2018 ने.... तनिक से थोड़ा जियादा समय
बचा है.....मताधिकार पाने के लिए
पग डगमग कितने कर लो
पथ भ्रष्ट नही कर पाओगे
भले बिछा लो शूल मार्ग में
पर अनिष्ट नही कर पाओगे
वय आहुति पकी वंश फसल गांठ में ज्ञान
जीवन संध्या स्नेह की प्रतिमूर्ति चाहे सम्मान
एक जगह रोपी गई दूजे जगह गई उगाई
बिजड़े जैसी बेटियाँ आई छोड़ पल्लू माई
ओढ़े हुए तारों की चमकती हुई चादर........जां निसार अख्तर
जब शाख़ कोई हाथ लगाते ही चमन में
शरमाए लचक जाए तो लगता है कि तुम हो
संदल से महकती हुई पुर-कैफ़ हवा का
झोंका कोई टकराए तो लगता है कि तुम हो
नहीं भी है
फिर भी
निगलना
जरूरी
हो जाता है
‘उलूक’
चूहों की दौड़
देखते देखते
कब चूहा हो
लिया जाता है
.......
यशोदा को
सादर
Bhut hi sundar rachnaye h keep posting and keep visiting on https://kahanikikitab.blogspot.in
जवाब देंहटाएंढ़ेरों आशीष व असीम शुभकामनाओं संग शुभ दिवस छोटी बहना
जवाब देंहटाएंअभिभूत हूँ अनुगृहीत संग
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिंको का चयन
सादर
बढ़िया प्रस्तुति यशोदा जी । अभार 'उलूक' के सूत्र को भी जगह देने के लिये।
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति .....
जवाब देंहटाएंSundar Prastuti.
जवाब देंहटाएंThanks a lot yashoda ji.
अच्छी हलचल
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