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बुधवार, 9 अक्तूबर 2019

1545..दर्द उठे तो सूने पथ पर पाँव बढ़ाना चलते जाना..


।। भोर वंदन।।


त्योहारों, वारों के बाद अब समय जग की रीति- नीति के साथ..
"हँसा ज़ोर से जब तब दुनिया बोली इसका पेट भरा है
और फूट कर रोया जब तब बोली नाटक है नख़रा है



दोस्त कठिन है यहाँ किसी को भी अपनी पीड़ा बतलाना
दर्द उठे तो सूने पथ पर पाँव बढ़ाना चलते जाना..!!"
सर्वेश्वर दयाल सक्सेना 
अब नज़र डालें आज की
 लिंकों में शामिल रचनाओं पर..✍
🍂🍂🍂








मूल मन्त्र इस श्रृष्टि का ये जाना है
खो कर ही इस जीवन में कुछ पाना है
नव कोंपल उस पल पेड़ों पर आते हैं
पात पुरातन जड़ से जब झड़ जाते हैं    
जैविक घटकों में हैं ऐसे जीवाणू 
मिट कर खुद जो दो बन कर मुस्काते हैं
दंश नहीं मानो, खोना अवसर समझो
यही शाश्वत सत्य चिरंतन माना है
खो कर ही इस जीवन में ..

🍂 🍂🍂




यूं सत्य की असत्य पर विजय सदा बनी रहे।
दशहरा का दिन सभी से आज बस यही कहे।



बुराइयों का अंत हो, स्वच्छ सारा तंत्र हो
एक व्यक्ति भी यहां दमन कतई नहीं सहे।..

🍂🍂🍂




मन का रावण
आज भी खड़ा है
सर तान कर
अंगद के पाँव जैसा,
सदियां बीत गई
रावण जलाते..

🍂🍂🍂


हँसी आ गई
देख कर
बिजली के तार पर
नट की तरह
सूरज दादा को
संतुलन बनाते हुए !
इंसान की 
क्या बिसात !
बड़े-बड़ों को 
झंझटों में फंस कर
झूलते तारों में..

🍂🍂🍂





मारो एक, तो दस पैदा होते हैं रावण!



अगणित रावण, दहन किए आजीवन,
मनाई विजयादशमी, जब हुआ लंका दहन,
उल्लास हुआ, हर्षोल्लास हुआ,
मरा नहीं, फिर भी रावण!



मारो एक, तो दस पैदा होते हैं रावण!
🍂🍂🍂
हम-क़दम का नया विषय

यहाँ देखिए
🍂🍂🍂

।।इति शम।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह 'तृप्ति'..✍

11 टिप्‍पणियां:

  1. त्योहारों, वारों के बाद अब समय जग की रीति- नीति के साथ..यह प्रस्तुति बड़ी ही सटीक लगी। आगे कर्म पथ का विस्तार है रही त्योहारों का सार है।
    शुभ प्रभात।

    जवाब देंहटाएं
  2. रीति- नीति के साथ..यह प्रस्तुति बड़ी ही सटीक लगी। आगे कर्म पथ का विस्तार है यही त्योहारों का सार है।
    शुभ प्रभात।

    जवाब देंहटाएं
  3. बेहतरीन प्रस्तुति..
    हँसा ज़ोर से जब
    तब दुनिया बोली
    इसका पेट भरा है
    अप्रतिम...
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  4. विजय पर्व के आत्ममंथन से जुड़ी रचनाओं का अद्वितीय संकलन.
    अलग-अलग दृष्टिकोण. विभिन्न आयाम.
    इस संकलन में स्थान देने के लिए सहर्ष विनम्र आभार पम्मी जी.

    जवाब देंहटाएं
  5. सदैव की भांति बेहतरीन सामग्रियों का चयन....


    मेरी पोस्ट को शामिल करने हेतु हार्दिक आभार !

    जवाब देंहटाएं
  6. सुंदर प्रस्तुति ,सादर नमन

    जवाब देंहटाएं
  7. हमेशा की तरह शानदार भुमिका के साथ प्रस्तुति,
    बहुत सुंदर लिंक संयोजन, सभी रचनाएं उच्चस्तरिय सभी रचनाकारों को बधाई।
    मेरी रचना को पांच लिंको में शामिल करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया पम्मी जी ।

    जवाब देंहटाएं
  8. हर बार की तरह ... लाजवाब प्रस्तुति ... सुन्दर संकलन ...
    आभार मेरी रचना को जगह देने के लिए ...

    जवाब देंहटाएं

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