शुक्रवारीय अंक में
आप सभी पाठकों का
स्नेहिल अभिवादन
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आज का उद्धरण
हमारे देश में सबसे आसान काम आदर्शवाद बघारना है और फिर घटिया से घटिया उपयोगितावादी की तरह व्यवहार करना है। कई सदियों से हमारे देश के आदमी की प्रवृत्ति बनाई गई है अपने को आदर्शवादी घोषित करने की, त्यागी घोषित करने की। पैसा जोड़ना त्याग की घोषणा के साथ ही शुरू होता है।
हरिशंकर परसाई
कुछ पंक्तियाँ मेरी लिखी-
साथ उम्मीद के चलना ज़िंदगी है।
मरने की हक़ीक़त छलना ज़िंदगी है।
स्याह आसमान जानता है नींद का सच,
ख़्वाबों से ख़्वाबों का जलना ज़िंदगी है।
दुनियावी बंदिश और हालात के खंज़र,
बच-बच के दरम्यान से चलना ज़िंदगी है।
#श्वेता
★★★
आइये आज की रचनाएँ पढ़ते हैं-
अंबर के आनन में
मेघमाला सज रही है
कलियाँ-फूल और पत्तियाँ
अपनी नियति के पथ पर हैं
नदी मटमैली होकर
अपने तटबंधों को
सचेत कर रही है
दूर मेरा गांव पहाड़ी और पहाड़ी जिन्दगी
पर हमारी जिन्दगी थी मस्त मौला जिन्दगी
स्कूल थे सब बन्द तब शीतावकाश की बात है
प्रीत में डूबे भाव लिखे ...
पलकों पर ठहरा इंतेज़ार लिखा,
आँखों के झिलमिल ख़्वाब लिखे,
ज़रूरत से कहीं अधिक
पिता के लिए सबकुछ ज़िम्मेदारी ही रहा-
उनकी माँ से लेकर उनके बच्चों की माँ तक
घर की टूटी दीवार से लेकर बच्चों की नौकरी तक
दुआर पर गाय से लेकर धान उगाने वाले खेत तक
जब-जब बीमार हुए पिता
उन्हें डागदर बाबू की दवाई ने कम
ज़िम्मेदारी ने अधिक बार ठीक किया।
आसान न था
उस पार का सफर
मिथिल भ्रम की उपासना का मोह
जन्मजात क्रियाओं का दम्भ
बहुतेरा था इस पार के स्थायित्व के लिए
काश कोई घर में उन्हें देख-भाल करने वाला होता।
पर कोई देख-भाल करने वाला होता कैसे ? उसकी अंतरात्मा ने उससे पूछते हुए याद दिलाया। तुम तो किसी को अपने साथ रहने नहीं देती।अभी भी घर से आते वक्त मोहन साथ में अपनी माँ को लाना चाहता था तो तुमने उसेे मना करते हुए कहा था हमारे घर में बस हम दो , हमारे दो ही रहेंगे। कभी भी माँ-पिताजी या कोई परिवार का सदस्य आ गया तुम्हारी तवियत बिगड़ जाती है या खाना बनाना भूल जाती हो।पिछली बार पिताजी आए थे तो उन्हें बार-बार मैगी खाने दे देती थी।जबकि तुम्हें पता है कि उन्हें मैंगी नहीं पसंंद।
पर हे मानव-विशेष! तनिक बतला दीजिए मुझे भी,
भला आप ने ये रिपोर्ट पायी
किस फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला की ?
या कह दी उन्हीं देवता-पैग़म्बर ने ही,
आप से कि सच में मिली है आपको डीएनए उन्हीं की?
★★★★★★★
आज का अंक आशा है
आपको पसंद आया होगा।
कल का अंक पढ़ना न भूलें
कल आ रही हैं विभा दी
विशेष प्रस्तुति लेकर।
#श्वेता
बेहद पसंद आई आज की प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति।सार्थक लेखन।
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ..
सादर..
वाह!सुंदर प्रस्तुति श्वेता ।
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंHARDIK DHNYWAD AAPKA
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं