निवेदन।


फ़ॉलोअर

गुरुवार, 17 अक्तूबर 2019

1553...नाटक खत्म हुआ तो भ्रम का परदा भी गिर जाना है!...

सादर अभिवादन। 

Image result for KARVA CHAUTH

चित्र साभार :गूगल 

             आज उत्तर भारत का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण त्योहार करवा-चौथ बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। जीवनसाथी की दीर्घायु की मंगलकामनाओं और आस्था व समर्पण से जुड़ा यह पर्व समाज में रौनक और उत्साह भरता है। करवा-चौथ का सामाजिक महत्त्व अत्यंत व्यापक है। जीवन के हरेक क्षेत्र में इस पर्व की झलक आज के दिन अवलोकन में आती है। 

करवा-चौथ की हार्दिक शुभकामनाएँ। 


रफ़ाल लड़ाकू विमान की ख़ूबियाँ
नींबू-मिर्ची ने चर्चा से बाहर कर दीं,
यह कैसा देश में उन्माद रोग फैल गया है 
बहुसंख्यकवाद ने अपनी मंशाएँ ज़ाहिर कर दीं।
-रवीन्द्र   

आइये पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ -



 
 मुझे याद है अपने मायके ससुराल में किसीको भी मैंने चलनी के माध्यम से चन्द्र देव के दर्शन करते हुए नहीं देखा ! न ही बाज़ार में इस तरह से सजी हुई चलनियाँ मिला करती थीं ! बाज़ारवाद की परम्पराएँ तो केवल हानि लाभ के सिद्धांतों से परिचालित होती हैं लेकिन धार्मिक विश्वास और आस्थाएं जिन रीति रिवाजों से पालित पोषित होते हैं क्या उनका तर्क की कसौटी पर खरा उतरना आवश्यक नहीं ? अधिकाँश महिलायें अब चलनी के माध्यम से चाँद क्यों देखने लगी हैं मैं इसका उत्तर जानना चाहती हूँ ! आशा है मेरी शंका का समाधान कर मेरा ज्ञानवर्धन आप में से कोई न कोई अवश्य करेगा !


सभी बहनों को करवाचौथ की हार्दिक शुभकामनायें एवं बधाई !

 

कोमल कामना चिरायु की सजाये सीने में शिद्द्त से
करवा-चौथ के चाँद को निहारती,  
चाँद-चाँदनी बिछाये क़दम-क़दम पर राह में,  
 यही फ़रियाद करती सितारों से |



 

सपनों की इस नगरी में, कब तक भटकेगा दर दर ?
स्वप्न को सत्य समझकर रह जाएगा यहीं उलझकर!
निकल जाल से, क्रूर काल से तुझको आँख मिलाना है!
नाटक खत्म हुआ तो भ्रम का परदा भी गिर जाना है!
मन रे,अपना कहाँ ठिकाना है?


 

तू ही रखता है हर राज़ मेरा पोशीदा,
तेरे जैसा कोई हमराज़ नहीं हो सकता.

मुझको जो कुछ भी मिला ये है इनायत तेरी,
अपनी कोशिश पे मुझे नाज़ नही हो सकता.

 मेरी फ़ोटो
  
दीमक लगी   
अंदर से खोखले   
सारे ही रिश्ते।   

कोई सुने   
कारूणिक पुकार   
रिश्ते मृतक।  



तुम्हें नही पा सके तो 
क्या हुआ !
कम से कम 
खोने की नौबत तो नही आयी।



मुख्य स्तूप के आसपास कई संघाराम का निर्माण कराया गया था। इन संघाराम में बौद्ध भिक्षु निवास करते थे। पर चीनी यात्री फाहियान लिखता है कि जब वह यहां पहुंचा तो कपिलवस्तु उजाड़ हो चुका था। दूसरा विदेशी यात्री ह्वेनसांग भी कपिलवस्तु की खोजखबर लेने पहुंचा था। आजकल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और उद्यान विभाग ने इस परिसर को इतना सुंदर सजा रखा है कि यहां आकर दिल खुश हो जाता है। पर हर रोज गिनेचुने सैलानी ही यहां पहुंचते हैं। नमो बुद्धाय। आगे चलते हैं।  


चलते-चलते आइये पढ़ते हैं 'उलूक टाइम्स' की विशेष प्रस्तुति-  

 

 


ईनाम देने का
फैसला
संविधान के अनुसार
इधर ही
क्यों नहीं होता है

नगाढ़ा
कोई
पीट लेता है
तस्वीर
किसी और की होती है
हल्ला
किसी
और का
हो लेता है



हम-क़दम का नया विषय
यहाँ देखिए



आज बस यहीं तक 

फिर मिलेंगे अगली प्रस्तुति में। 

रवीन्द्र सिंह यादव 


10 टिप्‍पणियां:

  1. मन रे,अपना कहाँ ठिकाना है?
    ना संसारी, ना बैरागी, जल सम बहते जाना है,
    मीना दी की रचना की ये पंक्तियाँ ,ऐसा लगता है कि मुझ जैसों के लिये ही लिखी गयी हैं।
    वैसे , आज करवाचौथ का पर्व है। अतः सुहागिन महिलाओं में इसे लेकर विशेष उत्साह है। कल बाजारों में खासी चहल-पहल रही। हाँ, ऐसे पर्वों को दिखावट से दूर रह कर मनाया जाएँ। घर स्वर्ग से सुंदर निश्चित होगा। इन्हीं शुभकामनाओं के साथ प्रस्तुतिकर्ता और सभी रचनाकारों को व्याकुल पथिक का प्रणाम

    जवाब देंहटाएं
  2. यह कैसा देश में उन्माद रोग फैल गया है
    बहुसंख्यकवाद ने अपनी मंशाएँ ज़ाहिर कर दीं।
    बहुत खूब
    🙏
    बहुत ही खूबसूरत अंक आदरणीय
    मुझे यहाँ स्थान देने के लिए आभार आपका सह्दय

    जवाब देंहटाएं
  3. उव्वाहहहह..
    जागरूकता की ढेरों तारीफ..
    अच्छा चयन..
    साधुवाद..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  4. आज के खूबसूरत अंक में जगह देने के लिये आभार रवींद्र जी।

    जवाब देंहटाएं
  5. बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुंदर अंक।
    ब्लॉग चिड़िया से शब्दनगरी तक, शब्दनगरी से यहाँ तक और यहाँ से आप सब तक !
    मन रे, अपना कहाँ ठिकाना है !!!
    बहुत आभारी हूँ आपकी रवींद्रजी और हलचल के मंच की भी, सदैव ही आप सबसे प्रोत्साहन मिलता रहा है।
    आदरणीया साधना दीदी की तरह ही ये प्रश्न मेरे मन में भी आता रहा कि चाँद को चलनी से देखने की परंपरा कहाँ से शुरू हुई ? बहरहाल हमारे यहाँ ऐसी कोई परंपरा नहीं है।

    जवाब देंहटाएं
  7. वाह बहुत सुंदर संकलन 👌। लाजवाब प्रस्तुति आदरणीय सर। सभी रचनाएँ एक से बढ़कर एक। सभी को खूब बधाई। सादर नमन शुभ संध्या 🙏

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति
    मुझे स्थान देने हेतु तहे दिल से आभार आदरणीय
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  9. शानदार प्रस्तुतिकरण उम्दा लिंक संकलन...।

    जवाब देंहटाएं
  10. आज के अंक में बहुत ही खूबसूरत लिन्क्स का चयन ! मेरे आलेख को सम्मिलित किया आपने आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार रवीन्द्र जी !

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।




Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...