सूर्य के बिना धरा पर जीवन संभव नहीं,
सूर्य, प्रकृति और
मानव को मानव से
★★★★★★★
आइये आज की रचनाओं का आनंद लेते हैं-
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आदरणीया कामिनी सिन्हा
आस्था और विश्वास का पर्व
छठीमाता कौन थी? सूर्यदेव से उनका क्या संबंध था? छठपर्व की उत्पति के पीछे पौराणिक कथाएं क्या थी? इस व्रत को पहले किसने किया? इस व्रत के पीछे मान्यताएं क्या थी? ढेरों सवाल हैं परन्तु मेरे विचार से सबसे महत्वपूर्ण सवाल ये हैं कि - इस व्रत के पीछे कोई सामाजिक संदेश और वैज्ञानिक उदेश्य भी था क्या ?
जैसा कि मैंने इससे पहले वाले लेख [हमारे त्यौहार और हमारी मानसिकता] में भी इस बात पर प्रकाश डाला हैं कि -हमारे पूर्वजों द्वारा प्रचलित प्रत्येक त्यौहार के पीछे एक बहुत बड़ा मनोवैज्ञानिक और सामजिक उदेश्य छिपा होता था।
तो चलें, चर्चा करते हैं कि - छठपूजा के पीछे क्या -क्या उदेश्य हो सकते थे ?छठपर्व को चार दिनों तक मनाएं जाने की परम्परा हैं।
सोना के सूप में ...सुबोध सिन्हा
अभी-अभी घर आकर थाना के बड़ा बाबू अपनी धर्मपत्नी - 'टोनुआ की मम्मी' के हाथों की बनी चाय की चुस्की का आनन्द ले रहे हैं।
अक़्सर हम स्थानीय भाषा में अपने करीबी या मातहत के नाम के आगे बिंदास 'या', 'आ' या 'वा' इत्यादि जोड़ कर उस नाम की संज्ञा को विशेषणनुमा अलंकृत कर देते हैं ।
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कविता ...रोहिताश घोड़ेला
मैं बाहर निकलता हूँ
और उठा लेता हूँ
किसी की भावना से
खेलता हुआ विषय
जिस पर कविता बननी होती है
मैं अपराधी हूँ कविता तेरा
जो इस विषय पर तुझे लिख रहा हूँ
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इबादत मैं करूँ सिर्फ तेरी ..नीतिश तिवारी
ख्वाब भी तेरे,
रौशनी भी तेरी,
हुस्न भी तेरा,
तिश्नगी भी तेरी।
एक मैं ही अधूरा,
शाम-ए-महफ़िल में,
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लिख रहे हैं आप मानवता पर...यशोदा अग्रवाल
लिख रहे हैं आप
मानवता पर
लिखिए
जी चाहे
जितना हो
स्याही कलम में
खतम हो जाए
तो और भर लो
कलम को सियाही से
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तुम देख रहे हो साहेब ...अनीता सैनी
उजड़ रहा है
साहेब
धरा के दामन से
विश्वास
सुलग रही हैं
साँसें
कूटनीति जला रही है ज़िंदा
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और चलते-चलते
छठ पूजा ने इतना तो समझाया
छठ पूजा
पर खबर
चल रही थी
मतलब की बात
कुछ भी नहीं
निकल रही थी
अचानक सूत्रधार
ने कुछ
ऐसा बताया
कान पहले
दायाँ हिला
फिर बायाँ भी
ऐसा लगा कुछ नया
सा हाथ में
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आज का यह अंक आपको कैसा लगा?
आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रियाओं की सदैव प्रतीक्षा रहती है।
कल का अंक पढ़ना न भूलें
कल का विशेष अंक लेकर आ रही हैं
विभा दी।
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#श्वेता सिन्हा
बहुत आभारी हूँ दी आपके सहयोग और स्नेहाशीष हर मुश्किल को आसान कर देती है सदैव।
जवाब देंहटाएंसादर।
लाजवाब प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंआज नहाय खाय के
शुभकामनाएं..
सादर..
नहाय-खाय बीते कल यानी 31 अक्टूबर को था आज खरना/लोहंडा है। छठ पर्व का दूसरा दिन
हटाएंपूरा दिन उपवास रहकर शाम में साठी धान के चावल को गुड़ संग पका(रसियाव) रोटी केला से व्रतधारी फलाहार करते हैं
सादर
सुंदर सराहनीय प्रस्तुतीकरण
जवाब देंहटाएंसुप्रभात प्रिय श्वेता दी. बेहतरीन भूमिका के साथ बहुत ही सुन्दर सजी है पांच लिंको की प्रस्तुति. बहुत ही सुन्दर रचनाएँ चुनी है आज की प्रस्तुति में आप ने.मेरी रचना को स्थान देने हेतु तहे दिल से आभार आपका.
जवाब देंहटाएंसादर
बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई
जवाब देंहटाएंछठ पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं
सुन्दर अंक। आभार श्वेता जी।
जवाब देंहटाएंसृष्टि के कारक सूर्य और उनकी अर्द्धांगिनी द्वय उषा और प्रत्युषा को नमन। सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंवाह!!श्वेता ,बहुत खूबसूरत प्रस्तुति ।छठ पूजा पर हार्दिक शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति ,छठपर्व की बेहतरीन भूमिका के साथ एक और लाजबाब अंक , मेरी रचना को स्थान देने लिए हृदयतल से धन्यवाद श्वेता जी ,
जवाब देंहटाएंआप सभी को छठपूजा की हार्दिक शुभकामनाएं
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति प्रिय श्वेता। भूमिका सार्थक और ज्ञानवर्धक । सूर्योपासना के इस अलौकिक अनुष्ठान कीे अनुपम बेला के सभी उपवासियों को कोटि नमन। सभी के लिए छठ पर्व शुभता भरा और मंगलकारी हो यही दुआ हैं। आज के सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं । सभी रचनाएँ बहुत बढिया हैं। बहुत दिनों के बाद लिखा हैं यशोदा दीदी ने कुछ, पर अच्छा और चिंतनपरक लिखा है। 🙏🙏
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भकामनाएं
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वाह श्वेता ! छठ पर्व तो जैसे हम जैनियों के लिए ही बना है. लहसुन-प्याज़ से रहित स्वादिष्ट भोजन ! लगता है कि अगली छठ पर तुम्हारे यहाँ भोजन करना ही पड़ेगा. सूर्य भगवान हम सब पर कृपा रक्खें, यही कामना है.
छठ पूजा पर बहुत व्यापक और स अर्थ टिप्पणी के साथ उसमें निहित सुंदर भावों पर प्रकाश डालती व्यापक भुमिका ।
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना ओं का संगम सभी रचनाकारों को बधाई।