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शनिवार, 13 अक्तूबर 2018

1184... जय माता दी



यथायोग्य सभी को
प्रणामाशीष
कुर्ते पै छपी
सिंदूर की रंगोली-
विजयोत्सव
सुना है राम.
तुमने मारा था मारीच को.
जब वह.
स्वर्णमृग बन दौड़ रहा था.
वन-वन ।
तुमने मारा था रावण को.
जब वह.
दुष्टता की
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विजय
थी कमी कुछ तो तरीके में
सलीके या इरादे में
पर चूकना  लक्ष्य से
अक्सर हारना ही नहीं होता
फ़िर पलट के  वार होगा
भेद लक्ष्य पार होगा



विजय
वे भी दफ़न हुए,
जो राज करते थे लहरों पर,
जिन्हें गुमां था, कि
आफताब उनका है.
लगा डूबने एक दिन सूरज,
दहलीज़ पर उनके भी !
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खामोशियाँ भी बोलती
हर लफ्ज़ गुफ्तगूँ है
हर लफ्ज़ तुम्हारा ही तो है
बार -बार टूटती हूँ
हज़ार बार टूटी हूँ
टूट कर इन लफ़्ज़ों का
श्रृंगार करती हूँ
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विजय
वैसे सही जगह की जाए तो नफ़रत भी बुरी चीज़ नहीं
पर यह क्या कि दुनिया की हर चीज़ से नफ़रत की जाए!
नफ़रत करो तो ऐसी कि जैसे नेवला साँप से करता है
शिकार शिकारी से करता है
बकिया मिसालों के लिए अपने आस पास ख़ुद ढूँढ़ो
कि कौन किससे किस कदर और क्यों करता है नफ़रत

><
फिर मिलेंगे...
हम-क़दम 
सभी के लिए एक खुला मंच
आपका हम-क़दम का चालीसवाँ क़दम 
इस सप्ताह का विषय है
'उलझन'
...उदाहरण...
अहा! उलझन तुम हो धन्य
तुमसे प्रिय है न कोई अन्य

पग पग पर काँटों को सजा
फूलों का पुंज लिए विकल
लगती कुरूप हो वेदना सी
मगर अंतस सुंदर सकल
-राम लखारा 'विपुल'

उपरोक्त विषय पर आप को एक रचना रचनी है
अंतिम तिथिः शनिवार 13 अक्टूबर 2018  
प्रकाशन तिथिः 15 अक्टूबर 2018  को प्रकाशित की जाएगी । 

रचनाएँ  पाँच लिंकों का आनन्द ब्लॉग के 
सम्पर्क प्रारूप द्वारा प्रेषित करें


10 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात
    जय मातेश्वरी की
    बेहतरीन प्रस्तुति
    सादर नमन

    जवाब देंहटाएं
  2. बेहतरीन विजयोत्सव प्रस्तुति
    आभार

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही सुन्दर विजयोत्सव प्रस्तुति
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  4. 🌼जब तक मैंने समझ जीवन क्या है?..जीवन बीत गया..
    आज किशोर दा की पुण्यतिथि भी है..
    उन्हें नमन करने के साथ ही सभी रचनाकारों को शुभकामनाएं ..

    जवाब देंहटाएं
  5. सुंदर प्रस्तुति सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुंदर लिंकों के साथ शानदार प्रस्तुति।
    सभी रचनाकारों को बधाई

    जवाब देंहटाएं

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