शीर्षक पंक्ति: प्रोफ़ेसर गोपेश मोहन जैसवाल जी की रचना से
सादर अभिवादन।
रविवारीय अंक लेकर हाज़िर हूँ।
आइए पढ़ते हैं आज की पाँच पसंदीदा रचनाएँ-
सर्दी के मौसम में चुनावी सरगर्मियां
उसने रैली में फ़क़त, मज़हब-धरम की बात की,
ये न पूछा किस के घर चूल्हा जला, अरमां नहीं !
चंद्रमणि छंद में कमल के पर्यायवाची
शतदल शय्या पर शयन, शारद माँ शुक्लाम्बरा
।।
सुमिरन करिये रख विनय,रहता विद्या घट भरा।।
अगर बुनियाद रिश्तों की हिली है।
न जाने ऊँट बैठे कौन करवट,
दिये की फिर हवाओं से ठनी है।
कभी
उनसे भेंट होंगी
और तसल्ली के कुछ वक्त होंगे
उनसे पास
यही सोचकर
जी रहा हूँ
*****
आज बस यहीं तक
फिर मिलेंगे आगामी गुरुवार।
रवीन्द्र सिंह यादव
कमी कुछ आपसी विश्वास की है,
जवाब देंहटाएंअगर बुनियाद रिश्तों की हिली है।
सुन्दर अंक..
आभार..
सादर..
सुंदर संकलन मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंसुन्दर अंक
जवाब देंहटाएंआभार🙏🙏🌹🌹
बहुत ही शानदार प्रस्तुति सभी अंग बहुत ही उम्दा वाला लाजवाब हैं🙏
जवाब देंहटाएंवाह!शानदार प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंवाह!शानदार प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंक्स, सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसार्थक रचनाओं का सार्थक संकलन।
सभी रचनाकारों को बधाई।
मेरी रचना को पांच लिंक पर स्थान देने के लिए हृदय से आभार।
सादर सस्नेह।
बहुत ही सार्थक, सराहनीय अंक ।बहुत बहुत शुभकामनाएं आदरणीय दीदी 💐🙏
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना संकलन
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर संकलन
जवाब देंहटाएंLove sayri related sayri provided on this site.
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