सादर अभिवादन।
पढ़िए मंगलवारीय अंक की पाँच रचनाएँ मेरे साथ-
मिले जो भाव ऊंचा फिर तो बिक जाना ज़रूरी है
आदर्शो का भरी सभा चीर-हरण हो रहा
केशव नही आये, हां केशव अब नही आयेंगे
अब महाभारत में "श्री गीता" अवतरित नहीं होगी
बस महाभारत होगा छल प्रपंचों का ।
क्षीण क्षणभंगुर जगत में,अंत सबका है सुनिश्चित।
धर्म जलना है तुम्हारा,कर्म का क्या भान किंचित।
प्रेम में जलता पतंगा,क्या बने उसका सहारा?
तेल-बाती के बिना तो,व्यर्थ है जीवन तुम्हारा।
उदय होते बाल सूर्य की स्वर्णिम आभा
खिलते फूल पर ओस की बूँद का ठहरना
कच्ची धूप के स्पर्श से इन्द्रधनुष बन जाना
जीवन के स्पंदन का मधुर राग बन जाना
अमेरिकन कवयित्री ग्वेन्डोलिन ब्रूक्स की कविता "द क्रेज़ी वुमेन" का अनुवाद
"कहेगी है यह औरत पागल, है पागल इसकी रीत "
जो नहीं गाती है मई में खुशी के गीत। "
*****
आज बस यहीं तक
फिर मिलेंगे आगामी गुरुवार।
रवीन्द्र सिंह यादव
शरम को छोड़ जा पहुँचो
जवाब देंहटाएंचुनावी मंडियों में तुम
मिले जो भाव ऊंचा फिर तो
बिक जाना ज़रूरी है
बेहतरीन
आभार..
सादर..
उम्दा लिंक्स चयन
जवाब देंहटाएंसाधुवाद
सुप्रभात 💐
जवाब देंहटाएंसतश्रीअकाल🙏
सभी बड़ों को प्रणाम🙏
बहुत ही खूबसूरत व सरहानीय प्रस्तुति!
शीर्षक बहुत कुछ बयां कर रहा है!
आभार...🙏
प्रत्येक रचना की स्वतंत्र अस्मिता है.
जवाब देंहटाएंसभी को पढने का अपना मज़ा है.
इस पन्ने पर जगह देने के लिए हार्दिक आभार, रवीन्द्र जी.
बेहतरीन चयन ।
जवाब देंहटाएंसब पढ़ आये ।
बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार आदरणीय 🙏 सादर
जवाब देंहटाएंशानदार सूत्र बटोरे हैं भाई रविन्द्र जी आपने,
जवाब देंहटाएंसुंदर सार्थक संकलन।
सभी रचनाकारों को बधाई,सभी रचनाएं बहुत आकर्षक।
मेरे गर्दिश-ए-दौराँ को स्थान देने के लिए हृदय से आभार।
सादर सस्नेह।
बेहतरीन संकलन।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया,शानदार सूत्रों का चयन ।बहुत बधाई आदरणीय 👌👏💐
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंखूबसूरत व सरहानीय प्रस्तुति!
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