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सृष्टि का आधार
"प्रेम"
इस शब्द में
छुपे व्यापक और
गूढ़ अर्थ को शब्दों में
परिभाषित करना आसान
हो सकता है परंतु इसकी अनुभूति
का लौकिक आनंद अभिव्यक्त कर पाना
संभव नहीं। आज के युग में प्रेम एक वस्तु
की तरह हो गया है जिसे लोग अपनी सुविधाके
अनुसार इस्तेमाल करते हैं। स्मार्टफोन संस्कृति
के दायरे में सिमटते विचार, डिजिटल होते
रिश्तों के दौर में प्रेम उस फैशन की तरह
है जिसकी गारंटी देना आपके पुरानपंथी,
रुढ़िवादी और सड़ी-गली वैचारिक
पिछड़ेपन की निशानी मानी
जाती है।प्रेम का आकर्षक
बाजारवाद युवाओं
को आकर्षित
करने में
पूर्णतः
सफल रहा है। तभी तो किसी भी अनुभूति और भावनाओं से बढ़कर प्रेम का प्रदर्शन ही प्रेम का पैमाना बन गया है।
★★★★★★
साहित्य में प्रेम पर आधारित रचनाओं का
विस्तृत भंडार है।
कुुुछ कवियों की लिखी रचनाओं मेें से दो पंक्तियाँ-
★★★★★★
अमीर खुसरो
स्मृतिशेष मैथिली शरण गुप्त
★★★★★★
कबीर
पोथी पढ़-पढ़ जग मुआ,पंडित भया न कोय।
ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंड़ित होय।।
ब्लॉग संपर्क फॉर्म सुचारु रुप से काम नहीं कर रहा है इस बार सभी रचनाएँ पिछली भेजी रचनाओं के आधार पर ब्लॉग से लिंक की गयी है अगर किसी की रचना छूट गयी हो तो मैं करबद्ध क्षमाप्रार्थी हूँ।
★★★★★
हमारे सम्मानीय रचनाकारों की
★★★★★
★★★★★★
आदरणीया आशा लता
एक रुप प्रेम का
सूर सूर ना रहे
कृष्ण भक्ति की छाया में
★★★★★
आदरणीया अनीता सैनी
प्रबल प्रेम का पावन रुप
प्रखर प्रेम को सजोये सीने में
सदियों से सहेजते और समझाते आये
सबल समर्पण साँसों में लिये
मसृण रस्सी से जीवनपर्यन्त बँधे आये
अंतरमन को उनके
उलीचती सृष्टि स्नेह की स्निग्ध धार से
प्रेम के वाहक कहलाये
★★★★★
★★★★★★
★★★★★★
★★★★★★★
आदरणीया अभिलाषा चौहान
प्रेम-बंधन
प्रेम बंधन जहां,
वहां प्रीति-प्रतीति..
झूठी है अनीति..!
कुटिल कुरीति..!
हो समत्व भाव,
चाहे हो अभाव।
प्रेम-बंधन है,
★★★★
प्रेम का ये रुप सच्चा
सिमट गई दुनिया पूरी,
चांद-तारों से बन गई दूरी।
फीस,कापी और किताबें,
जरूरतें जो कभी न हो पूरी।
जिम्मेदारियां का बढ़ा जाल,
भूल गए अपना सब हाल।
रोटी, कपड़ा और मकान,
इनके उठ खड़े हुए सवाल।
आदरणीय सुबोध सिन्हा प्रेम के तीन आयाम
यूँ तो कभी पाना है प्रेम .. कभी खोना है प्रेम
कभी अपनाना है प्रेम .. तो
कभी मजबूरीवश ठुकराना है प्रेम
ऑनर किलिंग हो तो खतरा है प्रेम
या फिर डोपामाइन का क़तरा है प्रेम
किसी से लिपटना है प्रेम
या किसी से बिछुड़ना है प्रेम
आज का हमक़दम आपको कैसा लगा?
आप सभी की प्रतिक्रियाओंं की प्रतीक्षा रहती है।
शुभ प्रभात..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचनाओं का
अद्भुत संगम..
सादर..
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंमेरा स्वास्थ्य ठीक न होने के कारण जल्दी ब्लॉग पर ना आ सकी थी |
मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |
लाजवाब अंक।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचनाओं का सुंदर संगम ।
जवाब देंहटाएंभुमिका में सार्थक विश्लेषण प्रेम पर कितना सच कितना दिखावा। और सुंदर बंधों में सार कह दिया कालजयी रचनाकारों ने ।
लाजवाब संकलन।
सभी रचनाकारों को बधाई।
मेरी दोनों रचनाओं को शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार।
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन भूमिका के साथ सुंदर प्रस्तुति ,हर एक रचना लाजबाब ,सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई ,मैं भी अपना लिक भेजी थी https://dristikoneknazriya.blogspot.com/2018/10/pyar-ek-roop-anek.html
जवाब देंहटाएंपरन्तु जैसा की अपने कहा " ब्लॉग संपर्क फॉर्म सुचारु रुप से काम नहीं कर रहा है" शायद मेरी रचना को इसी वजह से शामिल नहीं हो पाई। आप सभी को सादर नमन।
क्षमा चाहती हूँ कामिनी जी आपकी रचना कल के अंंक में प्रकाशित करने का प्रयास करूंगी।🙏🙏
हटाएंरचनाओं का सुंदर संगम !
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई मेरी रचनाओं को स्थान देने के लिए सहृदय आभार सखी,सादर
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी संग्रह प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति, मुझे स्थान देने हेतु आभार
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत सुंदर प्रस्तुति, मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार श्वेता जी।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लिंक्स एवम प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर प्रस्तुति प्रिय श्वेता। सभी रचनाएँ बहुत सुंदर हैं।
जवाब देंहटाएंसारी रचनाओं का सार बस इस एक पंक्ति में -
"ढाई आखर प्रेम के, पढ़े सो पंडित होय"
और विडंबना यह है कि इंसान से यही ढाई आखर नहीं पढ़े जाते वरना आज दुनिया में इतना स्वार्थ, इतनी हिंसा, इतना छल कपट ना होता। यही कहूँगी कि सबसे आसान है प्रेम पर लिखना,परंतु अत्यधिक कठिन है प्रेम को समझना, प्रेम करना (आजकल के फिल्मी अंदाज वाला नहीं) और सबसे कठिन है प्रेम निभाना।
मेरी रचना को हमकदम में स्थान देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया।
शानदार...... प्रेम से सराबोर रचनाएं.... मुझे यहां स्थान देने के लिये आपका शुक्रिया
जवाब देंहटाएंबहुत ही शानदार संकलन ! मेरी रचना को इसमें स्थान देने के लिए आपका ह्रदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार श्वेता जी ! सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई ! मेरी रचना का शीर्षक शायद बदल दिया आपने ! पहले तो मैं समझ नहीं पाई लेकिन अपना नाम और चित्र देख कर भरोसा हो गया कि रचना मेरी ही है ! इसे शिकायत मत समझिएगा ! ऐसे ही उल्लेख कर दिया ! सप्रेम वन्दे !
जवाब देंहटाएंहमक़दम के इस अंक में मेरी रचना साझा करने के लिए आभार आपका ... प्रेममयी संकलन ...
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