सादर अभिवादन।
रविवारीय अंक में पाँच रचनाएँ लेकर हाज़िर हूँ।
कल रात्रि आठ बजे तक करोना से पीड़ित भारतरत्न भारत-कोकिला लता दीदी के स्वास्थ्य को लेकर देशभर में चिंताओं और अफ़वाहों का दौर जारी था। ईश्वर से कामना है कि वे चिरायु हों।
चित्र साभार गूगल
आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125 वीं जयंती है।
कृतज्ञ राष्ट्र अपने लाड़ले सपूत को अगाध श्रद्धा और विश्वास के साथ याद कर रहा है।
नेताजी को समर्पित मेरा काव्यांश-
"स्वतंत्र होकर जीने का अर्थ,
सिखा गए सुभाष,
आज़ादी को कलेजे से लगाना,
सिखा गए सुभाष।
स्वतंत्रता का मर्म वह क्या जाने,
जो स्वतंत्र वातावरण में खेला है,
उस पीढ़ी से कभी पूछो!
जिसने पराधीनता का असहय दर्द झेला है...!"
-रवीन्द्र सिंह यादव
आइए अब आपको आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर ले चलें-
ठंडी के मौसम पर कविता
मख़मली हवा भी नहीं सुहाती चुभती तीरों जैसी
किट-किट बजते दाँत काम करे न मफ़लर,जर्सी ,
धार कुहरे का अंगरखा फ़िज़ा ठंड से है अनबूझ
शीत लहर का भी प्रकोप उसपर बारिश की बूँद
उनकी बातें
संदली, वही, खुश्बू ले आईं हवाएँ,
छू कर, बह चली, इक पवन,
अजीब सी, चुभन,
बहके से क्षण की, बहकी सौगातें,
कह गईं, उनकी ही बातें!
फिर, सुबह ले आई, उसी की भीनी यादें...
पथ के अनुगामी
चहुँ ओर तिमिर घनघोर घना
है दूर मयूख कहीं नभ में
उस नवल किरन की छाँव तले
तुम बढ़ती जाना आज प्रिये ।।
आंकड़े कागजों पर
गमछे में धूल बाँध
रंग भरे पन्ने
खेतों की मेड़ों पर
लगते हैं गन्ने
झुनझुना है दान का
नाच उठे लूले।।
पुरुषों के लिए भी कानून बनाने का समय
इसकी नज़ीर के
तौर पर गुरुग्राम का आयुषी भाटिया केस हो या मद्रास हाईकोर्ट और पुणे की सेशन कोर्ट के ‘दो फैसले’ जो हमें अपनी सामाजिक व्यवस्थाओं और
घरों में दिए जाने वाले संस्कारों को
फिर से खंगालने को बाध्य कर
रहे हैं कि
आखिर सभ्यता के ये कौन से
मानदंड हैं जिन्हें हम सशक्तीकरण और स्वतंत्रता के
खांचों में फिट करके स्वयं को
आधुनिक साबित करने में जुटे हुए हैं।
छोरो शेखावाटी
रो
मातृ भूमि रो मान बढ़ाऊँ
जग माह ऊंचो नाम करुँ।
रीढ़ बणु मैं अपणे देश री
इह जन्म एसो काम करुँ।
गळियाँ गूंजे मेर नाम री
आँखड़ल्यां रो है सुपणों।।
*****
आज बस यहीं तक
फिर मिलेंगे आगामी गुरुवार।
रवीन्द्र सिंह यादव
आज का अंक विविधताओं से भरा हुआ है..
जवाब देंहटाएंनेता जी को सादर नमन
गेट वेल सून लता जी..
अनीता सैनिक मारवाड़ी सिखाएगी ही
शेखावाटी पट्टी की मैं भी हूँ
खम्मा घणी सभी को..
आभार इस शानदार अंक के लिए
सादर..
खम्मा घणी सब लोगा न।
हटाएंशेखावाटी पट्टी की मैं भी हूँ सही कहा आदरणीय दी 🥰
हार्दिक आभार
बहुत ही सुन्दर और प्रेरक अंक।।।।।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात 👏👏
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रेरक कव्यांश के साथ आज के अंक का आगाज शानदार है,सभी रचनाएँ सुंदर,सराहनीय और पठनीय । मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार और अभिनंदन ।आपको और सभी रचनाकारों को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं 💐💐
बहेतरीन प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सटीक शीर्षक स्वतंत्र होकर जीना सिखा गये.. .. 🙏
वाह!बहुत ही खूबसूरत अंक ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद रवींद्र जी, मेरी ब्लॉगपोस्ट को हलचल पर स्थान देने के लिए
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सर हलचल पर स्थान देने हेतु।
जवाब देंहटाएंसादर
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125 वीं जयंती पर शत शत नमन।
जवाब देंहटाएंसराहनीय संकलन।
सादर
स्वतंत्र होकर जीने का अर्थ,
जवाब देंहटाएंसिखा गए सुभाष,
आज़ादी को कलेजे से लगाना,
सिखा गए सुभाष।
स्वतंत्रता का मर्म वह क्या जाने,
जो स्वतंत्र वातावरण में खेला है,
उस पीढ़ी से कभी पूछो!
जिसने पराधीनता का असहय दर्द झेला है...!"👌👌👌
मां भारती के अमर सपूत नेता जी सुभाष चन्द्र बोस ऐसे प्रथम व्यक्ति थे, जिनकी सोच समय से से आगे थी और जिन्होंने देश की नारी शक्ति को सबसे पहले वर्दी पहनाकर पुरुषों के समकक्ष मान्यता और सम्मान दिया! ना जाने कितनी कहानियां अपने भीतर समेटे उनका जीवन हर भारतीय के लिए असीम प्रेरणा भरा है। अपनी कीर्ति पताका के साथ वे सदैव ही भारत के जनमानस में बसे रहेंगे। उनकी जयंती पर उनकी पुण्य स्मृति को कोटि नमन!🙏🙏
नेता जी सुभाष चन्द्र बोस के साथ हमारी अत्यन्त प्रिय और विनम्र छुटकी रचनाकार अनंता सिन्हा भी अपना जन्म दिन साझा करती है। प्रिय अनंता को जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनाएं और प्यार। वो यशस्वी और चिरंजीवी रहे यही कामना करती हूं।
भारत की कोहिनूर लता मंगेशकर जी के बारे में भ्रामक प्रचार से बहुत दुःख और खेद हुआ। मनहूस कोरोना से उनका अनमोल जीवन शीघ्र सुरक्षित हो यही दुआ और कामना है।
आज के सभी रचनाकारों की रचनाओं को पढ़ा। सभी बढ़िया और विचारोत्तेजक है। सभी रचनाकारों को बधाई। फौजीबन देश सेवा करने को तत्पर शेखावाटी के छोरों की देशभक्ति की कामना, अनीता जी, पुरुषोत्तमजी और जिज्ञासा जी की सुन्दर काव्याभिव्यक्ति के साथ अलकनंदा जी के विचारोत्तेजक लेख ने सोचने पर मजबूर कर दिया। सार्थक प्रस्तुति के लिए हार्दिक आभार और अभिनंदन आपका रवींद्र भाई 🙏🙏
ढल जाती जल्द ही साँझ होती लम्बी-लम्बी रात
जवाब देंहटाएंपक्षी भी दुबक जाते नीड़ में देती ऐसी सर्दी मात 👌👌 ठंड के मौसम की कविता के क्या कहने 👌👌🙏
बहुत सुंदर संकलन
जवाब देंहटाएंनेता जी सुभाष चन्द्र बोस जी को उनके जन्मदिन पर नमन