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मंगलवार, 16 अक्टूबर 2018

1187..बेवफा वो नहीं फिर वजह क्या हुई, इंतज़ार की

सादर अभिवादन
इम्तेहां हो गई 
इंतज़ार की 
आई ना कुछ खबर, 
मेरे यार की 
ये हमें है यक़ी, 
बेवफा वो नहीं 
फिर वजह क्या हुई, 
इंतज़ार की
-*-*-*-
जी हाँ
यही है आने वाले सप्ताह का विषय
हम-क़दम 
सभी के लिए एक खुला मंच
आपका हम-क़दम का इक्चालीसवें क़दम का
'वज़ह'
...उदाहरण...
तेरे होने न होने का अब फर्क नहीं पड़ता,

बीती बातों का क्यों अफसोस है तुझे,
ग़ज़ल लिखने की क्या थी वज़ह।

मगरूर हुए वो कुछ इस तरह,
दिल टूट बिखर जाने की क्या थी वज़ह।
-पंकज शर्मा
उपरोक्त विषय पर आप को एक रचना रचनी है
अंतिम तिथिः शनिवार 20 अक्टूबर 2018  
प्रकाशन तिथिः 22 अक्टूबर 2018  को प्रकाशित की जाएगी । 

रचनाएँ  पाँच लिंकों का आनन्द ब्लॉग के 
सम्पर्क प्रारूप द्वारा प्रेषित करें
-*-*-*-*-
अब चलिए चलते हैं नियमित रचनाओं की ओर....

छलिया उमिर धराते नइखे
साध जिए के जाते नइखे

तेल ओराइल बाती सूखल
बाकिर दिया बुताते नइखे

सपने देखत बीतल जिनिगी
आँखि मगर पथराते नइखे


My photo
ज़िन्दगी के फलसफे में डूबती तरती रही,
सुलझ कर भी कई बार यूँ-ही
उलझती रही...
उलझनों का क्या है
मौके बे-मौके आते जाते रहे,
मैं मौन बैठी जीवन के खेल समझती रही,
सुलझ कर भी कई बार यूँ-ही उलझती रही...


कविता तो वो है
जिसे अपनाया जा सके ।
हम-तुम जो बोलते हैं,
उस बोली में 
जनम घुट्टी की तरह 
घोला जा सके ।


पढ़ सकते हो इसे सिलसिले से
यदि तुमने कुछ काटने के दौरान
काट ली हो अपनी ऊँगली,
और उसका भय,
उसका दर्द याद रह गया हो !
तुम समझ सकोगे अर्थ,

जब टूटता है दिल
धोखे फरेब से
अविश्वास और संदेह से
नफरतों के खेल से
तो लहराता है दर्द का समंदर


खुद से बेखबर
मौसम की बेरूखी से बेखबर
यादों को सीने से लगाये
अपनी खता पूछती है नम पलको से
बेवजह जो मिली 
उस सज़ा की वजह पूछती है 
एक रूह तड़पती सी
यादो को मिटाने का रास्ता पूछती है
-*-*-*-*-
प्रस्तुति तनिक लम्बी हो गई है
एक रचना की पुनरावृत्ति भी हुई है
आज्ञा दें और सुने ये गीत
यशोदा








21 टिप्‍पणियां:

  1. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सुप्रभात,
      यशोदा जी बहुत सुंदर संकलन।सभी रचनाये बहुत ग़ज़ब की हैं।इस सप्ताह का हमकदम का विषय भी रोचक हैं प्रयास करूंगा कि शामिल हो पाऊँ,
      आभार

      हटाएं
  2. वाआआह...
    बेहतरीन प्रस्तुति....
    सादर....

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति यशोदा जी । आभार इतनी
    उम्दा रचनाओं का रसपान कराने के लिए 🙏
    सभी चयनित रचनाकारों को बधाई, मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं
  4. यशोदा जी, दिलचस्प संयोग है कि इस संकलन में दो कविताओं में कविता को लेकर ही बात की गई है. "कविता तो वो है " का मंथन उपजा आदरणीय बालस्वरूप राहीजी, दीक्षित दिनकौरी जी, रामावतार बैरवाजी और अन्य वक्ताओं को सुन कर. नवांकुर/शब्दंकुर प्रकाशन के कविता संकलन "काव्यन्कुर ६" के विमोचन का अवसर था और बात ये निकली थी कि कविता किसे कहें या अच्छी कविता का मापदंड क्या है.

    अद्भुत संयोग कि कविताकोश के अक्टूबर वाले पन्ने पर निराला जी की कविता भी नव स्वर देने की ही बात कर रही थी !

    आभार यशोदाजी का. आभार नवांकुर प्रकाशन और कविताकोश का.
    ट्रू मीडिया के क्लिप्स यहीं शेयर कर दूँ तो आप सब पढ़ पाएंगे और बात आगे बढ़ेगी.
    आख़िर बात निकलेगी तो दूर तलक जाएगी ..

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  6. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  7. सुंदर प्रस्तुति सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई

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  8. जो सुनना चाहें,वो यू ट्यूब पर ट्रू मीडिया के नवांकुर links में इन वरिष्ठ कवियों की बात सुन सकते हैं.

    जवाब देंहटाएं
  9. शुभ प्रभात आदरणीय
    बेहतरीन प्रस्तुति....

    जवाब देंहटाएं
  10. सुंदर प्रस्तुति मेरी रचना को हलचल का एक कोना देने हेतु हृदयतल की गहराई से आभार

    जवाब देंहटाएं
  11. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत सुंदर प्रस्तुति सखी, शानदार संकलन सभी रचनाकारों को बधाई सभी रचनाऐं बहुत मनभावन।

    जवाब देंहटाएं
  13. सुंदर गीत के साथ अद्भुत प्रस्तुतियों से सजा अंक बहुत ही शानदार है आदरणीय यशोदा दीदी | कविता पर चिंतन से भरी नुपुरम जी और रश्मि जी की रचनाएँ विशेष उल्लेखनीय हैं | सभी रचनाकारों को सस्नेह बधाई और शुभकामनायें | आपको सादर आभार और बधाई अत्यंत श्रम से जुटाए लिंकों के लिए | गीत के लिए पुनः आभार | ये गीत एक अरसे बाद सुना आपके सौजन्य से | सादर --

    जवाब देंहटाएं
  14. बेहतरीन प्रस्तुतिकरण एवं उम्दा लिंक संकलन...

    जवाब देंहटाएं
  15. अति उत्तम प्रस्तुति. हमारा पोस्ट शामिल करने हेतु दिल से आभार.

    जवाब देंहटाएं
  16. बहुत ही बढ़िया चयन एवम प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं

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