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मंगलवार, 2 जून 2020

1782... बन जाऊँ पथ गामी...

सादर अभिवादन। 

मंगलवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है। 

आइए पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-


इश्क की दस्तक हुई
पवन ने मीठी सुर छेड़ी
 रात मुस्कुरा उठी......
 दिलों में हलचल हुई...
 ख़ामोश आंखे मदहोश सी....
 रात की दहलीज पर....
 दो फूल घायल.....
 निः शब्द ......

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स्पंदित धरा  
फटा धरा का सीना  
समाई सीता। 

कर नाना। 
बदनामी।। 

बन जाऊँ। 
पथ गामी।।  



दूर क्षितिज पर दृश्य अनोखा

नवजीवन का भाव लिए

जग के अश्रु देख व्यथित हो
जागे कवि के भाव प्रिये
हृदय पीर से शब्द पिघलते
वर्ण वर्ण आकार लिए।
लावा बहता पीड़ा बनकर
एक तड़प साकार किए।
हाहाकार ----------------।।

मेरी फ़ोटो
लेकिन 
मुद्दा ये है 
कि तुम उसे कितना जानते हो ? 
अगर तुम जान गये 
तो फिर तुम मन:स्थिति के नहीं
बल्कि मन:स्थिति तुम्हारी गुलाम होगी
*****

हम-क़दम के अगले अंक का विषय है-
'समर'

इस विषय पर सृजित आप अपनी रचना आगामी शनिवार (06 जून  2020) तक कॉन्टैक्ट फ़ॉर्म के माध्यम से हमें भेजिएगा। 
चयनित रचनाओं को आगामी सोमवारीय प्रस्तुति (08 जून 2020) में प्रकाशित किया जाएगा। 

उदाहरणस्वरूप  साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित कविवर वीरेन डंगवाल  जी की कविता-

"आतंक सरीखी बिछी हुई हर ओर बर्फ
है हवा कठिन, हड्डी-हड्डी को ठिठुराती
आकाश उगलता अंधकार फिर एक बार
संशय विदीर्ण आत्मा राम की अकुलाती

होगा वह समर, अभी होगा कुछ और बार
तब कहीं मेघ ये छिन्न-भिन्न हो पाएँगे

तहखानों से निकले मोटे-मोटे चूहे
जो लाशों की बदबू फैलाते घूम रहे
हैं कुतर रहे पुरखों की सारी तस्वीरें
चीं-चीं, चिक-चिक की धूम मचाते घूम रहे

पर डरो नहीं, चूहे आखिर चूहे ही हैं
जीवन की महिमा नष्ट नहीं कर पाएँगे

यह रक्तपात यह मारकाट जो मची हुई
लोगों के दिल भरमा देने का जरिया है
जो अड़ा हुआ है हमें डराता रस्ते पर
लपटें लेता घनघोर आग का दरिया है

सूखे चेहरे बच्चों के उनकी तरल हँसी
हम याद रखेंगे, पार उसे कर जाएँगे

मैं नहीं तसल्ली झूठ-मूठ की देता हूँ
हर सपने के पीछे सच्चाई होती है
हर दौर कभी तो खत्म हुआ ही करता है
हर कठिनाई कुछ राह दिखा ही देती है

आए हैं जब चलकर इतने लाख बरस
इसके आगे भी चलते ही जाएँगे

आएँगे उजले दिन जरूर आएँगे"

-वीरेन डंगवाल

साभार: हिंदी समय


आज बस यहीं तक 
फिर मिलेंगे गुरुवारीय प्रस्तुति में। 

रवीन्द्र सिंह यादव 

11 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया प्रस्तुति
    बढ़िया विषय..
    आभार...
    सादर...

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति ।मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिये ह्रदय से आभारी हूँ।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌👌 सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई, मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार 🙏🙏💐💐

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय।👌👌
    सभी सर्जकों को हार्दिक बधाई, मेरी रचना के अंश को शीर्षक के रूप में प्रस्तुत कर उसे मान देने के लिए उरतल से आभारी हूँ। 🙏🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
  5. खूबसूरत रचनाओं का संकलन ,अति सुन्दर प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं

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