"सुना रहा हूँ तुम्हें दास्तान गाँधी की
ज़माने-भर से निराली है शान गाँधी की
रहे रहे न रहे इस में जान गाँधी की
न रुक सकी न रुकेगी ज़बान गाँधी की
यही सबब है जो वो दिल से सब को प्यारा है
वतन का अपने चमकता हुआ सितारा "
बिस्मिल इलाहाबादी
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें
आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।
टिप्पणीकारों से निवेदन
1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।
शुभ प्रभात..
जवाब देंहटाएं"छिपा दिया है राजनीति ने बापू! तुमको,
लोग समझते यही कि तुम चरखा-तकली हो।
नहीं जानते वे, विकास की पीड़ाओं से
जवसुधा ने हो विकल तुम्हें उत्पन्न किया था।"
शत शत नमन..
लाजवाब प्रस्तुति..
सादर..
आदरणीया पम्मीजी द्वारा प्रस्तुत शानदार प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ।
#गाँधीजी150 / #Gandhiji150
आज देश याद कर रहा है अपने दो महान सपूतों (राष्ट्रपिता महात्मा गाँधीजी और भूतपूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्रीजी) को।
आज जहाँ एक ओर अहिंसा के पुजारी महात्मा गाँधीजी की 150 वीं जयंती देश मना रहा है वहीं ईमानदारी के प्रतीक धरती के लाल शास्त्रीजी की 115 वीं जयंती पर देश उन्हें सादर नमन कर रहा है।
महात्मा गाँधीजी को लेकर देश में चल रही नकारात्मक बहस एक प्रकार की कुंठा से उपजा अनावश्यक सांस्कृतिक एवं सामाजिक प्रदूषण है। हम उन विरोधी विचारों का भी स्वागत करते हैं किन्तु उनका दायरा समाज और देशहित में हो।
कभी 1 % गाँधी बनकर जिया जाय तब गाँधीवाद का मर्म गले से उतरने को तत्पर होगा।
आज दुनियाभर के देश गाँधीवाद में निहित रचनात्मकता को समझकर उसे आत्मसात करने के लिये शोध कर रहे हैं और वहीं हम भारतवासी हैं जो गाँधीजी के कृतित्त्व एवं व्यक्तित्त्व की धज्जियाँ उड़ाने में ज़रा भी शर्म नहीं करते।
हिंसक विचार अब इस दुनिया की ज़रूरत नहीं हैं बल्कि जाग्रत विवेक से परमाणु-अस्त्रों से बुरी तरह बेरहमी से संक्रमित पृथ्वी पर जीवन बचाने के रचनात्मक उपायों और नवीनतम सृजनात्मक सोच के विकास की निहायत ही ज़रूरत है। आज दुनिया में ऐसे सनकी तानाशाहों या कुंठित व्यक्तियों / आतंकवाद के संरक्षणकर्ताओं के हाथों में परमाणु-बटन जनता ने भूल से थमा दिया है जो कभी भी अपने रोमाँचकारी अनुभव / इतिहास में अमर होने की रुग्ण मानसिकता के चलते धरती के अस्तित्त्व को ख़तरे में डाल सकते हैं अतः इन्हें नियंत्रित करने के लिये प्रबुद्ध मानवता को सक्रिय होकर अपना यथेष्ट योगदान अपने निजी सुखों को त्यागकर अर्पित करना होगा।
शानदार भूमिका
जवाब देंहटाएंसुंदर संयोजन
सभी रचनाकारों को बधाई
मुझे सम्मिलित करने का आभार
सादर
लाजवाब प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंराष्ट्र पिता महात्मा गाँधी व हमारे भूतपूर्व प्रधान मंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी का उनके जन्मदिवस पर पुण्य स्मरण एवं दोनों ही विलक्षण महानुभावों को विनम्र श्रद्धांजलि ! आज के संकलन में मेरी रचना को स्थान देने के लिये आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार पम्मी जी ! सप्रेम वंदे !
जवाब देंहटाएंमन लुभाती भुमिका के साथ बहुत शानदार संकलन!
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएं लाजवाब पठनीय,
सभी रचनाकारों को बधाई।
बेहतरीन प्रस्तुति ,सभी आदरणीय रचनाकारों को ढेरो शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएं