सादर अभिवादन...
बीत रही नवरात्रि आ रहा है दशहरा....
ऐसे टैसू-झैंझी को याद करना ही कर्तव्य है
चलिए पढ़े कव्हर स्टोरी.....
उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश व राजस्थान में विलुप्ती की कगार पर
खड़ा टैसू झैंझी नचाने, खेलने और विवाह का यह त्यौहार। आपने अक्सर सुना होगा – लाल रंग की बिंदी मांगे, चार पटे की चादर
मांगे मेरी झैंजी का रचो है ब्याह।
टेसू मेरा यहीं खड़ा, खाने को मांगे दही बड़ा। टेसू अगर करे, टेसू मगर करे, टेसू लेही के टरे के वह बोल अब नहीं सुनाई पड़ते। हाथ में बर्तन और टेसू लेकर घर-घर जाकर विवाह का निमंत्रण देते बच्चों की टोलियां भी नहीं नजर आतीं। इंटरनेट की रफ्तार में टेसू-झांझी पिछड़ रहे हैं। नई पीढ़ी को इस पारंपरिक खेल का महत्व ही पता नहीं है।
एक पारम्परिक कृष्ण कथा..
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दर्द कहने से दर्द दर्द नहीं रह जाता ।
उफ़नते आक्रोश,
बहते आँसुओं के आगे कोई हल नहीं ।
माँ कहती है, चुप रह जाओ,
झिड़क देती है,
उसके साथ नानी ने भी यही किया था,
क्योंकि, कहने के बाद -
जितने मुँह,
उतनी बातें होंगी !
भयानक हादसों के चश्मदीद,
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जहाँ कल नहीं मिलता,
आज उसके साथ नहीं रहता,
चल रही सांसें,
आहटों का कोलाहल न था।
कहाँ छुट गया वह वक़्त जो कभी जिंदगी रहा उसकी ?
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कोई धुन बनाऊं
या गीत कोई गाऊं
पर सुकून के पल
कहां से लाऊं
कोई कविता लिखूं
या कोई गजल
मन बैचेन रहे हरपल
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वजह....श्वेता सिन्हा
खुद से बेखबर
मौसम की बेरूखी से बेखबर
यादों को सीने से लगाये
अपनी खता पूछती है नम पलको से
बेवजह जो मिली
उस सज़ा की वजह पूछती है
एक रूह तड़पती सी
यादो को मिटाने का रास्ता पूछती है
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स्टाप प्रेस...
डॉ. सुशील जी जोशी
धरम बिना आवाज का
कैसा होता है रे तेरा
कैसे बिना शोर करे
तू धार्मिक हो जाता है
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आज अब बस
यशोदा
यादों को सीने से लगाये
जवाब देंहटाएंअपनी खता पूछती है नम पलको से
बेवजह जो मिली
उस सज़ा की वजह पूछती है
एक रूह तड़पती सी
यादो को मिटाने का रास्ता पूछती है
श्वेता जी की इस सजीव रचना के साथ अन्य सभी रचनाकारों का हृदय से आभार..
इस सुंदर अंक की प्रस्तुति के लिये।
सस्नेहाशीष संग शुभकामनाएं छोटी बहना
जवाब देंहटाएंअति सुंदर संकलन
बहुत ही सुन्दर संकलन, टेसू के स्मरण से बचपन
जवाब देंहटाएंके दिन याद हो आए। आजकल तो यह सब कहां दिखता है। सभी रचनाएं भावप्रवण और सुन्दर है
बधाई और आभार
शुभ प्रभात आदरणीया
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर संकलन,सभी रचनाएँ भावपूर्ण एवं सुन्दर
सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई
मेरी रचना को स्थान देने हेतु आपका अति आभार
सादर
सुन्दर मुख्यपृष्ठ कथा के साथ पेश बढ़िया रविवारीय हलचल में 'उलूक' के हल्ले गुल्ले को भी जगह देने के लिये आभार यशोदा जी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंंदर संकलन
जवाब देंहटाएंसभी चयनित रचनाकारों को बधाई
धन्यवाद
शानदार रचनाओं का सुंदर गुलदस्ता परम्परागत संस्कृति के लोप पर क्षोभ लिये सुंदर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई ।
नायाब रचनाओं का संग्रह
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