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रविवार, 22 मार्च 2020

1710....इस रविवार २२ मार्च को 'जनता कर्फ्यू' क्यों आवश्यक है जानिए...

जय मां हाटेशवरी....
देश में कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए माननीय  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी  द्वारा रविवार   (22 मार्च) यानी आज  बुलाए गए 'जनता कर्फ्यू' का हम सभी पालन  करें।                                                              जनता कर्फ्यू यानि जनता के लिए,जनता द्वारा खुद पर लगाया गया कर्फ्यू।
उल्लेखनीय है कि माननीय  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी  ने कोरोना वायरस संकट को लेकर आगामी 22 मार्च को सुबह सात बजे से रात नौ बजे तक 'जनता कर्फ्यू' का आह्वान किया है
और कहा कि आवश्यक सेवाओं से जुड़े लोगों को छोड़कर किसी को भी घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। उन्होंने बृहस्पतिवार (19 मार्च) को करीब 30 मिनट के राष्ट्रीय
संबोधन में सभी भारतीयों से अपील की कि कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए यथासंभव घरों के अंदर ही रहें और कहा कि दुनिया में कभी इतना गंभीर खतरा पैदा
नहीं हुआ।
प्रधानमंत्री जी  ने अपने कोरोना वायरस महामारी संकट पर अपने संदेश में कहा था कि यह सोचना सही नहीं है कि सब ठीक है और इस वायरस को फैलने से रोकने के लिए लोगों
से केंद्र सरकार तथा राज्य सरकारों द्वारा जारी परामर्शों का पालन करने का अनुरोध किया। प्रधानमंत्री जी  ने कहा कि प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध में भी इतनी संख्या
में देश प्रभावित नहीं हुए थे जितनी कि कोरोना वायरस से हुए हैं।
 पांच लिंकों का आनंद परिवार द्वारा सभी लोगो से एक अपील की जाती है कि आज हम सभी भारतीय  सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक,  जनता-कर्फ्यू
का पालन करेंगेेे।  आज न हम   घरों से बाहर निकलेंगे, न सड़क पर जाएंगे, न मोहल्ले में कहीं जाएंगे।सिर्फ आवश्यक सेवाओं से जुड़े लोग ही आज  अपने घरों
से बाहर निकलेंगे।    आज शाम के 5 बजे,हम अपने घर के दरवाजे पर खड़े होकर,बाल्कनी में,खिड़कियों के सामने
खड़े होकर5 मिनट तक ऐसे लोगों का आभार व्यक्त करें, जो अपनी जान की परवाह न करते हुए,दूसरों की सेवा में लगे हुए हैं। अत्तः  आज  हम ऐसे सभी लोगों
को धन्यवाद अर्पित करें।
आज का हमारा  ये प्रयास, हमारे आत्म-संयम,देशहित में कर्तव्य पालन के संकल्प का एक प्रतीक होगा। एक दिन की  जनता-कर्फ्यू की सफलता, इसके अनुभव, हमें आने
वाली चुनौतियों के लिए भी तैयार करेंगे।
आज हम सभी अपने ब्लौगों के माध्यम से  इस महामारी को रोकने में अपना अपना योगदान दें।
अब पेश है.....आज के लिये मेरी पसंद।


इस रविवार २२ मार्च को 'जनता कर्फ्यू' क्यों आवश्यक है जानिए...
अगर आप अभी भी अपने दोस्तों के साथ घूम रहे हैं, होटल जा रहे हैं, पार्टी कर रहे हैं और ऐसे दिखा रहे हैं जैसे ये (कोरोनावायरस) आपके लिए कोई बड़ी मुसीबत नहीं है, तो आप बहुत बड़े भ्रम में हैं.. अपने आप को संभाल लीजिये.. नीचे का सारा मैसेज एक इटालियन लोगों द्वारा पोस्ट किया गया है.. जो कुछ भी उन्होंने जैसा भी लिखा है उसे वैसा ही लिखा जा रहा है:


करोना का अंत ..मानव-जाति की सुबह ....
राग-द्वेष,पाखण्ड नहीं ,धर्म -जाति ,वर्ग भू-खंड नहीं ,
विपदा के इस काल-खंड में,शुभ सबका कल उज्वल ढूंढें -
अपना और पराया छोड़ ,लाभ - हानि का लोभ , मोह
जीवन से नेह अनुराग रहे , सेवा,सहकार का पल ढूंढें -


 कविता का फूल (विश्व कविता दिवस पर)
उछले उर्मि सागर उर पर,
राग पहाड़ी ज्यों संतूर पर।
प्रीत पूनम मद नूर नूर तर,
चाँद धवल हो जाता है।

Amrita pritam birth anniversary: मानो वो मुस्कान उस दरवाजे पर आज भी खड़ी है
पहचान - अमृता प्रीतम
जो तुम्हारी सूरत में मेरे पास आया है
और वही मैं हूँ...
और वही महक है...


