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सोमवार, 8 अक्टूबर 2018

1179....हम-क़दम का उन्तालिसवाँ कदम


सादर नमस्कार
जी क्षमा करियेगा, यह शब्द "हौसला" किसी भी ऐसे मनुष्य के 
लिए  नहीं जो जबरन खुद को अंधेरे में रखना चाहते हो, सब 
समझते हुये अवसाद भोगते हों, जान बूझकर वैराग का चोला 
पहनना चाहते होंं। प्रेम के नाम पर किये गये छल को भूलने के 
बजाय व्यथित होते होंं, जीवन का हर क्षण स्वयं की मनोव्यथा का अवलोकन करके नकारात्मक ऊर्जा संग्रहित करते हों,  आँखों पर 
काली पट्टी चढ़ाकर कहते हो कि कहाँ है आशा की किरणें सब 
ओर बस कालिमा ही है। ऐसे व्यक्ति में नकारात्मकता का 
हौसला बुलंद होता है और ये आजीवन भाग्य को कोसते हुये 
बहुमूल्य जीवन के बेशकीमती मोतियों को पत्थर समझकर 
समय की दरिया में बहा देते हैं। 

"हौसला" शब्द  उन मासूम बच्चों के लिए है जो जीना चाहते है पर 
जीवन के चक्रव्यूह में गुम होने के डर से मुसीबतों को देख आँख 
मींच लेते हैं उनके अंदर आशा का संचार करने के लिए यह बतलाने 
के लिए कि जीवन चाहे कैसा भी हो उसे जीने का "हौसला" होना ही 
चाहिए न कि परिस्थितियों से घबराकर, भगोड़ा बनकर जीवन का कीमती पल नष्ट करना चाहिए। 

 मनुष्य के जीवन में चाहे कितना भी बुरा समय हो, विषमताओं से लड़ने का,संघर्ष करने का, सकारात्मक रहने का मन में उपजा दृढ़ भाव ही हौसला या हिम्मत कहलाता है। 
हमक़दम के विषय पर अचंभित करती रचनाएँ हमारे प्रिय रचनाकारों द्वारा रची गयी हैं। हर लेखनी से निकले भाव अलग और अपने आप में विशिष्ट है। आप भी साहित्य सुधा का रसपान करिये यकीं मानिये 
बहुत आनंद आयेगा।
तो चलिए आपके द्वारा सृजित इंद्रधनुषी संसार में-
आदरणीया ऋतु आसूजा जी की लेखनी से

 “  तिमिर घोर तिमिर 
   वो झिर्रीयों से झांकती 
   प्रकाश की किरण 
   व्यथित , व्याकुल , 
   पराजित मन को ढाढ़स बँधाती 
   हौंसला रख ए बंदे 
   उम्मीदों का बना तू बाँध 
★★★★★


माना आखेट के जंगल में चीख़ों का चक्रव्यूह भी हैं,
आँख ही न मींच ले तो कैसे जीवित स्वमं को व्याध रखें,

बस क्षण भर बिगुल ठहरा जरा मंत्रणा कर सकूँ
शीश तुम्हारे जो ना काट दे तो क्या खुद कंठ धार रखें,

★★★★★

आदरणीया आशा सक्सेना जी की अभिव्यक्ति

हर कोशिश बेकार हो गई
फिर भी हिम्मत ना हारी 
हौसला बुलंद रखने वाले
 कर सकते हैं सब कुछ
सुना था किसी के मुँह से !

★★★★★
आदरणीया अभिलाषा चौहान जी लेखनी से

कितने बीते वर्ष बीते जीवन दिया निसार,        
पर्वत से बना दी राह किया इच्छा को साकार।

अगर मन में किसी के हो हौंसला अपार,
असंभव को भी संभव करना हो जाता साकार।
★★★★★★

आदरणीया अभिलाषा चौहान जी की अभिव्यक्ति

जिनके हौंसलों में अभी जान बाकी है,
उनके लिए पूरा आसमान बाकी है।

मंजिलें ही जिनके जीवन का लक्ष्य हो,
मुश्किलें उनके लिए बन जाती साकी हैं।
★★★★★★★
आदरणीया अनुराधा चौहान जी की लेखनी से प्रसवित रचना

हौंसले पस्त
जीवन है त्रस्त
बंध गए हाथ
हो गए बेबस
मंजिल को छोड़
शून्य में ताकते
कुछ नहीं सूझता
भविष्य के वास्ते
★★★★★★
आदरणीया साधना वैद जी कलम से पल्लवित

ले ले दुआ उनकी
भरोसा है जिन्हें तदबीर पर,
तू थाम उनका हाथ
कातर हैं जो तेरी पीर पर,
जो जीतना ही है जगत को
हौसला चुकने ना दे,
होगी सुहानी भोर भी
तू रात को रुकने ना दे !

