संहारक का कार्य है संहार करना
पर कोई स्वयं का बलिदान देता है
उस बलिदानी शलभ को नमन
एक पुस्तक के पन्ने से..
"शमा का काम तो जलने का ही है
कालजयी रचनाएँ
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स्मृतिशेष शम्भुनाथ सिंह
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समय की शिला पर मधुर चित्र कितने
किसी ने बनाये, किसी ने मिटाये।
शलभ ने शिखा को सदा ध्येय माना,
किसी को लगा यह मरण का बहाना,
शलभ जल न पाया, शलभ मिट न पाया
तिमिर में उसे पर मिला क्या ठिकाना?
प्रणय-पंथ पर प्राण के दीप कितने
मिलन ने जलाये, विरह ने बुझाये।
स्मृतिशेष महादेवी वर्मा
मधुर-मधुर मेरे दीपक जल!
युग-युग प्रतिदिन प्रतिक्षण प्रतिपल
प्रियतम का पथ आलोकित कर!
सौरभ फैला विपुल धूप बन
मृदुल मोम-सा घुल रे, मृदु-तन!
दे प्रकाश का सिन्धु अपरिमित,
तेरे जीवन का अणु गल-गल
पुलक-पुलक मेरे दीपक जल!
स्मृतिशेष महादेवी वर्मा
ओ पागल संसार !
दीपक जल देता प्रकाश भर,
दीपक को छू जल जाता घर,
जलने दे एकाकी मत आ
हो जावेगा क्षार !
ओ पागल संसार !
जलना ही प्रकाश उसमें सुख
बुझना ही तम है तम में दुख;
तुझमें चिर दुख, मुझमें चिर सुख
कैसे होगा प्यार !
ओ पागल संसार !
शलभ अन्य की ज्वाला से मिल,
झुलस कहाँ हो पाया उज्जवल !
कब कर पाया वह लघु तन से
नव आलोक-प्रसार !
ओ पागल संसार !
स्मृतिशेष महादेवी वर्मा
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मैं शापमय वर हूँ !
शलभ मैं शापमय वर हूँ !
किसी का दीप निष्ठुर हूँ !
ताज है जलती शिखा
चिनगारियाँ शृंगारमाला;
ज्वाल अक्षय कोष सी
अंगार मेरी रंगशाला;
नाश में जीवित किसी की साध सुंदर हूँ !
एक रचना ब्लॉग से
आदरणीय पुरुषोत्तम सिन्हा
चाहूँ जीवन समुज्जवल
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मैं लघु तन झुलसाकर चाहूँ जीवन उज्जवल सम!
शलभ सा जीवन प्रीत ज्वाला संग,
कितना अतिरेकित कितना विषम!
ज्वाला का चुम्बन कर शलभ जल जाता ज्वाला संग,
दुःस्साह प्रेम का आलिंगन कितना विषम।
.......
नियमित रचनाएँ
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आदरणीय साधना वैद
क्यों शलभ कुछ तो बता
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क्यों शलभ कुछ तो बता,
पास जाकर दीप के क्या मिल गया
क्या यही था लक्ष्य तेरे प्रेम का
फूल सा नाज़ुक बदन यूँ जल गया !
आदरणीय आशा सक्सेना
शलभ ....
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शमा रात भर जलती रही
रौशन किया महफिल को
परहित के लिए
पर शलभ हुए उत्सर्ग
शमा का साथ पाने के लिए
अपना प्रेम शमा के लिए
सब को दर्शाने के लिए |
आदरणीय अभिलाषा चौहान'सुज्ञ'
शलभ शूलों पर चला है ..
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लगी लौ से लगन ऐसी
प्रीत में जलना मिला
शलभ शूलों पर चला है
दोष किसका है भला।
आदरणीय भारती दास
अनुराग सिद्ध कर जाता है
परवानों को खूब पता है
जलती लौ है मौत की राह
फिर भी जलकर मर जाते हैं
नही करते खुद की परवाह.
पहचान बहुत है फूल-शूल की
पर कंटक पथ से ही चलते हैं
असहाय-निरुपाय मनुज तब
मार्ग शलभ जैसी चुनते हैं.
आदरणीय उर्मिला सिंह
दीप शिखा का प्रणयी शलभ हूँ.....
दीप! तेरी लौ को जलते देख के
आलिंगनबद्ध की ह्रदय में चाह लेके
मधुर मिलन में मिट जाना ध्येय मेरा
है तुम्हारी प्रीत का यही समर्पण मेरा ।
मैं दीप शिखा का प्रणयी शलभ हूँ।
आदरणीय अनीता सैनी
न ही जलती बाती बनना ....
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शलभ नहीं, न ही जलती बाती बनना
वे प्रज्जवलित दीप बनना चाहते हैं।
अँधियारी गलियों को मिटाने का दम भरते
चौखट का उजाला दस्तूर से बुझाना चाहते हैं।
आदरणीय कुसुम कोठारी
शमा और शलभ
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आवाज दी शमा ने सुन शलभ
तूं क्यों नाहक जलता है।
मेरी तो नियति ही जलना ,
तूं क्यों मुझसे लिपटता है।
आदरणीय सुबोध सिन्हा
मोद के मकरंद से ...
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मेरे
अंतर्मन का
शलभ ..
उदासियों की
अग्निशिखा पर,
झुलस जाने की
नियति लिए
मंडराता है,
जब कभी भी
एकाकीपन के
अँधियारे में।
..
अभी तक इतनी ही रचना
कल का अंक देखिएगा
रवीन्द्र भाई आ रहे हैं
122 वाँ विषय लेकर
सादर
मैं प्रीत से सम्मोहित शलभ हूँ
जवाब देंहटाएंदीपशिखा का प्रणयी शलभ हूँ।
स्वर्णिम रूप से घायल ये दृग मेरे
प्रीत के रंग से रंगें ये मृदु पंख मेरे
मिलन की आस संजोये मन में .....
प्रदक्षिणा रत रहता निरन्तर लौ के ।
दीपशिखा का प्रणयी शलभ हूँ।।।
बहुत ही प्यारा अंक आदरणीय दीदी। शलभ दीपशिखा पर बलिदान होने वाला चिर प्रेमी रहा है जिसपर बहुत कुछ लिखा गया। पुरोधाओं के साथ आज के रचनाकारों की रचनाएँ भीे कम नहीं। सभी को शुभकामनायें। सुप्रभात और प्रणाम 🙏🙏🌹🌹
जवाब देंहटाएंउर्मिला जी रचना बहुत प्रभावी लगी मुझे 🙏🙏
श्रेष्ठ रचनाएँ..
जवाब देंहटाएंसभी को शुभकामनाएँ..
सादर..
उम्दा संकलन |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंवाह !बहुत ही खूबसूरत प्रस्तुति ..रचनाएँ एक -एक कर पढ रही हूँ ...।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति,सभी रचनाए अत्यंत भावपूर्ण है।हमारी रचना को शामिल करने के लिए हार्दिक धन्यवाद,हमारी रचना को पसंद करने की लिए
जवाब देंहटाएंरेणु जी जी बहु बहुत शुक्रिया।
सभी रचनायें एक से बढ़ कर एक ! मेरी प्रस्तुति को आज के अंक में स्थान दिया आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार यशोदा जी ! सप्रेम वन्दे !
जवाब देंहटाएंसभी को शुभकामनाएँ..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अंक
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर प्रस्तुति. मेरी रचना का स्थान देने हेतु सादर आभार.
जवाब देंहटाएंएक से बढ़कर एक मनभावन रचनायें , बेहतरीन प्रस्तुति
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