आकस्मिक प्रस्तुति
अपरिहार्य कारणों से आज
पम्मी बहना व्यस्त हैं
हमें मैसेज आया कि
ताबड़-तोड़ प्रस्तुति
फौरन से पेश़्तर
हाज़िर करें...
सो प्रस्तुत है
ब्लॉग आब़सार के
चंद कतरे...
ब्लॉग निगारा हैं
मीनू भागिया
कुछ ग़ज़लें..
......
अहल-ए-शौक़ के घरों में पलते हैं बोन्साई
बारिशों को खिड़कियों से देखते हैं बोन्साई
चमकने लगे कैसे कट छंट कर फर्श पे
पहाड़ भी इक दिन बन जाते हैं बोन्साई
अपना कद कुछ और बढ़ा ले तू इन्सां
तेरे लिए तो हदों में सिमटते हैं बोन्साई
....
आदरणीय मीनू भागिया
दो ब्लॉग है
आबशार और अक्सर ऐसा होता है
दोनो 2014 से बंद है
........
और अंत में इस हफ़्ते का विषय
हम-क़दम का नया विषय
यहाँ देखिए
सादर
आज की ये ताबड़-तोड़ प्रस्तुति वाक़ई धमाकेदार रही! साधुवाद!!!
जवाब देंहटाएंगज़लें लाज़वाब है।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभारी हूँ दी।
सादर।
व्वाहहहहहह
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
कुछ हसरतें अनकही और पिन्हा है बेबसी
जवाब देंहटाएंतड़पती मौजों की तिश्नगियाँ यायावर
खारजार दामन है कोई दश्त तो नहीं
आ गिरती हैं इसमें वीरानियाँ यायावर
वाह! 👌👌👌👌👌लाजवाब प्रस्तुति👌👌🙏३ हार्दिक शुभकामनायें और आभार 🙏🙏
बहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंलाजवाब प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंआभार
बहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं