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शनिवार, 2 दिसंबर 2017

869... हाइकु 2


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आप सभी को यथायोग्य
प्रणामाशीष

बस दो दिन की दूरी
पल होंगे सिंदूरी



पलाश फले
जंगल के दिल में
अनल जले।

हाइकु

माँ है महान
पूजा जीवन की
करें सम्मान।

हाइकु

चरखी घूमी
चिपकी चिंगारियाँ
गगन सजा।


हाइकु

मेरी जवानी
कटे हुये पंखों की
एक निशानी।

हाइकु

खोलो कमरे
आने दो धूप हवा
मिटे सीलन ।


फिर मिलेंगे


8 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीय दीदी
    सादर नमन
    नजर ती हमारी आप पर
    ज्यादा देर रात तक जागना
    सेहत के लिए हनिकारक होता है
    अच्छी प्रस्तुति
    पसंद आई
    सादर

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. मुझे पता था कि आप ध्यान दे रही होंगी
      जिम्मेदारी उठाओ तो बिना पूरा किये नींद कहाँ आती है
      कई बहाने थे कि आज की प्रस्तुति नहीं बना पाती
      पत्रिका लोकार्पण होना है चार दिसम्बर को रचना जमा हुई मुद्रक के पास 30 नवम्बर को
      फेसबुक से आपको पता चलता होगा मेरी भाग दौड़
      कल शाम में बनाने बैठी तो नेट महाशय हठी नौ बजे से बारह बजे तक डटे रहे साथ नहीं दूंगा तो पति महोदय को जगाना पड़ा उनके कुछ जादू दिखे
      खैर

      ढ़ेरों आशीष संग अक्षय शुभकामनाएं

      हटाएं
  2. आदरणीय दी आपके हाइकु मन मोह गये।
    सुप्रभात शुभ दिवस।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर हायकु संकलन......

    जवाब देंहटाएं
  4. आदरणीय विभा जी
    सुप्रभात
    आप की हर प्रस्तुति एक अलग रंग लिए
    मन को मोह जाती है
    आप की मेहनत नजर आती है

    जवाब देंहटाएं

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