नव वर्ष की शुभकामनाएँ
हम शहर से बाहर हैं आज भी
सोचा, भाई कुलदीप जी को फोन कर दिया जाए
पर देवी जी लैपटॉप हाथ में देकर यह इशारा कर चली गई
चलिए दोनों का काम हो गया...
करें वापसी सफर की तैय्यारी
आज्ञा है न दिग्विजय को
सादर
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
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सुंदर प्रस्तुतीकरण
जवाब देंहटाएंरब हमेशा सब ठीक रखे
बहुत ही सुन्दर । यह यात्रा यूँ ही जारी रहे। मेरी कविता को शामिल करने के लिए शुक्रिया । आप सभी मेरे ब्लॉग purushottamjeevankalash.blogspot.com पर भी आमंत्रित हैं
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संकलन है। मेरी रचना शामिल करने के लिए हृदय से आभार।
जवाब देंहटाएंआज की हलचल में खूबसूरत सूत्रों का खुशबूदार गुलदस्ता ! मेरी लघु कथा को शामिल करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार दिग्विजय जी !
जवाब देंहटाएंवापसी के सफर के लिये फिर मंगलकामनाएं। आज के निखरे हुए अंक में 'उलूक' के सूत्र की चर्चा करने के लिये आभार।
जवाब देंहटाएंशुभप्रभात... सुंदर संकलन...
जवाब देंहटाएंआभार।
सही मायने में समय का सदुपयोग किया है आपने
जवाब देंहटाएंआभार...
सादर
अतिसुन्दर संकलन !आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसबको गुड़ी पड़वा- चैत्र शुक्ल प्रतिपदा की हार्दिक शुभकामनाएं
पठनीय संकलन।मेरे लेख को शामिल करने के लिए धन्यवाद।
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