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मंगलवार, 5 नवंबर 2019

1572..कुछ मौन रहे, कुछ रहे चुप चुप, कुछ लगे रहे

सादर अभिवादन
मंगल का दिन
सच में बड़ा शुभ दिन
चुप रहना ही उचित है

चलिए चलें रचनाओं की तरफ...

एक सन्यासी घूमते-फिरते एक दुकान पर आये, दुकान मे अनेक छोटे-बड़े डिब्बे थे, सन्यासी के मन में जिज्ञासा उतपन्न हुई,  एक डिब्बे की ओर इशारा करते हुए सन्यासी ने दुकानदार से पूछा, इसमे क्या है ? दुकानदारने कहा - इसमे नमक है ! सन्यासी ने फिर पूछा, इसके पास वाले मे क्या है ? दुकानदार ने कहा, इसमे हल्दी है ! इसी प्रकार सन्यासी पूछ्ते गए और दुकानदार बतलाता रहा, अंत मे पीछे रखे डिब्बे का नंबर आया, सन्यासी ने पूछा उस अंतिम डिब्बे मे क्या है? दुकानदार बोला, उसमे श्रीकृष्ण है !


आस
पलकों में सपने सजाए, 
आस मन पलती रही ।
मन उजाला भर गया, 
और धुंध भी छटती रही ।।


खोजती हूँ निशान तेरे,
दूर जाती  राह में।
छोड़ सब संग चल पड़ी हूँ,
विश्वास ले चाह में।
गूँजती मन बातें  तेरी, 
मिसरी उर घुलती थी।
पलकों में सपने सँजोये,
आस मन पलती रही।।


छिप बादल की ओट गगन में चमक रहे हैं 
सूरज दादा आज खुशी से चहक रहे हैं 
भोला सा यह रूप भानु का प्यारा लागे 
धूप छाँह का जाल जगत में न्यारा लागे !

बस एक लम्हे का झगड़ा था ...

बस एक लम्हे का झगड़ा था
दर-ओ-दीवार पे ऐसे छनाके से गिरी आवाज़
जैसे काँच गिरता है
हर एक शय में गई
उड़ती हुई, चलती हुई, किरचें

अब बारी है विषय की
चौरानबेवाँ विषय
मौन
उदाहरण

हिलता रहता मौन अंदर से
सिमटते सिमटते
अपने को
ठोस बना देता है
मजबूत बना देता है

ऎसे मौन की
आवाज कोई
ऎसे ही कैसे
सुन सकता है
रचनाकार - डॉ. सुशील कुमार जोशी
प्रेषण तिथि-09 नवम्बर 2019
प्रकाशन तिथि-11 नवम्बर 2019
प्रविष्टिया मेल द्वारा भेजें
....
सादर









9 टिप्‍पणियां:

  1. शुभारंभ आज से...
    बेहतरीन प्रस्तुति..
    सादर...

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुंदर प्रस्तुति। मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीया यशोदा जी

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर प्रस्तुति जिसका शीर्षक बड़ा ही आकर्षक है जो कल आज की घटनाओं के संदर्भों को जोड़ता हुआ चिंतनीय बिंदुओं को कुरेदता है।
    सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  4. वाह ! हमकदम का विषय देख कर मन हर्षित हुआ ! आज का विषय भी सुन्दर और रचनाएं भी सुन्दर ! मेरे बाल गीत को आज की हलचल में स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार यशोदा जी ! सप्रेम वन्दे !

    जवाब देंहटाएं
  5. आदरणीया,
    बेहतरीन लिंक संयोजन ।
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत ही सुन्दर रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुंदर प्रस्तुति ।
    मौन भी मंथन में लगे रहे, सच है मौन रहना भी कला है, आसान नहीं, पर मौन रहने वाला कई नये तथ्य पाता है।
    सभी रचनाकारों को बधाई मौन रहे पर सक्रिय रह सुंदर रचनाओं का सृजन करते रहें।

    जवाब देंहटाएं

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