बारिश की खूबसूरत लड़ियों
से श्रृंगारित धरती की गोद में
इठलाती, बलखाती नदियाँ जब अपने तटबंधों को तोड़कर
मानव बस्तियों की ओर मुड़ती है तो
विनाश का पर्याय बन जाती हैं।
प्रकृति के कोप के साथ अगर मानवीय
स्वार्थपरता का मेल हो जाये तो हम मात्र
स्थिति की भयावहता का अंदाज़ा ही लगा सकते हैंं, पर जो लोग
बदबूदार,गंदले जलप्रलय की विभीषिका का दंश झेल रहे हैंं
उनका दर्द समझ पाना नामुमकिन है।
बरसों से कतर-ब्योंत करके अपना आशियाना बनाने और सजाने
वालों की आँखों.के सामने अपना सबकुछ नष्ट होता है तो
देखकर भी कुछ न कर पाने की मजबूरी का
एहसास कर पाना संभव नहीं।
हमारी संवेदना उनको कोई सहारा नहीं दे सकती हैंं।
उनतक मूलभूत सुविधाएँ सही तरह से पहुँच जाये
इस प्रयास में दिन-रात लगे मददगार अनाम
लोग एवं संस्थायें ये महसूस कराते हैं कि
संवेदनशीलता, दया
इंसानियत,मानवता,परोपकार जैसे शब्द आज भी निःस्वार्थ मन में धड़कते हैंं।
★★★★★
सिद्धार्थ बनकर रहने और जीने में,
क्या भय था ?
वह कौन सा ज्ञान था,
जो मेरे बनाये भोजन में नहीं था ?
वह मानती थी,
कि प्रेम समर्पण से पहले
एक विश्वास है,
और जहाँ विश्वास है,
वहाँ समर्पण लक्ष्य नहीं होता ।
★★★★★★★
कजरौटा
कजरौटा सुनते सुनते उम्र का चक्कर बीता,
रो रो काजल माँ को कहती,
क्यों तुमने मुझे जन्म दिया है,
सबने मिलकर काजल को कजरौटा किया है।
माँ ने सदैव सिखाया बिटिया,
रंग रूप ढल जाए,
गुण कमाई ही सदा जग मे बाकी रह जाए।
काजल ने सबको अनसुना कर माँ की बात यह मानी,
खूब लगन से सभी परीक्षा अवल्ल दर्जे से उर्तीण की।
★★★★★★
और चलते-चलते पढ़िये
हर कोई यह कहता है कि मुझे इससे क्या, मेरे अकेले के करने से क्या होगा - इस वर्ष जो गर्मी पड़ी है उसका नतीजा हमने देखा है, इस जाते हुए
मानसून में पानी की विभीषिका का तांडव हम देख ही रहें है तो
क्या हमें थोड़ा रुक कर और ठहर कर नहीं सोचना चाहिए कि हम
कहां जा रहे हैं त्यौहार सिर्फ बाजार की प्रतिस्पर्धा का त्यौहार ना बने,
हम बाजार की कठपुतली ना बने, लुभावने आकर्षणों के लालच
और दबाव में हम अपनी गरिमा और संस्कृति को ना खो दें
★★★★★★
आज की प्रस्तुति आप सभी को कैसी लगी?
आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रियाओं की सदैव
प्रतीक्षा रहती है।
हमक़दम के लिये
यहाँ देखिए
कल का अंक पढ़ना न भूले कल आ रही हैं
विभा दी एक विशेष प्रस्तुति के साथ।
आपकी श्वेता
गंभीर एवं सारगर्भित भूमिका के साथ विविध विषयक रचनाओं से सुसज्जित प्रस्तुति। बधाई।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ।
#बाढ़ / #Flood ने देश के कई हिस्सों में आमजन का जीना दूभर कर दिया है। सरकार और प्रशासन से हमारी जो उम्मीदें होती हैं उन पर इन्होंने पानी फेर दिया है। फ़िलहाल तो चर्चा में पटना की बाढ़ / #PatnaFlood है जहाँ सरकारी सहायता से अधिक सक्रियता समाजसेवियों से दर्ज़ की है। ऐसे सहृदयी मानवता के पालक उन समस्त जनों को मेरा सलाम !
सस्नेहाशीष संग शुक्रिया
हटाएंमनमोहक रचनाएँ..
जवाब देंहटाएंआभार पढ़वाई आपने..
सादर..
लाजबाब प्रस्तुतीकरण
जवाब देंहटाएंआप सब को बहुत बहुत धन्यवाद।सभी रचनाएँ अति सुंदर,👏👌
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसुन्दर संकलन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंप्रभावी भूमिका के साथ सुन्दर संकलन .. पटना का जन जीवन
जवाब देंहटाएंशीघ्रातिशीघ्र व्यवस्थित हो यही कामना है । मेरी रचना को प्रस्तुति में स्थान देने के लिए हार्दिक आभार ।
सामायिक सार्थक भूमिका के साथ लाजवाब प्रस्तुति सभी रचनाएं बहुत सुंदर। रचनाकारों को बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंलाजवाब प्रस्तुति सभी रचनाएं बहुत सुंदर।प्रार्थना करती हूँ प्राकृतिक आपदा से पीड़ित जनमानस जल्द ही इस बिपदा से उबरे।
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