सादर अभिवादन लोग शायद समझ नहीं पाए समर का तात्पर्य कोई रचना नहीं दिखी और न ही आई खुदाई पर मिली रचनाएँ खुदाई मे सहयोगी सखी श्वेता सिन्हा पढ़िए...अतीत की रचनाएँ
यानि यादों की किताब को थामें जो तुम्हारी अनुपस्थिति में एक मात्र सहारा है मेरे सुख-दुख का, यादों के भंवर से डूबती उतरती बचती, संभलती,.. तुम्हारे बिना सब कुछ संभाल लेने हेतु कर्तव्यबद्ध हूँ, अश्रु को तुम्हारे लक्ष्य हेतु बाधक न होने देने को वचनबद्ध भी, हर वचन निभाऊंगी,..
सोचता हूँ कभी-कभी कि .. लगभग हजार साल पहले महमूद गजनवी के सोलहवें आक्रमण के समय 1025 ईस्वी में कोई ना कोई तो हमारा भी एक अदना-सा पूर्वज रहा होगा ? पर भला कौन रहा होगा ? जिसके डी एन ए का अंश आज हमारा होगा मुझे तो पता ही नहीं .. तनिक भी नहीं। ... आज बस इतना ही कल का अँक देखना न भूलें 123 वाँ विषय लेकर आ रहे हैं भाई रवीन्द्र जी सादर
खोदे गह्वर समर क्षेत्र का, शब्द सहेजे भुजबल के, पाञ्चजन्य का नाद गूँजे आज,पांच लिंक के हलचल में समर-भूमि का कालजयी उद्घोष करती रचनाओं से सजी बहुत सुंदर, पठनीय और संग्रहणीय प्रस्तुति। आभार और बधाई!!!
आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार यशोदा जी ! मेरी रचना को आज के अंक में सम्मिलित किया मन आनंदित हुआ ! सभी रचनाएं बहुत सुन्दर एवं सभी रचनाकारों का हार्दिक अभिनन्दन ! सप्रेम वन्दे !
उत्खनन विभाग के प्रबंधकों को सच्चे दिल से सलाम है और सस्नेह धन्यवाद भी। मुझे तो याद भी नहीं था कि ये रचना 'समर' विषय से संबंधित हो सकती है। लॉकडाउन में मेरी कलम भी लॉक हो गई है दी। बहुत सुंदर प्रस्तुति। पाँच लिंकों की समर्पित टीम का पुनः पुनः आभार।
आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।
टिप्पणीकारों से निवेदन
1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं। 2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें। ३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें . 4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो। प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।
विषय बेहतरीन..
जवाब देंहटाएंसारी रचनाएं अप्रतिम..
शुभकामनाएँ..
सादर..
खोदे गह्वर समर क्षेत्र का, शब्द सहेजे भुजबल के,
जवाब देंहटाएंपाञ्चजन्य का नाद गूँजे आज,पांच लिंक के हलचल में
समर-भूमि का कालजयी उद्घोष करती रचनाओं से सजी बहुत सुंदर, पठनीय और संग्रहणीय प्रस्तुति। आभार और बधाई!!!
पठनीय और उपयोगी लिंक।
जवाब देंहटाएं--
मेरी पोस्ट का लिंक लगाने के लिए धन्यवाद।
सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति |मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद सर|
सस्नेहाशीष संग शुभकामनाएं छोटी बहना
जवाब देंहटाएंसमर पर स्मरणीय रचना .. सबको को साधुवाद
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌👌 सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई
जवाब देंहटाएंआपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार यशोदा जी ! मेरी रचना को आज के अंक में सम्मिलित किया मन आनंदित हुआ ! सभी रचनाएं बहुत सुन्दर एवं सभी रचनाकारों का हार्दिक अभिनन्दन ! सप्रेम वन्दे !
जवाब देंहटाएंसमर समर्पित रचनायें ,बहुत ही सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंउत्खनन विभाग के प्रबंधकों को सच्चे दिल से सलाम है और सस्नेह धन्यवाद भी। मुझे तो याद भी नहीं था कि ये रचना 'समर' विषय से संबंधित हो सकती है। लॉकडाउन में मेरी कलम भी लॉक हो गई है दी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति। पाँच लिंकों की समर्पित टीम का पुनः पुनः आभार।
बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंवाह दी !बेहतरीन प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंउम्दा रचनाओं का संगम ।
सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति सभी रचनाएँ अति ऊत्तम👌👌👌👌
जवाब देंहटाएं