खिली चाँदनी धरा पर पूनम का चाँद उतर आया,
चौखट पर हसरतों ने चुपके से थाप लगायी,
मुद्दतों बाद आज मेरी दहलीज़ मुस्कुरायी |
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
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आज बालदिवस है। मुझे साहिर लुधियानवी का यह गीत आज भी उस नटखट बचपन की याद दिलाता है जब हम बच्चों को हमारे अभिभावक यह सुनाया करते थे-
जवाब देंहटाएंबच्चे मन के सच्चे
सारी जग के आँख के तारे
ये वो नन्हे फूल हैं जो
भगवान को लगते प्यारे
खुद रूठे, खुद मन जाये, फिर हमजोली बन जाये
झगड़ा जिसके साथ करें, अगले ही पल फिर बात करें
इनकी किसी से बैर नहीं, इनके लिये कोई ग़ैर नहीं
इनका भोलापन मिलता है, सबको बाँह पसारे
बच्चे मन के सच्चे ...
इन्ससान जब तक बच्चा है, तब तक समझ का कच्चा है
ज्यों ज्यों उसकी उमर बढ़े, मन पर झूठ क मैल चढ़े...
सच कहा -ज्यों- ज्यों हम बड़े हुए हमारा यह भोलापन, यह निश्छलता निजी स्वार्थ के बाजारों में खोती ही चली गई। हम ईश्वरीय गुण से दूर होते चले गये, सो आये आज हम बिल्कुल बच्चों की तरह पूरा दिन गुजारें और फिर रात इसपर तनिक चिंतन करें..।
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वैसे आज विश्व मधुमेह दिवस है। यदि हम अपने दिनचर्या को नियमित रखेंगे और गरीबों के आहार पर डाका नहीं डालेंगे तो इस रोग से काफी हद तक दूर रह सकते हैं।
रवींद्र भाई जी सहित सभी को प्रणाम।
सादर आभार भाई शशि जी... ज़रूरी सन्दर्भ का उल्लेख करने के लिये।
हटाएंमेरी टिप्पणी पर सार्थक प्रतिक्रिया देने के धन्यवाद।
हटाएंवाहः
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक्स चयन
सराहनीय प्रस्तुतीकरण
जानदार प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचनाएँ..
सादर...
सुंदर रचनाएं।
जवाब देंहटाएंआभार।
आपकी लिखी भूमिका की तरह काश कि पलभर में सारी धूल साफ़ हो जाती। सुंदर पंक्तियाँ भाईचारे और सौहार्द्र का संदेश देती हुई।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिए आभारी हूँ आदरणीय रवींद्र जी।
सुंदर प्रस्तुति।
सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसुंदर पंक्तियों के साथ अच्छी लिंकों का संकलन।
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँँ।
.. सुंदर प्रस्तुति ...सभी चयनित लिंक बहुत अच्छे हैं..!!👌
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति,
जवाब देंहटाएंसार्थक भूमिका के साथ बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय.
जवाब देंहटाएंसमय पर नहीं पहुँची. माफ़ी चाहती हूँ आप से
मेरी रचना को स्थान देने के लिये तहे दिल से आभार आप का
सादर