निवेदन।


फ़ॉलोअर

सोमवार, 6 जनवरी 2020

1934.....हम-क़दम का 102 नम्बर का अँक दुआ

सोमवारीय विशेषांक में
आप सभी का स्नेहिल
अभिवादन
-------
दुआ है कि बद् दुआ उम्रेदराज़ हो जाऊँ
जीना इतना आसांं भी नहीं क्या मज़ाक हो जाऊँ?

'दुआ' नेक इरादों से की जाने वाली एक पाक ज़ज़्बात है। इंसानी ज़िंदगी की सलामती और जीने की सहूलियत के लिए हम सभी दुआएँ करते और देते है।

★★★★★★

आइये आज की कालजयी रचनाओं पर
एक नज़र डालते हैं-
------–
इक़बाल
बच्चों की दुआ
लब पे' आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी,
ज़िन्दगी शमा की सूरत हो ख़ुदाया मेरी ।
दूर दुनिया का मेरे दम से अंधेरा हो जाए
हर जगह मेरे चमकने से उजाला हो जाए ।
हो मेरे दम से यूँ ही वतन की ज़ीनत,
जिस तरह फूल से होती है चमन की ज़ीनत ।
-------------

गुलशन बावरा
मेरी दुआ है
मेरी दुआ है फूलों-सी तू खिले
जैसी तू है तुझे वैसा ही एक हसीन जीवन साथी मिले

हर नई सुबह लाए तेरे लिए किरणें तेरी ख़ुशी की
तू रहे जहाँ वहाँ रहे सदा मीठी गूँज हँसी की
हो न तकदीर से तुझे शिकवे-गिले
मेरी दुआ है फूलों-सी तू खिले

--------

शैलेन्द्र
दुआ कर 
दुआ कर ग़म-ए-दिल, ख़ुदा से दुआ कर
वफ़ाओं का मजबूर दामन बिछा कर
दुआ कर ग़म-ए-दिल, ख़ुदा से दुआ कर
जो बिजली चमकती है उनके महल पर
वो कर ले तसल्ली, मेरा घर जला कर
दुआ कर ग़म-ए-दिल...


--------

आइये अब नियमित रचनाएँ पढ़ते हैं-

आप सभी के बहुमूल्य सहयोग के लिए
हृदय से आभार।
आपसभी की बेशकीमती रचनाएँ
हमक़दम की शोभा बढ़ाती रहे यही
दुआ करती हूँ।

★★★★★

आदरणीय साधना वैद जी

तुझे रोशनी की थी चाहतें
तूने चाँद तारे चुरा लिये
हमें हैं अंधेरों से निस्बतें
कि ग़मों को अपने छिपा सकें !

तेरे लब पे खुशियाँ खिली रहें
या खुदा दुआ ये क़ुबूल कर
जो मोती गिरें मेरी आँख से  
तेरी राह में वो बिछा सकें !

~~~~~~~~

 दुआ बद्दुआ

अपनों  के दिल से  निकली बातें
 सभी  बद्दुआएं  नहीं होती  
अपना रंग दिखाती हैं 
अपनी सी  हो जाती हैं
 माँ  से मिली सभी  नसीहतें  
चाहे उस समय कटु लगें पर 
 हर  पग पर राह दिखाती हैं
जीवन सफल बनाती हैं


~~~~~



आदरणीय कुसुम कोठारी







बरसता  रहा  आब-ए-चश्म  रात भर बेज़ार ,
भीगी  हुई  चांदनी  का  शजर  है ज़िंदगी ।।


मिलने को तो मिलती रहे दुआ-ए-हयात रौशन ,

उसका करम  है उसको नज़र है ज़िंदगी ।।


~~~~~~~~

आदरणीय पुरुषोत्तम सिन्हा
दुआ उन्हीं की, ले आएगी पुरवाई!
हमारे बुजुर्ग, तन्हाई में खुद को समेटे, 
इन्तजार में पथराई आँखों और 
टूटती साँसों के अन्तिम क्षणों में भी,
अपने बच्चों के लिए लबों पल
 दुआ की कामना ही रखते हैं।

~~~~~

आदरणीय अनीता सैनी





सफ़र में हो अलौकिक आलोक,

लौ प्रियतम प्रीत की उस जहां में जलायेंगे,  

आस  प्रज्ज्वलितकर जीवन पथ पर,

तिमिर का सोया भाग्य जगायेंगे,  

तुम्हारी पाकीज़ा मुस्कान को,

छू न पाये फ़रेब,
दुआ में धड़कनों की धड़कती  सरगम से,
ख़ैरियत तुम्हारी उस ख़ुदा से चाहेंगे |

~~~~~~

आदरणीय अभिलाषा चौहान
दुआ बिकती नहीं ऐसे,
खरीदो चंद सिक्कों से।
दुआ मिलती नहीं ऐसे,
कभी जोर -धमकी से।
दिलों की बात है ये,
दिलों तक पहुंच जाएगी।
दिलों में झांक कर देखो,
दुआएं काम करती हैं.,

~~~~~~~~

आदरणीय सुजाता प्रिया जी
ऐसी दुआ दे
जन के दिलों में समता जगा दे।
भेद भुलाकर विषमता भगा दे।
कटुताओं को जड़ से मिटा दे।
हे जगदीश्वर ऐसी दुआ दे।।


