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सोमवार, 29 अक्टूबर 2018

1200....हमक़दम का बयालीसवाँ क़दम

आज पाँच लिंक का 1200 वाँ अंक है।
कारवाँ ख्वाबों भरा अनवरत चलता रहे
हमक़दम जुड़ते रहे दीप तम हरता रहे
"पाँच लिंक का आनन्द" परिवार 
आप सभी पाठकों साहित्य सुधि जनों एवं समस्त सहयोगियों का हृदय से आभार और अभिनंदन करता है।
आप सभी का अमूल्य सहयोग सदैव अपेक्षित है।

हमक़दम के इस अंक में मुनव्वर राणा जी की लिखी ग़ज़ल की दो पंक्तियाँ दी गयी थी।
त्योहारों के व्यस्त दिनचर्या में भी कुछ रचनाकारों ने अपनी रचनात्मक प्रतिभा की खुशबू से मंच को सुवासित किया है।
हम आप सभी का हृदय से नमन करते हैं।
इस बार रचनाएँ कम आयी हैं पर जो आयी है उसकी सराहना शब्दों में करना संभव नहीं।

सबसे पहले पढ़िए-
मुनव्वर राणा जी की लिखी पूरी ग़ज़ल
पढ़िए-

उन घरों में जहाँ मिट्टी के घड़े रहते हैं
क़द में छोटे हों मगर लोग बड़े रहते हैं 

जाओ जा कर किसी दरवेश की अज़मत देखो
ताज पहने हुए पैरों में पड़े रहते हैं

जो भी दौलत थी वो बच्चों के हवाले कर दी
जब तलक मैं नहीं बैठूँ ये खड़े रहते हैं

मैंने फल देख के इन्सानों को पहचाना है
जो बहुत मीठे हों अन्दर से सड़े रहते हैं

अब चलिए आपके द्वारा सृजित रचनाओं के संसार में-
★★★★★


अचानक जो पहुँचे तो
सतही बातों के संग रेस्टोरेंट का
ज़ायकेदार खाना और बाज़ार की
मंहगी मिठाई जब खाई तो  
जल्दी-जल्दी में पकी तेरे हाथों की
चूल्हे की गरमागरम रोटी
आलू मटर की चटपटी सब्ज़ी,
धनिये की चटनी और
गुड़ मक्खन की छोटी सी डली
बहुत याद आई !
★★★★★


जतन से रोपे पौधों को अब कहाँ

गाय बकरी और भेंड़ कहा पाएंगे 
अब वो लकड़ियों की आड़ वाली 
दीवार नही, 

★★★★★


अधूरे ख्वाब और टूटे हुए हैं अरमान तो क्या
दिल के कोने में ये भी एक सौगात रखता हूँ
  पूछ सकता हूँ खुदा से दिल टूटने का सबब
खुदा के दर पर इतनी औकात रखता हूँ
★★★★★

 नानी,दादी ,अम्मा ,मौसी
    सब चौके में जुट जाती

     रोज -रोज कुछ नया बनाती

     और प्यार से सबको खिलाती

       न कोई शिकवा ,न शिकन
       रात ढले सबके बिस्तर छत पर ही लग जाते थे
       वाह !! वो दिन भी क्या दिन थे ...
        अब कहाँ वो दिन ,वो आपसी प्रेम

         सब अपने में व्यस्त ..
★★★★★★

कोई अपना कीमती
समय निकाल कर
मिलने आया है
सब यहीं बह जाता 
मिट्टी के घड़े के 
रिसते पानी की तरह
रह जाता है पानी
बिना ठंडा हुए
न तो मिठास
★★★★★★


सीधा-सादा जीवन जिनका,

             और होते हैं उच्च विचार।

वे ही जन इस जगत का,
             करते हैं सदा परिष्कार।

करूणा के बादल बरसाते,
             स्नेह-सुधा लुटाते हैं।
दीन-दुखी की सेवा कर,
             तन-मन से हरषाते हैं।

★★★★★★


छोटे से घर में भी
 मिलजुलकर रहता परिवार
प्रेम बरसता प्रतिफल वहां
होता शांति का आवास
कितने भी हो ऐशो-आराम
पर खुशियां नहीं मिलती

दिल को सुकून मिलता
★★★★★


आपके द्वारा सृजित यह अंक आपको कैसा लगा कृपया 
अपनी बहूमूल्य प्रतिक्रिया के द्वारा अवगत करवाये
 आपके बहुमूल्य सहयोग से हमक़दम का यह सफ़र जारी है
आप सभी का हार्दिक आभार।


