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गुरुवार, 21 फ़रवरी 2019

1315...श्रद्धाँजलि! डॉ. नामवर सिंह...

सादर अभिवादन। 


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            पिछले 6 दशक से अधिक समय से हिंदी साहित्य में समालोचना  के केन्द्र बिंदु रहे प्रख्यात साहित्यकार एवं शिक्षाविद आदरणीय डॉ. नामवर सिंह जी का कल निधन हो गया। उनका दूसरी दुनिया में चले जाना हिंदी साहित्य जगत् को अपूर्णनीय क्षति है। 
आपका जन्म 28 जुलाई 1926 को बनारस के जीयनपुर गाँव में हुआ था। 
93 वर्ष की आयु में कल नई दिल्ली के 
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में 
उन्होंने अंतिम साँस ली। 
संवेदना को अपने प्रगतिशील चिंतन में उन्होंने 
शिखर पर पहुँचाया।उनके द्वारा रचा गया साहित्य हमें दिशा दिखाता रहेगा। शब्द को गरिमा प्रदान करने वाला उनका व्यक्तित्व बेहद आकर्षक रहा।   
"पाँच लिंकों का आनन्द"  परिवार डॉ. नामवर सिंह जी को भावभीनी श्रद्धाँजलि अर्पित करता है।  

आइये अब आपको आज की चुनिंदा रचनाओं की ओर ले चलें- 


प्रेम, अहिंसा, ज्ञान हमारी पूँजी है
जो भी हमसे मांगोगे हम दे देंगे
मगर तोड़ने वालों इतना सुन लेना
अपने माथे का चंदन हम ले लेंगे
काश्मीर तो देश का सुन्दर गहना है
सबको बच कर रहना है ...



                           कर्म    पथ   को  सींचती 
                           सुख़   वैभव   परित्याग
                         पत्थर   से   भी   प्रीत  करें 
                        करुणा   ह्रदय  का  अनुराग |



अब मचलकर, बोल उठे वो गूंगे स्वर,
सँवर कर, डोल रहे वो गूंगे स्वर,
झरने सी, कल-कल बहती मन पर,
स्वर ने था, जीवन को जाना,
जीवन्त हो चली , साधारण सी रचना!



अब खड़ा ठूंठ बनकर
मिटने वाला है मेरा वजूद
यादें अतीत की सताती
हवाएं भी नहीं सहलाती
भूले से भी नहीं बैठते पंछी
सिर्फ जरूरतमंद पास आते
तोड़ डालियां चूल्हे जलाते
सबको मेरे गिरने का इंतजार
सूखा वृक्ष हूंँ मैं बिल्कुल बेकार


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खोया कहां हुंकार है 
क्या भूल है क्या विकार है
क्यों हार ये स्वीकार है. 
दुष्कर्म का ही प्रचार है 
साक्षी सकल संसार है
उपचार हो ये पुकार है 
करना नहीं उपकार है.

चलते-चलते "उलूक टाइम्स" से कुछ तीखी-मीठी सीधी-उलझी सार्थक बातें-    


दो हजार 
उन्नीस पर 
नजर गड़ाये 
हुऐ हैं सारे तीरंदाज 
बिना 
धनुष तीर के 
अर्जुन ने लगाना 
निशान आँख पर 

हम-क़दम का नया विषय

आज बस यहीं तक। 
फिर मिलेंगे अगले गुरूवार। 

रवीन्द्र सिंह यादव 

15 टिप्‍पणियां:


  1. बस इतना कहना है देश के बन्दों से
    सबको बच कर रहना है जय चन्दों से

    ये जयचंद आखिर यह क्यों नहीं समझते कि उनकी भी दुर्गति होनी है।
    सभी को प्रणाम। सुंदर अंक के लिये भी आभार।

    जवाब देंहटाएं
  2. नामवर सिंह ने कहा था कि उग्र जी आग लगाना और कूड़ा जलाना दोनों ही जानते थे और अब भी अपनी जन्मशती पर वे मानो ऐसा ही संदेश दे रहे हैं । उन्होंने कहा था कि हम साहित्यकारों को भी राजनीति में जमा कूड़ों को जलाने का काम करना चाहिए ।
    यह उनकी बड़ी अभिलाषा रही।

    जवाब देंहटाएं
  3. डॉ नामवार सिंह को नमन है मेरा ...
    सुन्दर लिंक संयोजन ... आभार मेरी रचना को जगह देने के लिए आज ...

    जवाब देंहटाएं
  4. नमनीय नामवर जी को श्रद्धांजली..
    बेहतरीन रचनाएँ..
    सादर...

    जवाब देंहटाएं
  5. विनम्र श्रद्धांजलि आ. नामवर जी को
    उम्दा संकलन

    जवाब देंहटाएं
  6. विनम्र श्रद्धांजलि आदरणीय नामवर जी को |
    सुन्दर हलचल प्रस्तुति |
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए सह्रदय आभार आदरणीय 🙏
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  7. विनम्र श्रधांजलि आदरणीय नान्वर जी को |

    जवाब देंहटाएं
  8. सादर नमन
    श्रद्धेय श्री नामवर सिंह जी को
    बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति
    सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई

    जवाब देंहटाएं
  9. श्रद्धांजलि हिन्दी के स्तम्भ नामवर सिंह जी को। आभार रवींद्र जी 'उलूक' की बकबक को आज की हलचल में स्थान देने के लिये।

    जवाब देंहटाएं
  10. विनम्र श्रद्धांजलि आदरणीय नामवर जी को🙏
    सुंदर प्रस्तुति शानदार रचनाएं सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई मेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत बहुत आभार रवीन्द्र जी

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
    आदरणीय नामवर जी को विनम्र श्रद्धांजलि

    जवाब देंहटाएं
  12. सादर नमन हिंदी साहित्य के आधार स्तम्भ को... उनकी कमी हमेशा रहेगी

    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत सुंदर संकलन, महान साहित्यकार आदरणीय नामवर सिंह जी को विनम्र श्रद्धांजलि 🙏

    जवाब देंहटाएं
  14. आदरणीय नामवर जी को श्रद्धांजलि....
    शानदार प्रस्तुति करण उम्दा लिंक संकलन...।

    जवाब देंहटाएं

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