हमें ऐसी बुद्धि दो हे परमेश्वर।
आपस में हम रहें मिलजुलकर ।
नफरत दिलों से सदा ही दुरा दे।
हे जगदीश्वर ऐसी दुआ दे।।

~~~~~~~~


आदरणीय शुभा मेहता जी


बस ,एक पुत्र की आस में 

जो तारेगा वंश 

सोच तो यही थी ।

कौनसी दुआ फली 

नहीं मालूम ..?

पुत्र जन्मा ..

बधाईयाँ ,मंगलगान ..
क्या ,माहौल था ,

~~~~~~~

आदरणीय मीना शर्मा
जिंदगी हर पल कुछ नया सिखा गई.

काँटे भी कम नहीं थे गुलाबों की राह में,
खुशबू की तरह हमको बिखरना सिखा गई ।

अच्छाइयों की आज भी कीमत है जहाँ में,
दामन को दुआओं से ये भरना सिखा गई ।।


~~~~~~~~



आदरणीय सुशील सर


यही अहसास


बन जाते हैं



सतरंगी धागे 



कलाई के

चारों ओर



फिर

एक और

इंद्रधनुषी
छटा
बिखेरते हुऐ

~~~~~~~
और चलते-चलते

आदरणीय सुबोध सिन्हा



अम्मा !

सुना है दुनिया वालों से हमेशा कि ..

है तुम्हारी दुआओं में बहुत असर
क्यों लगाती हो मुझे भला फिर
तुम काजल का टीका कि ..
लग जाएगी मुझे ज़माने की नज़र
और काम भी क्या उस
मूरत का भी जो भला
मूक रहता है, आता है
जब-जब भी क़ुदरत का क़हर ...

-------
हमक़दम का अंक आपको कैसा लगा?
आप सभी की प्रतिक्रिया सदैव
उत्साह बढ़ा जाती है।

हमक़दम का अगला विषय
जानने के लिए
कल का अंक पढ़ना न भूलें।

#श्वेता सिन्हा








15 टिप्‍पणियां:

  1. सबने सटीक लिक्खा है..
    हर विषय पर लिखने वाले कवि-कवियित्रियों
    को सादर नमन...
    सादर...

    जवाब देंहटाएं
  2. बेहद खूबसूरत अंक।सभी रचनाएँ बेजोड़।सभी रचनाकारों को वधाई।मेरी रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक धन्यबाद

    जवाब देंहटाएं
  3. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  4. सुप्रभात
    उम्दा संकलन आज का भी सदा की तरह |एक विषय पर अपना अपना सोच पढ़ना बहुत अच्छा लगता है |शानदार प्रयास ऐसे संकलन का |

    जवाब देंहटाएं
  5. वाह!शानदार प्रस्तुति ! मेरी रचना को स्थान देने हेतु हृदयतल से आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  6. रोज समय निकालकर प्रत्येक रचनाकार की रचना पढूं मुझे इतना समय नहीं मिल पाता।
    हाँ...लेकिन आपके इस प्रस्तुति के माध्यम से सप्ताह में एक दिन बढ़िया समय निकालकर सभी रचनाकारों की रचनाओं को पढ़ने की कोशिश करता हूँ।

    आप बहुत सुन्दर कार्य कर रहीं है...और आज की प्रस्तुति भी बहुत ही बढ़िया है।

    जवाब देंहटाएं
  7. खूबसूरत दुआओं से लबालब आज की लाजवाब प्रस्तुति में जगह देने के लिये आभार श्वेता जी।

    जवाब देंहटाएं
  8. सादर नमन आपको श्वेता जी और आभार आपका मेरी रचना को हमक़दम के अंक में साझा करने के लिए ...

    जवाब देंहटाएं
  9. हार्दिक आभार श्वेता जी आपका ! अपनी रचना अनपेक्षित रूप से इसमें देख कर बहुत हर्षित हूँ ! सभी रचनाएं बहुत सुन्दर ! आपका पुन: हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत ही सुन्दर संकलन प्रिय श्वेता दी. मेरी रचना को स्थान देने के लिये तहे दिल से आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  11. वाह
    बहुत सुंदर संकलन
    सभी रचनाकारों को बधाई

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत शानदार प्रस्तुति सुंदर भुमिका हर दिल अजीज रचनाकारों की सुंदर रचनाओं के साथ सभी पांच लिंक के रचनाकारों की सुंदर रचनाएं सभी को शुभकामनाएं और दुआ है सदा मां शारदे की आषीश सभी पर बरसती रहे।
    मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार।

    जवाब देंहटाएं
  13. प्रिय श्वेता, हमकदम में मेरी रचना को शामिल करने हेतु मैं आप सबका हृदय से धन्यवाद करती हूँ। एक विषय पर सभी रचनाकारों की विविधतापूर्ण सोच को,कलात्मक प्रस्तुतियों को पढ़ना अच्छा लगता है। सुंदर अंक और प्रस्तुति के लिए बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  14. शानदार प्रस्तुति लाजवाब लिंक्स...

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।




Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...