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शुक्रवार, 26 अक्तूबर 2018

1197...कौन कहता है पत्थर बेजुबां होते हैं..

कौन कहता है पत्थर बेजुबां होते है
मैंने देखा है उन्हें दर्द से तड़पते हुये।
शान से नभ चूमते बादलों के संग अठखेलियाँ करते पहाड़ प्रकृति का अनुपम वरदान है जो पर्यावरण संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
पर हम मानव कितने स्वार्थी है न लालच के वशीभूत होकर अपने विनाश को आमंत्रित कर रहे हैं।
राजस्थान के अरावली क्षेत्र की 13 पहाडियाँ गायब 
हो गयी, 115,34 हेक्टेयर पहाड़ का सीना विदीर्ण 
कर दिया गया।  ऐसा ही चलता रहा तो अब डर सता रहा कि विश्वप्रसिद्ध अरावली की पहाड़ियाँ आने 
वाली पीढ़ियों के लिए इतिहास बनकर 
पुस्तकों में रह जायेंगी।
 ऐसा मात्र राजस्थान में ही नहीं हुआ है ऐसी 
कहानियाँ तकरीब़न देश के हर पहाड़ और पठार आच्छादित राज्य में सुनने 
को मिल जायेंगी।
आखिर क्यों विवेकशील मानव नहीं समझ 
पाता कि प्रकृति की समृद्धि ही उसके स्वास्थ्य 
और सुख की  कुंजी है।
चलिए आज की रचनाएँ पढ़ते हैं-
★★★
आदरणीय विश्वमोहन जी

मुंह को सी लो, कुछ न बोलो
चाहे ‘ मा ओ ‘, चाहे ‘ भाई ‘
पंथ पंथ मौसेरे भाई।

और जनता की बात न पूछो
दोनों की बस एक लुगाई!
‘ फेक - नेक ‘  मौसेरे भाई।
★★★★★
आदरणीय रवींद्र जी
ये 
बाग़ 
सागर 
फल फूल 
कारोबार में 
आलय प्रत्यय 
पुल्लिंग अधिकारी।

★★★★★★
हर प्रश्न का उत्तर यदि हाँ या न में होता
आदरणीया डॉ.वर्षा सिंह



सच तो यह है कि एक ख़ामोशी
कह रही आज शोर की गाथा

धुपधुपाती है बत्ती सी
सांस का देह से यही नाता



★★★★★★

आदरणीया नीलम जी 





वृक्षों का जमघट कहाँ लग पता है।
पीड़ा कैसी भी हो,
आँखों के रास्ते बाहर फैल ही जाती है।
दर्द का मंजर समेटे,
काले बादलों में मिल,
बाढ़ ले ही आती है।
ले ही आती है!!!

★★★★★★★
चलते-चलते पढ़िये उलूक के पन्नों.से डॉ.सुशील सर की अभिव्यक्ति

जल्दी मची 

दिखने लगी 
अपनी छोड़ 
दूसरे की पकड़ 

नैया पार हो जाने की
★★★★★
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कल आ रही है आदरणीया विभा दी अपनी विशेष प्रस्तुति के साथ।


--श्वेता सिन्हा

12 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात...
    बेहतरीन प्रस्तुति....
    सभी रचनाएँ उम्दा..
    सादर...

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुंदर प्रस्तुति सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई

    जवाब देंहटाएं
  3. सुन्दर शुक्रवारीय हलचल। आभार श्वेता जी 'उलूक' के टर्राने को भी जगह देने के लिये।

    जवाब देंहटाएं
  4. महत्वपूर्ण बिषय पर विचारणीय अग्रलेख के साथ चुनिन्दा रचनाओं का चयन. आदरणीया श्वेता जी को बधाई.
    इस अंक में चयनित सभी रचनाकारों को बधाई एवम् शुभकामनाएं.

    जवाब देंहटाएं
  5. वाह!!!श्वेता ,बहुत ही खूबसूरत संकलन..। सभी चयनित रचनाकारों को हार्दिक अभिनंदन ।

    जवाब देंहटाएं
  6. वाह! सुन्दर! पहाड़ से बुत बने ये लोग पता नहीं कब अपनी पहाड़ियों की सुध लेंगे! बेहतरीन भूमिका!!!

    जवाब देंहटाएं
  7. हार्दिक आभार 🙏
    श्वेता जी, आपने मेरी ग़ज़ल को अपने समवेत ब्लॉग में शामिल कर मेरा उत्साहवर्धन किया है, पुनः हार्दिक आभार 🙏

    आपके द्वारा चयनित सभी रचनाएं पठनीय और रोचक हैं। बेहतरीन रचना चयन हेतु बधाई 💐

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति बेहतरीन रचनाएं सभी चयनित रचनाकारों को बधाई

    जवाब देंहटाएं

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