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रविवार, 28 जून 2020

1808.....• दुनिया की सबसे खूबसूरत चीजें न ही देखि जा सकती हैं न ही छुई, उन्हें बस दिल से महसूस किया जा सकता है।   


दुनिया की सबसे खूबसूरत चीजें न ही देखी जा सकती हैं
न ही छुई, उन्हें बस दिल से महसूस किया जा सकता है। 
ये कथन है......

हेलन केलर जी का......
जिन्होंने अपनी कई  दिव्यांगताओं के बावजूद भी.......
हिमत नहीं हारी......और जीवन में एक सफल महिला बनी.....
कल यानी 27 जून को उनका जन्म दिवस था.....
 हेलन केलर (Helen Keller) का जन्म 27 जून 1880 को अलबामा में हुआ | उनके पिता शहर के समाचार-पत्र के सफल सम्पादक थे और माँ एक गृहिणी थी | हेलन (Helen Keller)
अभी छोटी ही थी कि उन्हें तेज बुखार से जकड़ लिया | अधिकतर मामलो में ऐसे रोगी की मृत्यु हो जाती थी लेकिन हेलन बच गयी | बाद में पता चला कि उनकी देखने और सुनने
की शक्ति जा चुकी थी | माता-पिता विकल हो उठे किन्तु वे जानते थे कि उनकी पुत्री सब संघर्षों का सामना करने की ताकत रखती है
हेलन केलर एक लेखक, सक्रीय राजनीतिक और आचार्य भी थीं । समाजवादी नाम के दल मे एक सदस्य के रूप में उन्होंने दुनिया भर के श्रमिकों और महिलाओं के मताधिकार,
श्रम अधिकार, समाजवाद और कट्टरपंथी शक्तियों के खिलाफ अभियान चलाया। हेलन केलर जन्म के कुछ महीनों बाद ही वो बिमार हो गये और उस बिमारी में उनकी नजर, जबान और
सुनने की शक्ती गयी. पर उनके माता पिता ने उन्हें पढ़नें का निश्चय किया और शिक्षक ढूढने लगे और नशिब से अनी सुलिव्हान इस टिचर ने हेलन केलर इन्हें शिक्षा दी.
अब पेश है.....आज के लिये मेरी पसंद......




मजबूत इच्छा शक्ति और कोरोना बचाव

अधिकतर लोग कहते हैं कि इस उम्र में बीमारियां इतनी हैं कि हंसने की हिम्मत ही नहीं होती , मुझे भी ५ वर्ष पहले ऐसी ऐसी बीमारियां थीं जो मुझे भय के कारण आराम से सोने भी नहीं देती थीं मगर ज़िंदा रहने की तेज इच्छा के कारण उनकी उपेक्षा करना शुरू की और एक आलसी और कमजोर शरीर से एक लम्बी दूरी का धावक निकल कर बाहर आया जो लगातार तीन घंटे तक बिना रुके दौड़ता था इस करामात ने जो मजबूत आत्मविश्वास दिया उससे न केवल चेहरे की रौनक जवानों से अधिक बेहतर बन गयी बल्कि मैं अपनी जवान
शक्ति को महसूस भी करने लगा था  और मैं वाकई हर फ़िक्र को धुएं में उड़ाता चला गया !!

वर्षा की दस्तक

नन्हीं नन्हीं बूंदों ने किया सराबोर
घर आँगन खेतों को हो कर विभोर |
 तरसी निगाहें इसे आत्मसात करने को
प्रकृति की अनमोल छवि मन में उतारने को
मनोभाव मन में दबा न सकी
कागज़ पर कलम भी खूब चली |

Online YouTube Video Editor Website ki Jankari
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जीवन बचाने के लिए चिंतन जरूरी- कोरोना काल

मानव ने  चाँद  पर कदम रखकर फतेह हासिल  की  व आज भी अन्य ग्रहों पर जाकर फतेह करने का जज्बा कायम है . लेकिन क्या प्रकृति पर काबू पाया जा सकता है ? प्रकृति जितनी सुंदर है वहीं उसे बंजर बनाने में मानव का बहुत बडा हाथ है. धरती को रासायनिक उर्वरों व संसाधनों द्वारा बंजर व शुष्क बनाकर मानव, आग में घी डालने का काम कर रहा है. क्योंकि प्रकृति जहरीली गैसों से भरा बवंडर भी है. हम मानव निर्मित संसाधनों द्वारा प्रकृति से खिलवाड़ करके अपनी ही सांसों को रोकने का प्रबंध कर रहे हैं. आज हम विश्व स्तर पर प्रकृति से युद्ध लड़ रहें  हैं. जिसमें उसका हथियार एक अदृश्य सूक्ष्म जीव है . जिसने आज  जगत  ,में  कहर मचा रखा है.

चिट्ठी-पत्री का युग बीता,

मंजिल पहले जैसी ही है,
मगर डगर तो बदल गयी है।
जिसको देखो वही यहाँ पर,
मोबाइल का हुआ दिवाना।
मुट्ठी में सिमटी है दुनिया,
छूट गया पत्रालय जाना।।

संयुक्त

दौलत का निहायत ही भूखा है, हरामी,
कुटिल बातों मे उसकी कभी हरगिज भी,
डगमगाने न देना तुम, अपने यकीन को,
वक्त आने पे छोडना मत, कुटिल चीन को।

भारत माँ का सैनिक हूँ----पूरण मल बोहरा की देश भक्ति से पूर्ण रचना

मातृभूमि से सच्चा नाता।
मां भारती के गीत गाता।।
युद्ध में पीठ दिखात नही।
है फौलादी सीना हमारा।
हमको भारत सबसे प्यारा।।

रिश्तों का मर्म

कण-कण जुड़ा है,
एक दूसरे से ।
रिश्ते ना जुड़ें
ये हो सकता नहीं ।

धन्यवाद।

9 टिप्‍पणियां:

  1. सार्थक रचनाओं से भरी आज की सुंदर प्रस्तुति!

    जवाब देंहटाएं
  2. सादर नमन..
    अभूतपूर्व महिला हेलेन केलर को..
    आत्मविभोर करती रचनाएँ..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  3. हलचल का 1808वाँ अंक अच्छा रहा।
    मेरी पोस्ट का लिंक सम्मिलित करने के लिए आभार।
    आदरणीय कुलदीप ठाकुर जी!

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत खूबसूरत रचना संकलन

    जवाब देंहटाएं
  5. सुंदर प्रस्तुति प्रिय कूलदीप जी।हेलन केलंर को नमन। 🙏🙏सभी सुंदर रचनाओं के रचनाकारों को शुभकामनायें और बधाई🙏🙏

    जवाब देंहटाएं

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