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गुरुवार, 20 जनवरी 2022

3279...ऋतु वासंती मोहक हवा चली आसमान में...

शीर्षक पंक्ति: आदरणीया आशालता सक्सेना जी की रचना से-

सादर अभिवादन।

गुरुवारीय अंक लेकर हाज़िरहूँ।

आइए पढ़ते हैं आज की पाँच पसंदीदा रचनाएँ-

हाइकु (वसंत पंचमी )

ऋतु  वासंती

मोहक हवा चली

आसमान  में

दशम् रस

प्रभू मै जानता हूं, आपने ही उसे गौ बनने की प्रेरणा दी होगी, मेरी आपसे याचना है कि उसे कम से कम मरकही गौ ही बना दीजिये। उम्र के इस मोड पर मै अपनी ओरीजिनल पत्नी को खोने का दुख अब और सहन नहीं कर सकता।

रंगमंच पर बहुरूपिये सा

रंगों को चेहरे पर मलता

स्याह आदमी

पूरा जीवन

कुछ नहीं खोजता

केवल

अपने आप को

भीड़ में टिमटिमाता

पाने की जिद में

भागता रहता है

सर्द मौसम की बारिश

कभी कनखियों से दर्पण मैं देखूँ ऐसे

देखूँ दर्पण मैं, दिखती छवि तेरी जैसे

शरम के मारे मेरा खुद से ही शर्माना

ये बारिश का मौसम लगता बड़ा सुहाना।।

दलबदल

मुसीबत में प्रवक्ता तब।।

कहाँ से तर्क वह लाए

कि बेड़ा पार कर पाए।

मची तकरार अपनों में

तुम्हीं ने ही अधिक खाया।।

चुनावों का समय आया।

पुराना दल कहाँ भाया।।

*****

आज बस यहीं तक 

फिर मिलेंगे आगामी गुरुवार। 

रवीन्द्र सिंह यादव 

8 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात..
    ऋतु वासंती
    मोहक हवा चली
    आसमान में
    आज के अंक मे धार है
    आभार
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभात !
    बहुत रोचक,सुंदर और विविधतापूर्ण संकलन 👌👌
    मेरी रचना शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार एवम अभिनंदन,मेरी हार्दिक शुभकामनाएं💐💐

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत आभार आपका... मेरी रचना को मान देने के लिए साधुवाद...।

    जवाब देंहटाएं

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