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रविवार, 30 जनवरी 2022

3289...एक उम्र तक आते-आते समझौता भी खत्म हो जाता है...

शीर्षक पंक्ति:आदरणीया दीदी विभा रानी श्रीवास्तव जी की रचना से। 

सादर अभिवादन।

रविवारीय अंक के साथ पाँच पसंदीदा रचनाएँ लेकर हाज़िर हूँ-

चित्र साभार गूगल 

आज शहीद दिवस है। 

बापू की पुण्य तिथि को ही भारत में शहीद दिवस के रूप में याद किया जाता है। 

30 जनवरी 1948 को बापू की हत्या उनको तीन गोलियाँ दाग कर की गई थी। भारत में बापू को अगाध श्रद्धा के साथ याद किया जाता है और इस अवसर पर आयोजित होनेवाले सरकारी एवं ग़ैर-सरकारी कार्यक्रमों में उन्हें श्रद्धांजलि देकर देश के प्रति उनके समर्पण और योगदान पर चर्चाएँ होती है जिनसे देश प्रेरणा लेता है।

गाँधी-दर्शन व्यक्ति में मूल्य रोपता है और जीवन को सामाजिक मूल्यों के साथ जीने का अर्थ देता है। गाँधी-दर्शन का भारत में विरोध मात्र एक कुंठित मानसिकता है जो अहिंसा और सद्भाव से परे सतत अशांति और हिंसा के विचार को प्रश्रय देने में यक़ीन रखती है बशर्ते उन्हें कभी खरोंच तक न आए जो इस विचार को आगे बढ़ाते हैं। गाँधी-दर्शन सरल है किंतु उस सरलता को अपनाना अत्यंत सरल नहीं है वजह है व्यक्ति के अपने अंतरविरोध और जीवन की कठिन चुनौतियाँ।

  बापू को सादर श्रद्धांजलि एवं कोटि-कोटि नमन।

-रवीन्द्र सिंह यादव  

आइए पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-

पिंजरे में बंद जीव

पर जब हुआ जर जर पिंजरा

याद आई फिर से स्वतंत्र विचरण की

उस द्वार की जिससे

पिंजरे में  प्रवेश किया था |

आज की

एक उम्र तक आते-आते

समझौता भी खत्म हो जाता है

खुद की आदत

खुद को ही कमजोर

दिखलाने में अव्वल हो जाती है।

भावनाएँ मेरी अब प्रवासी हुईं

कोष श्वासों का भी, यूँ ही लुटता रहा

कुछ मिला ही नहीं, जब तलाशी हुई ।।

शब्द परदेस में जाके सब बस गए

भावनाएँ मेरी अब प्रवासी हुईं ।।

रिश्ते गुलाब रखिये...

शोलों को देखा है बुझते हुए,

थोड़ा शरबती मिज़ाज रखिये।

कोई तूफ़ान ना-ख़ुदा नहीं होता,

हौसले अपने फ़राज रखिये।

अजन्मो गीत

चूळू भर-भर सौरभ छिड़कूँ

लय मतवाळी थिरक रही।

सूर तार बाँधू ताळा रा

अभी व्यंजना मिथक रही।

फूल रोहिड़ा रा है बिखरा

खुड़के झँझरी नोखो से।।

*****

आज बस यहीं तक

फिर मिलेंगे आगामी गुरुवार।

रवीन्द्र सिंह यादव

 


8 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत दिन बाद उड़ती चिड़िया दिखी..
    कोष श्वासों का भी, यूँ ही लुटता रह
    कुछ मिला ही नहीं, जब तलाशी हुई ।।
    शब्द परदेस में जाके सब बस गए
    भावनाएँ मेरी अब प्रवासी हुईं ।।
    शानदार अंक..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आदरणीया यशोदा दी, लेखन क्षेत्र में जो भी थोड़ी बहुत पहचान मिली, इसी ब्लॉग जगत से मिली। इस ब्लॉग जगत से कुछ अनमोल साथी भी मिले। आप सब का स्नेह लौटा लाता है। बहुत सारा प्यार आपके लिए !!!

      हटाएं
  2. असीम शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार आपका
    श्रमसाध्य प्रस्तुति हेतु साधुवाद

    जवाब देंहटाएं
  3. शहीद दिवस पर गांधी जी और देश पर शहीद होने वाले वीरों को नमन ।
    बेहतरीन लिंक्स से सुसज्जित प्रस्तुति ।

    जवाब देंहटाएं
  4. नमन देश के वीर सपूतो को जिनका कर्ज आने वाली प्रत्येक पीढ़ी पर रहेगा।
    सराहनीय संकलन में मेरे को स्थान दिया हृदय से आभारी हूँ सर।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  5. वैविध्यपूर्ण रचनाओं का सराहनीय अंक ।सभी रचनाकारों को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं । शहीद दिवस पर सभी शहीदों को मेरा शत शत नमन 💐💐

    जवाब देंहटाएं
  6. एक उम्र तक आते आते समझौता भी खत्म हो जाता है.... पता नहीं वह उम्र कौन सी होती है...
    बेहतरीन रचनाओं के इस संकलन में अपनी रचना को देखकर बहुत प्रसन्नता हुई। सादर आभार आदरणीय रवींद्रजी।

    जवाब देंहटाएं

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