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बहुत सुंदर भूमिका और प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सच कहा
हम वहीं फिसलते हैं, जहाँ सबकुछ अच्छा दिखता है। अतः हे मन सावधान !!
मेरे सृजन को स्थान देने के लिए आपका हृदय से आभार भाई साहब।
प्रणाम।
कालिदास की कालजयी पंक्तियाँ "आषाढ़ मासे प्रथम दिवसे" का स्मरण कराती सरस प्रस्तुति!!!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अंक..
जवाब देंहटाएंवाह जीजू..
नमन..
सादर..
बेहद खूबसूरत प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसराहनीय प्रस्तुतीकरण
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक्स चयन
मेरी गलती..,
जवाब देंहटाएंसूचना सभी को दी
भूलवश दिन बदलना याद न रहा
सादर..
उम्दा लिंक्स।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति,सादर नमन सर
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसादर धन्यवाद आपका दिग्विजय अग्रवाल जी मेरी कविता " छलकते से सागर " को पांच लिंकों का आनंद पर शामिल करने के लिए ! 🙏😊
जवाब देंहटाएंभावभीनी हलचल ...
जवाब देंहटाएंआभार मेरी गज़ल को जगह देने के लिए ...