आ० आँचल पांडे जी...लघुकथा -
सियासतगंज बस हादसा
स्पेशल बस की सूचना मिलते ही बस की ओर तेज़ी से बढ़ते हैं।
वरना इस भीषण गर्मी में चलते-चलते हमारे पैर तो अब जवाब दे चुके थे।
अरे घर क्या, इस भुखमरी और कोरोना नामक महामारी
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
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आशा-निराशा के बीच झूलती दुनिया को सार्थक संदेश देता काव्यांश।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचनाओं का संकलन।
चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ।
उम्दा लिंक्स|मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंसराहनीय प्रस्तुतीकरण
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार..
सादर
बहुत बेहतरीन और सारगर्भित भूमिका से आग़ाज़ करता एक अत्यंत सार्थक संकलन! आभार और बधाई!!!
जवाब देंहटाएंआभार
हटाएंनहीं न करेगी अब
सादर नमन
बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुंदर भावपूर्ण रचना की अनमोल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति 👌👌
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