सादर अभिवादन।
आज 31 अक्टूबर है। इतिहास का उथल-पुथल भरा दिन।
भारत को एकता के सूत्र में बाँधने वाले 'लौह पुरुष' भारत के पहले उपप्रधानमंत्री व गृहमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल का जन्म दिवस है जिसे अब देशभर में राष्ट्रीय अखंडता दिवस के रूप में और 'रन फॉर यूनिटी' जैसे सरकारी आयोजन के तौर पर मनाया जाता है।
आज भारत की भूतपूर्व प्रधानमंत्री 'लौह महिला' इंदिरा गाँधी की पुण्य तिथि है। इंदिरा जी की मृत्यु के उपरांत 31 अक्टूबर 1984 को हुए सिख विरोधी दंगों ने देश का सर शर्म से झुका दिया जिसे एक राजनीतिक दल द्वारा प्रायोजित दंगा भी कहा जाता है। इन दंगों में सिख समुदाय के क़रीब 3000 लोग मारे गये थे।
आज से आधिकारिक रूप से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को राज्य के स्थान पर केन्द्र शासित प्रदेश का दर्ज़ा मिल रहा है। भारत सरकार ने अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को समाप्त करके नयी व्यवस्था लागू की है जिसमें सेना की जवाबदेही विशेष रूप से बढ़ गयी है। कश्मीर का सन्नाटा अब नयी सुगबुगाहट पैदा कर रहा है।
हम दुआ करते हैं देश में अमन और शांति का माहौल स्थापित हो और सभी नागरिक भयमुक्त जीवन जीने के हक़दार हों।
आइए अब आपको आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर ले चलें-
जीवन के खुरदुराहट के भीतर
मन की अँगुलियों ने
यात्रा सुखद हो
इसलिए कितने ही रास्ते बनाएं
सारे संताप उलीचने की कोशिश की
और यात्रा जारी रखी
खुद को दबाना होता है
बार बार मिट्टी में,
बीज बन जो मिटते हैं
औरों के लिए,
वही नव अंकुरित होते है,
लहराते है फसलों से,
धरती पर खिलते हैं जब फूल कांस के
मिलती है चेतावनी बादलों को,
कह गये बड़े बुज़ुर्ग यह बात..!
कांस लहराये तो बादलों की शामत आये..!!
अधिकार जो तुमको है पाना
कुछ कर्म भी करते जाना
समुद्र की गहरी हलचल में
हंस बनो इक मोती चुनो
चुनना तुम्हारा कर्म -धर्म है
एक सुबह किचन से श्रीमती ने आवाज़ लगाई 'अलेक्सा प्ले अ भजन बाई प्रह्लाद
टिप्पणिया' . अलेक्सा ने कुछ सोच कर जवाब दिया
-
आई डोंट अंडरस्टैंड
प्रहलाद टिप्पणिया !
जवाब पसंद नहीं आया. किचन से निकल कर श्रीमती ने अलेक्सा के पास आकर डांटा - अलेक्सा स्टॉप. इसे तो कुछ पता ही नहीं है. वापिस जाकर देखा तो चाय उबल कर गैस के चूल्हे पर गिर चुकी थी. तब से श्रीमती और अलेक्सा की दोस्ती ख़तम सी हो गई है. अलेक्सा अब ज्यादातर
शांत बैठी रहती है.
आपके हॉस्पिटल
इन रहते सुबह की चाय 6 बजे बाहर गुमटी पर पी लेती क्यों कि फिर गुमटी वाले का दूध खत्म हो जाता वो लौट जाता ...दिन भर आईं सी यू के बाहर बैठकर आने जाने वालों को ताकते रहते ....रिसेप्शनिस्ट
चाय पूछती पर बाद में पीने का मन ही नहीं रहता 2 महीने ऐसे ही बीत गए थे .....
आज बस यहीं तक
फिर मिलेंगे अगले गुरूवार।
रवीन्द्र सिंह यादव
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जवाब देंहटाएंदेश की एकता के सूत्रधार रहे देश के प्रथम उप प्रधानमंत्री वल्लभभाई पटेल को उनकी जयंती पर नमन ।आपकों लौह पुरुष और सरदार भी कहा जाता है। गृहमंत्री बनने के बाद आपने छह सौ छोटी-बड़ी रियासतों का भारत में विलय कराया ,परंतु यहाँ उत्तर प्रदेश और अपने जनपद मीरजापुर में एक जातीय विशेष के लोग उनके नाम पर जिसतरह की राजनीति कर रहे हैं, उससे आपसी एकता को कितना बल मिल रहा है, यह कितना उचित है ? इसपर भी विचार करें। अपने राजनैतिक लाभ के लिये जातीय बंधन में सरदार पटेल साहब को बाँध उनका दायरा संकुचित कर रहे हैं।
आज के दिन ही जब पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या हुई थी,तो मैंने देखा वाराणसी में सिख समुदाय के लोगों के प्रतिष्ठानों को किस तरह से लूटा गया, आगजनी की गयी, भय से वे अपने केश बनवा रहे थे और नाई ने भी मौका का लाभ उठा ,वह वर्ष 1984 में केश बनाने का 50 रुपये तक ले रहा था। दूसरों की विवशता का लाभ उठाना हम कम छोड़ेंगे।
समसामयिक भूमिका बढ़िया रही। कश्मीर के ताजा हालत पर नजर तो रखना ही होगा। सभी रचनाकारों को प्रणाम।
व्वाहहहह...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति...
शुभकामनाएं...
सादर...
लौह पुरुष और लौह महिला को शत-शत नमन
जवाब देंहटाएंसराहनीय प्रस्तुतीकरण
बहुत सुन्दर प्रस्तुति रवींद्र जी ।
जवाब देंहटाएंवाह!!खूबसूरत प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंलौह पुरुष और लौह महिला को सादर नमन
सादर
जी बहुत अच्छी प्रस्तुति बनाई है... आपने रविंद्र जी, प्रभावी भूमिका, एवं स्वर्गीय वल्लभभाई पटेल एवं स्वर्गीय इंदिरा गांधी जी को शत शत नमन.. जी इंतजार करते हैं जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख की अंदर फैली सुगबुगाहट आने वाले समय में क्या रंग लाएगी.. छा गई है हर्षवर्धन जी की यह अलेक्सा हर तरफ..छ गई है.. हमारी सोच किस तरह से मशीनीकरण हो रही है इस बात की और अच्छा इशारा किया है हर्षवर्धन जी ने इतनी अच्छी प्रस्तुति के लिए एक बार और आपको धन्यवाद...
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया रविन्द्र.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद Anita Laguri Anu
शानदार प्रस्तुतिकरण उम्दा लिंक संकलन...
जवाब देंहटाएंसभु रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
बहुत सुंदर और शानदार प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंतीन ऐतिहासिक प्रसंगों पर गूढ़ टिप्पणी देती सार्थक भुमिका।
सुंदर रचनाओं का चयन सभी रचनाकारों को बधाई सभी रचनाएं पठनीय सार्थक।
मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार।
आदरणीय,
जवाब देंहटाएंसार्थक भूमिका के साथ सुन्दर लिंक संयोजन ।सभी रचनाकारों को शुभकामनाएँ ।मेरी रचना को स्थान देने के लिए हृदय से आभार ।
सादर।