अगला विषय जानने के लिए कल का अंक पढ़ना न भूले।

अगले सोमवार को फिर उपस्थित रहूँगी आपकी रचनाओं के साथ।

श्वेता


19 टिप्‍पणियां:

  1. बारहसौवें अंक की शुभकामनाएँ....
    अब तक लोग एक शब्द के आधार पर.
    रचनाएँ लिखा करते थे....
    इस बार दो पंक्तियाँ मिली..
    लोग इस विषय पर भी लिख लेते..
    पर एक महत्वपूर्ण उत्सव सामने है.
    इसी वजह से भागिदारिता का अभाव रहा..
    किया गया प्रयास सराहनीय है...
    शुमकामनाएँ..
    सादर...



    जवाब देंहटाएं
  2. शुभ प्रभात हलचल के आँगन में उपस्थित सभीको...
    सुंदर प्रस्तुति मेरी रचना को स्थान देने हेतु हृदयतल से आभार...शुभ दिन

    जवाब देंहटाएं
  3. शुभप्रभात सुंदर प्रस्तुति सभी रचनाएं बहुत सुंदर है सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई मेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत बहुत आभार श्वेता जी

    जवाब देंहटाएं
  4. शुभप्रभात श्वेता जी,हमकदम के 1200वें अंक के लिए बधाई। हमकदम की यात्रा अनवरत इसी तरह
    चलती रहे और हम भी इसके साथ कदम से कदम
    मिलाकर चलते रहें, यही शुभेच्छा है ।सभी चयनित रचनाकारों को बधाई मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए धन्यवाद 🌷🌷🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुन्दर प्रस्तुति,1200वें अंक की बहुत बहुत बधाई ।

    जवाब देंहटाएं
  6. वाह!!श्वेता ,बहुत सुंदर प्रस्तुति ।1200वें अंक की हार्दिक बधाई । मेरी रचना को स्थान देने हेतु आभारी हूँ ।

    जवाब देंहटाएं
  7. बारहसौवें अंक की बहुत बहुत बधाई....
    शानदार प्रस्तुतिकरण...लाजवाब बयालीसवां हमकदम विशेषांक....।सभी रचनाकारों को अनन्त शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  8. 1200वें अंक की हार्दिक बधाई. सुंंदर रचनाओं का संकलन।
    धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  9. बारहसौवें अंक की बहुत बहुत बधाई....
    शानदार प्रस्तुतिकरण...लाजवाब बयालीसवां हमकदम विशेषांक....।सभी रचनाकारों को अनन्त शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  10. मुनव्वर राणा जी की लिखी पूरी ग़ज़ल पढ़ने का सुख अतुलनीय है। सादर 🙏

    जवाब देंहटाएं
  11. 1200 वें अंक तक पहुँचने का शानदार सफ़र सुखद है. हम-क़दम के बिषय ने अंक की ख़ूबसूरती में चार चाँद लगा दिये हैं. पाँच लिंकों का आनन्द" परिवार अपने शुभचिंतकों, मार्गदर्शकों एवम् सुधि पाठकों का आभारी है इस उपलब्धि पर. आदरणीया यशोदा बाहन जी की सतत सक्रियता और आदरणीय दिग्विजय भाई जी के समर्पण ने इस ब्लॉग को शिखर पर बनाये रखा है.
    नामचीन शायर मुनव्वर राणा जी की ग़ज़ल दिल पर छा गयी.
    इस विशेषाँक में चयनित रचनाकारों को बधाई एवम् शुभकामनाएं.
    आकर्षक प्रस्तुति के लिये आदरणीया श्वेता जी को बधाई.

    जवाब देंहटाएं
  12. 1200वें अंक की हार्दिक बधाई
    सुंदर प्रस्तुति 👌👌👌
    सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई

    जवाब देंहटाएं
  13. आँकणो की बधाई...ये सफर अनवरत चलता रहे..
    सुंदर संकलन एवम मोहक प्रस्तुति👌👌👌

    जवाब देंहटाएं
  14. मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |१२०० वे अंक के लिए बहुत बहुत बधाई |

    जवाब देंहटाएं
  15. पिछले कुछ दिनों से प्रवास में थी ! अपनी प्रतिक्रिया विलम्ब से देने के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ ! सभी रचनाकारों की प्रस्तुतियां शानदार ! मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार !

    जवाब देंहटाएं

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