति को मैं दे पाई ।
      बाकी सबके ब्लॉग पर जाना मेरे लिए आसान था क्यों कि ये सब मेरे ब्लॉग पर आते रहे थे लेकिन गिरिजेश जी का प्रोफ़ाइल ढूंढना ज़रा मुश्किल काम था क्योंकि वो सबके ब्लॉग पर नहीं जाते थे । खैर .....गिरिजेश जी के ब्लॉग को पढ़ा तो मैंने बहुत था लेकिन वहाँ उपस्थिति कम ही दर्ज कराई थी , शायद जो तुमने कारण लिखा है वही कहीं मन में होगा ।हमें अपने साथियों को समय समय पर उनकी रचनाओं के माध्यम से याद करते रहना चाहिए । ये जज़्बा मैंने तुम्हारे अंदर देखा है ।
      इस प्रस्तुति से ज्यादा सुंदर तुम्हारी प्रतिक्रिया रूपी समीक्षा है ।
      इसके लिए हृदयतल से आभार । 🙏🙏

      हटाएं
  17. बहुत आभार प्रिय जिज्ञासा जी। ये आप सब का स्नेह है बस 🙏🌷🌷💐💐

    जवाब देंहटाएं
  18. सभी ब्लॉग्स पर आज जा पाई । सबसे पहले आपके विलक्षण श्रम को नमन और वंदन 🙏🙏
    मैं 2018 से पहले के किसी ब्लॉग्स पर नहीं है थी, आपने जाने और उस समय के लेखन को समझने का मौका दिया आपका बहुत धन्यवाद । आपको मेरी हार्दिक शुभकामनाएं 💐💐🙏

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. शुक्रिया जिज्ञासा ,
      मेरी मेहनत को सफल करने के लिए ।

      हटाएं
  19. आपकी प्रस्तुति दिल को छू गई ...जो अनंत यात्रा पर निकल गए उनको विनम्र श्रद्धांजलि ...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. शुक्रिया निशा ,
      आप अपने ब्लॉग पर सक्रिय हैं या फेसबुक भा गया है ? .

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