मंज़िल मिल जाएगी ....
इन्हीं राहों में हम फिर मिल चलेंगे
ज़िंदगी जिंदादिल वापस मुस्करायेगी
अपने होने का यूँ एहसास कराएगी
लरज़ते कदमों से ही तू चल तो सही
कह रही 'निवी' मंज़िल मिल जाएगी


आत्मीयता से भरी बातों को..
कि मुजरिम बनाकर,
हमें
कठघरे में
खड़ा कर दिया,
चलो अच्छा किया,
एक शिष्टाचार था
अपने ढंग से निभा दिया.


जहाँ कन्याओं का जन्म हो, माँ स्त्री हो देवी नहीं, वहाँ पुरुष पिता होगा मर्द नहीं
नवरात्रि आने वाली है देवी मैया के गुणगान और कन्याओं की पूजा शुरु होने वाली है, हालांकि कोरोना के कारण धूमधाम में थोड़ी तो कमी होगी पर बन्द नहीं होगा यह।
देवीपूजन और कन्यापूजन को ढोंग कहने पर बहुत लोगों को आपत्ति होगी, उनकी भावनाएं आहत होंगी, इसलिए नहीं कहती लेकिन इन्हीं लोगों से पूछना चाहती हूं कि यूनिसेफ़ की रिपोर्ट कहती है कि हिंदुस्तान में रोज़ 7000 बच्चियाँ गर्भ में मारी जा रहीं,जी हाँ रोज़ाना सात हज़ार बच्चियाँ तो आपकी भावनाएं आहत होती हैं? अगर हाँ तो प्रतिक्रिया क्यों नहीं आती? मज़ेदार बात यह कि यह बच्चियाँ तब मारी जा रहीं हैं जब इस देश में कन्या भ्रूण हत्या के लिए  1994 में प्री नेटल डायग्नोस्टिक टेक्निक यानी पीएनडीटी क़ानून
 लागू है। एक अनुमान है कि पिछले तीस से चालीस साल में देश में तीन करोड़ से अधिक लड़कियाँ गर्भ में मार दी गई हैं। एक तरफ समाज देवी मैया के भजन गाता है दूसरी तरफ़ तीन करोड़ बच्चियों को महज़ इसलिए मार देता है कि वह लड़का नहीं हैं। कितने चुपचाप,कितनी ख़ामोशी और कितनी चालाकी से हम इन क्रूर आंकड़ों पर आँखें बंद कर लेते हैं..हाउ स्वीट न..
हम तो #नववर्ष 2077 की तैयारी कर रहे हैं आप हैं कि आधी शताब्दी पीछे 2020 में ही अटके हैं #सनातन_नववर्ष ... समस्त देशवासियों को सनातन नववर्ष की की  अग्रिम
शुभकामनाएं। ...
धन्यवाद।


9 टिप्‍पणियां:

  1. बेहतरीन जानकारी परक प्रस्तुति
    आभार आपका
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह! एक बेहतरीन पठनीय संग्रह। बधाई और आभार।

    जवाब देंहटाएं
  3. सभी स्वस्थ्य रहें सानन्द रहें
    कुछ दिनों परिवार संग गुजारें

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर प्रस्तुति।
    सार्थक सुंदर सामग्री।
    सभी रचनाकारों को बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  5. प्रिय कुलदीप जी . हमेशा की तरह आज भी आपने सारगर्भित भूमिका लिखी है | आज का दिन ऐतहासिक रहा और आपकी और सभी जनों की आशाओं पर खरा उतरा जिसमें सौहार्द और भाईचारे के साथ कौमी एकता की विहंगमता देखने को मिली | करतल , घंटा , थाली की ध्वनियों के साथ शंखनाद समस्त समाज में देशहित की अद्भुत छटा बिखेर गये | सभी को आभार| आज की रचनाये शानदार और पठनीय | सभी रचनाकारों को नमन | आपको भी बधाई इस अतुलनीय अंक के लिए | सस्नेह -

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