★★★★★

आदरणीय अनीता सैनी जी मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति

न भीख का कटोरा न
मजबूरी  की   दलील,
न लाचारी का ढिंडोरा।

हौसले की  उड़ान से,
बसर  किया  जीवन,
स्वाभिमान की पोटली,
रहतीं  थी,  तन   पर ।

My photo
आदरणीय सुप्रिया "रानू" जी कहती है
मन कहता है जैसे मैने जिया,
ये नन्ही कली भी जियेगी
और न जाने कितने ऐसे ही 
किलकारियां जियेंगी बस 
कर के देखिए मन को मजबूत
क्योंकि 
हौसला ही तो है..
जो जीवन को जीवन बनाता है,
असंभव लगने वाले भी 
काम संभव कराता है..,



★★★★★

आपके द्वारा सृजित यह अंक आपको कैसा लगा कृपया 
अपनी बहूमूल्य प्रतिक्रिया के द्वारा अवगत करवाये
 आपके बहुमूल्य सहयोग से हमक़दम का यह सफ़र जारी है
आप सभी का हार्दिक आभार।


अगला विषय जानने के लिए कल का अंक पढ़ना न भूले।
अगले सोमवार को फिर उपस्थित रहूँगी आपकी रचनाओं के साथ।

पूरा करना हो स्वप्न अगर 
गले हौसलों के मिलना सीखो


21 टिप्‍पणियां:

  1. अंधकार में भटके पथिक को प्रकाश की राह दिखलाने वाला है यह अंक,
    सुंदर रचनाएँ पढ़ने को मिली हैं, आप सभी का आभार

    जवाब देंहटाएं
  2. सभी रचनाकारों को सलाम
    सटीक रचनाएँ....
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. हलचल के आँगन में सभी को शुभप्रभात.. सुंदर संकलन स्वेता जी आभार सुंदर व्याख्या आपकी हौसले की,और सहृदय आभार मेरी रचना को एक कोना देने के लिए..

    जवाब देंहटाएं
  4. शुभ प्रभात
    बहुत ही सुन्दर हमकदम की यह प्रस्तुति
    श्वेता जी "हौसले" शब्द पर आपके विचार सराहनीय है
    एक स्वच्छंद लेखनी उम्दा और सह्रदय आभार मेरी रचना को स्थान दिया
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  5. सुन्दर। शुक्रिया हौसलाअफजाई का!!!

    जवाब देंहटाएं
  6. लिखने का ये हौसला सब का बना रहे। सुन्दर प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं
  7. सभी रचनाएँ अच्छी लगी...
    श्वेता जी की रचना कुछ अलग ही दम भर्ती है इस टॉपिक पर और ऋतू जी की रचना भी लाजवाब है.

    दिल्ली वाले निर्भया केस के आसपास इसको आधार बनाकर मैंने भी इस हौसले पर कुछ लिखा था जो आपकी नजर करता हूँ.. (मै ये रचना इसलिए शेयर नहीं कर रहा कि मेरी तारीफ़ की जाए..हाँ मैं ये रचना इसलिए शेयर कर रहा हूँ कि मेरी रचना अधिक से अधिक लोगों के द्वारा पढ़ी जाये. और भाग्यवश ये ब्लॉग ऐसा अवसर प्रदान करता है.)


    मायने बदल गऐ

    वो परिंदा उड़ नहीं पा रहा था
    दौड़े जा रहा था दौड़े जा रहा था।
    अचानक पंख फैले और ठहर गया
    थक गया वो, अब मरा वो अब मरा।
    कभी चोंच राह की गर्द में दब जाती
    कभी थके पाँव लड़खड़ाते

    कंकड़ पत्थर की राहों से चोट खाकर
    खून से लथपथ परिंदा अब ठहर गया।
    इतने में शिकारियों ने उसे घेर लिया

    "मंजरे-कातिल-तमाशबीन बनकर कुछ लोग ठहर गये
    देखूं तो इंसानियत के मायने बदल गऐ।"

    तभी सर्द फिजां में गजब हो गया
    परिंदे ने पहली उड़ान भरी
    और खून के छींटे
    उन सभी के मुंह पर दे मारे।

    By : "रोहित"

    जवाब देंहटाएं
  8. मन में आशा स्वयं पर विश्वास और कुछ कर गुजरने
    का संकल्प और उसे पूरा करने का साहस इंसान के
    अंदर हो तो असंभव भी संभव हो जाता है।

    बेहतरीन रचनाएं सभी चयनित रचनाकारों को हृदयतल से बधाई और आपको धन्यवाद इतनी सुंदर प्रस्तुति के लिए 🙏

    जवाब देंहटाएं
  9. सुंदर प्रस्तुति सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार श्वेता जी

    जवाब देंहटाएं
  10. वाह!!श्वेता ,बहुत खूबसूरत प्रस्तुति!!सभी रचनाकारों को बधाई ।

    जवाब देंहटाएं
  11. वह बहुत ही संग्रह है आप के ब्लॉग में शुभा मेहता जी का धन्यवाद करता हूँ उन्होंने आप की कविता शेयर की और मेरा अहोभाग्य की मैं आप तक पहुंच। मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है धन्यवाद्। https://meriaawaznitin.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत उम्दा रचनाएं
    बहुत उम्दा प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत खूबसूरत लिंक्स ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार श्वेता जी ! सस्नेह अभिवादन ! सभी रचनाकारों का हार्दिक अभिनन्दन !

    जवाब देंहटाएं
  14. बहुत सुंदर स्वेता जी बहित अच्छी रचनाओ का संकलन हैं,आपकी लिखी प्रस्तावना प्रेणादायक हैं।
    विष्य काफी रोचक था सभी ने एक से बढ़कर एक रचना लिखी हैं।
    जफ़र की ग़ज़ल को भी स्थान देने को शुक्रिया।

    जवाब देंहटाएं
  15. हौसले की व्यापक प्रस्तावना के साथ लाजवाब प्रस्तुतिकरण एवं उम्दा लिंक संकलन...
    सभी रचनाकारों को अनन्त शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  16. बहुत ही सुंदर विषय वस्तु शानदार प्रस्तुति।
    सभी रचनाकारों को बधाई।

    जवाब देंहटाएं

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