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गुरुवार, 13 जनवरी 2022

3272...लोहड़ी पर्व बहन-बेटियों के मान-सम्मान और रक्षा से जुड़ा है...

सादर अभिवादन।

गुरुवारीय अंक लेकर हाज़िर हूँ।

लोहड़ी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ।

चित्र गूगल से साभार 


लोहड़ी पर्व पर नव विवाहित वधू और नवजात शिशुओं की पहली लोहिड़ी होने को विशेष महत्त्व के साथ मनाया जाता है। आज के दिन उत्सवपूर्ण वातावरण में गुड़, तिल और मूँगफली रस्मी तौर पर लकड़ियों से जलाई गई आग में उसके आसपास गोल चक्कर में चलते हुएगीत गाते हुए समर्पित किए जाते हैं। पंजाब में लोहड़ी पर्व बहन-बेटियों के मान-सम्मान और रक्षा से जुड़ा हुआ विशिष्ट सामाजिक महत्त्व का त्योहार है। लोहड़ी पर्व के साथ अकबर के शासन काल में तत्कालीन परिस्थितियों में  दुल्ला भट्टी नामक सकारात्मक सोच के व्यक्ति का नाम जुड़ा हुआ है जो धनी लोगों का धन लूटकर ग़रीबों में बाँटता था और घोर ग़रीबी के चलते बाज़ार में बेची जाने वाली बेटियों को बचाकर उनकी शादियाँ करवाता था। पंजाब के लोकगीतों में दुल्ला भट्टी का यशगान मिलता है।

आइए पढ़ते हैं आज की पाँच पसंदीदा रचनाएँ-

आह्वान.. युवा


तुम रचयिता स्वस्थ समाज के

खोलो पिंजरे, परवाज़ दो,

दावानल बनो विनाश करो

बन दीप जलो और तमस हरो।

1020-कर्मयोगी पिता

तुमने छोड़ा
जबसे मेरा हाथ
विप्लव दिन- रात
झेल रहे हैं
प्रतिपल आघात
प्राण- मन गात।

जी ले ज़िन्दगी अपनी

लम्हा लम्हा ज़िन्दगी

रेत सी फिसल रही हाथों से

लम्हा लम्हा बहुत कुछ

है छूट रहा हाथों से

जी ले ज़िन्दगी अपनी

इससे पहले कि छूट जाए

ज़िन्दगी ही हाथों से

मेरी आवाज़ खो सी गइ है कहीं

पहचान को बरक़रार

रखने की जद्दोजहत

हुज़ूम के बीच की ज़िन्दगी

जहाँ तिल भर भी हिलने की

जगह हो

सांझ का चंदोवा


*****

आज बस यहीं तक 

फिर मिलेंगे आगामी गुरुवार। 

रवीन्द्र सिंह यादव 

12 टिप्‍पणियां:

  1. शानदार,
    जानदार,
    मानदार प्रस्तुति
    आभार आपका
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत बढ़िया प्रस्तुति रवींद्र भाई। लोहड़ी पर लिखीं भूमिका बहुत अच्छी है। लोहड़ी असल में एक लोक पर्व है जो बहुत उमंग और उत्साह से मनाया जाता है। अब्दुल्ला या दुल्ला भट्टी नाम के जननायक को याद किया जाता इस त्यौहार के बहाने। दुल्ला देशी रोबिन हुड थे, जिनके बारे में ढेरो किंवदंतियां प्रचलित हैं। उन्हें मुगल शासकों द्वारा पीड़ित परिवार का वारिस माना जाता है जिसके घर के पुरुषों को बहुत यातनाएं देकर मार डाला गया जिसकी बर्बरता के किस्से पंजाबी लोक गीतों में खूब गाए जाते हैं।। दुल्ला निर्भीक और साहसी व्यक्ति थे। अकबर की आंख का कांटा थे। उन्होने. अकबर को इतना सताया कि अकबर को आगरा छोड़ कर लाहौर को राजधानी बनाना पड़ा।. लाहौर तब से पनपा है, तो आज तक बढ़ता गया. पर सच तो ये रहा कि हिंदुस्तान का शहंशाह दहलता था दुल्ला भट्टी से.। कहा जाता हैं दुलला न होते तो लाहौर का कोई अस्तित्व ना होता।
    वे कथित सभ्रांत लोगों का धन लूट कर गरीब लोगों की मदद किया करते थे।इसी तरह उन्होंने एक गरीब ब्राह्मण की दो बेटियों,जिनके नाम सुंदर-मुन्दर थे, को गांव के क्रुर रसूखदार लोगों के चंगुल में फंसने से बचाकर इनकी शादी एक रात में ही करवा दी थीं। हैरत की बात थीं कि दुल्ला भट्टी और उनके साथियो ने सुंदर-मुंदर के लिए गांव भर से मांग कर दहेज जुटाया पर खुद उनके पास दोनों दुल्हनों को देने के लिए कुछ नहीं था, तो उन्होनमात्र एक सेर शक्कर सुन्दर मुन्दर की झोली में डालकर आशीर्वाद दिया। इस पूरी घटना को लोहड़ी के गीत में गाया जाता है। बाद में इस लोक नायक को मुगलों ने धोखे से पकड़ कर सरेआम फांसी पर लटका दिया गया। पर, सच है दुल्ला भट्टी का अमर चरित्र हमें समाज में शोषितों की मदद करने और अन्याय के खिलाफ सर उठाकर उसका विरोध करने की प्रेरणा देता है। लोहड़ी पर लॉग अपनेनायक को याद करते हुए अपनी हर खुशी उसकी याद को समर्पित करते हैं।
    आज मंच की सभी रचनाओं को पढ़ा। बहुत बढ़िया प्रस्तुति है आज की। सभी रचनाकारों को बधाई। सभी को लोहड़ी और मकर संक्रांति पर्व की बधाई और शुभकामनाएं। आपको आभार इस सुंदर प्रस्तुति के लिए 🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत ही सुंदर सार्थक जानकारी भरा आलेख 👌💐🙏

      हटाएं
    2. साझा करने के लिए आभार दी।
      सस्नेह।

      हटाएं
    3. शुक्रिया जिज्ञासाजीऔर प्रिय श्वेता 🙏🌷🌷💐💐

      हटाएं
  3. आज से पांच साल पहले शब्दनगरी पर लोहड़ी के छोटे से लेख में ही शुरुआत की थी ऑनलाइन लेखन की और इस लेख पर आपकी उपस्थिति अविस्मरणीय है मेरे लिए।
    https://shabd.in/post/46711/lohade-ullas-parw

    जवाब देंहटाएं
  4. यही लेख क्षितिज पर भी पढ़ सकते हैं
    https://renuskshitij.blogspot.com/2018/01/blog-post.html?m=1🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुंदर,सराहनीय अंक। सभी को लोहड़ी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं और असंख्य बधाइयां 💐💐

    जवाब देंहटाएं
  6. सराहनीय भूमिका और पठनीय सूत्रों से सजा सुंदर अंक।
    मेरी रचना शामिल करने के अत्यंत आभार आपका।
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुंदर संकलन,मेरी रचना को स्थान देने पर तहेदिल से शुक्रिया आपका आदरणीय ।

    जवाब देंहटाएं

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